
16 नवंबर 2025 का दिन जो कि रविवार है। धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि इस दिन उत्पन्ना एकादशी व्रत का पारण किया जाएगा। पारण का अर्थ है व्रत को विधिपूर्वक खोलना जो कि एकादशी के अगले दिन यानी द्वादशी तिथि में किया जाता है। यह दिन सूर्य के राशि परिवर्तन के लिए भी खास है क्योंकि सूर्य देव अपनी नीच राशि तुला से निकलकर अपनी मित्र राशि वृश्चिक में प्रवेश करेंगे। सूर्य का यह गोचर देश और दुनिया के साथ-साथ सभी राशियों पर प्रभाव डालेगा और इसे वृश्चिक संक्रांति के नाम से जाना जाएगा। इसके अलावा, इस दिन हस्त नक्षत्र रहेगा, जो शुभ कार्यों और यात्रा के लिए अच्छा माना जाता है, हालांकि किसी भी नए काम की शुरुआत दोपहर 03:07 बजे तक रहने वाले राहुकाल के दौरान नहीं करनी चाहिए। ऐसे में आइये जानते हैं एमपी, छिंदवाड़ा के ज्योतिषाचार्य पंडित सौरभ त्रिपाठी से आज का पंचांग।
| तिथि | नक्षत्र | दिन/वार | योग | करण |
| मार्गशीर्ष कृष्ण द्वादशी | हस्त | रविवार | विष्कुम्भ | कौलव |

| प्रहर | समय |
| सूर्योदय | सुबह 06:44 बजे |
| सूर्यास्त | शाम 05:27 बजे |
| चंद्रोदय | दोपहर 03:04 बजे |
| चंद्रास्त | सुबह 04:02 बजे (अगले दिन) |
| मुहूर्त नाम | मुहूर्त समय |
| ब्रह्म मुहूर्त | भोर 04:58 बजे से सुबह 05:51 बजे तक |
| सर्वार्थ सिद्धि योग | सुबह 06:44 बजे से देर रात 02:11 बजे तक |
| अभिजीत मुहूर्त | सुबह 11:44 बजे से दोपहर 12:27 बजे तक |
| अमृत काल | शाम 07:07 बजे से रात 08:47 बजे तक |
| विजय मुहूर्त | दोपहर 01:53 बजे से दोपहर 02:36 बजे तक |
| गोधूलि मुहूर्त | शाम 05:27 बजे से शाम 05:54 बजे तक |
| संध्या मुहूर्त | 05:28 PM से 06:47 PM |
| मुहूर्त नाम | मुहूर्त समय |
| राहु काल | शाम 04:06 बजे से शाम 05:26 बजे तक |
| गुलिक काल | दोपहर 02:44 बजे से शाम 04:03 बजे तक |
| यमगंड | दोपहर 12:05 बजे से दोपहर 01:25 बजे तक |

16 नवंबर 2025 को मुख्य रूप से दो महत्वपूर्ण धार्मिक घटनाएं हैं: पहला, यह दिन उत्पन्ना एकादशी व्रत का पारण का है जिसका अर्थ है कि एकादशी का व्रत रखने वाले लोग इस दिन विधि-विधान से व्रत खोलकर अन्न ग्रहण करेंगे। पारण हमेशा द्वादशी तिथि में, हरि वासर समाप्त होने के बाद किया जाता है। दूसरा, यह दिन वृश्चिक संक्रांति का भी है, जब सूर्य देव अपनी राशि बदलकर वृश्चिक राशि में प्रवेश करते हैं। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करना, दान करना और सूर्य देव की पूजा करना अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है जिससे स्वास्थ्य और मान-सम्मान में वृद्धि होती है।
16 नवंबर 2025 को रविवार और वृश्चिक संक्रांति होने के कारण आप सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए विशेष उपाय कर सकते हैं। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और सूर्योदय के समय तांबे के लोटे में जल भरकर, उसमें लाल चंदन या लाल फूल डालकर भगवान सूर्य को अर्घ्य दें तथा 'ॐ घृणि सूर्याय नमः' मंत्र का जाप करें। इससे आपके मान-सम्मान और करियर में उन्नति होती है। इसके अलावा, संक्रांति के पुण्य काल में गुड़, गेंहूं या लाल वस्त्रों का दान करना बहुत शुभ होता है जिससे आपके जीवन की सभी बाधाएँ दूर होती हैं और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
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