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कैसे करें Utpanna Ekadashi व्रत का पारण, यहां जानें विधि, शुभ मुहूर्त और सही नियम

Utpanna Ekadashi Paran Muhurat 2025: सनातन धर्म में किसी भी एकादशी तिथि का विशेष महत्व होता है और इनमें से खास मानी जाती है मार्गशीर्ष महीने की उत्पन्ना एकादशी। अगर आप भी यह व्रत करती हैं तो इसके पारण के नियमों के बारे में भी जरूर जानें।
Editorial
Updated:- 2025-11-15, 13:53 IST

हिंदू धर्म में किसी भी व्रत उपवास के अपने अलग नियम बनाए गए हैं। हर व्रत में पूजन और उनका पारण करना मुख्य माना जाता है। ऐसे ही मार्गशीर्ष महीने की उत्पन्ना एकादशी को भी बहुत ख़ास माना जाता है। इस दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा माता लक्ष्मी के साथ की जाती है और व्रत का पालन विधि-विधान से किया जाता है। जो व्यक्ति विधि-विधान के साथ भगवान श्री हरि की पूजा करता है उसको शुभ फलों की प्राप्ति होती है और समस्त काम बनने लगते हैं। यही नहीं इस दिन उपवास करना भी बहुत फलदायी माना जाता है और व्रत करने से भगवान विष्णु शीघ्र ही प्रसन्न होकर अपने भक्तों के हर दुख हर लेते हैं। इस साल मार्गशीर्ष महीने में पड़ने वाली उत्पन्ना एकादशी 15 नवंबर, 2025 को पड़ेगी। यही नहीं इस व्रत का पारण भी विधि-विधान के साथ 16 नवंबर को यानी कि द्वादशी तिथि को किया जाएगा। आइए ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से जानें कब किया जाएगा उत्पन्ना एकादशी व्रत का पारण और इसके नियम क्या हैं।

उत्पन्ना एकादशी की सही तिथि क्या है?

हिंदू पंचांग के अनुसार,मार्गशीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 14 नवंबर, शुक्रवार रात्रि 12 बजकर 49 मिनट पर आरंभ होगी। वहीं, इसका समापन 15 नवंबर, शनिवार की रात 02 बजकर 37 मिनट पर होगा। चूंकि यह व्रत उदया तिथि के अनुसार रखना फलदायी होता है इसलिए उत्पन्ना एकादशी का व्रत 15 नवंबर को ही रखा जाएगा।

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उत्पन्ना एकादशी का पारण मुहूर्त (Utpanna Ekadashi Paran Muhurat 2025)

उत्पन्ना एकादशी व्रत का पारण 16 नवंबर, रविवार को करना शुभ होगा। एकादशी तिथि का पारण हमेशा द्वादशी तिथि के दिन किया जाता है और द्वादशी तिथि 16 नवंबर को है।
उत्पन्ना एकादशी का पारण- 16 नवंबर 2025, रविवार, दोपहर 01:10 से लेकर 03:18 बजे के बीच किया जाएगा।

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उत्पन्ना एकादशी व्रत पारण विधि (Utpanna Ekadashi Paran Vidhi)

एकादशी व्रत के नियमों का पालन एकादशी से एक दिन पहले से ही हो जाता है और ऐसा माना जाता है कि इन नियमों का पालन करने से ही शुभ फलों की प्राप्ति होती है और व्रत का पूर्ण फल भी मिलता है।

  • एकादशी से एक दिन पहले से ही आपको चावल और तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए। यदि आप एकादशी का व्रत नियम से करती हैं तो आपको दशमी की रात से ही फलाहार का पालन शुरू करना चाहिए।
  • जिस दिन आप व्रत का पालन कर रही हैं उस दिन ध्यान रखें कि आपको प्रातः जल्दी उठकर स्नान आदि से मुक्त होकर ही व्रत का पारण करना चाहिए।
  • आपको विष्णु जी का पूजन करना चाहिए और उन्हें भोग में मिस्ठान और पंचामृत चढ़ाएं। पंचामृत और भोग में तुलसी की पत्ती जरूर डालें।  
  • विष्णु जी का पूजन करने के साथ उन्हें भोग अर्पित करें और उसी भोग को स्वयं भी ग्रहण करके एकादशी व्रत का पारण करें।
  • उत्पन्ना एकादशी का व्रत आपको विधि से करना चाहिए और एकादशी की पूजा विधि विधान से ही करनी चाहिए।  

उत्पन्ना एकादशी व्रत पारण नियम

  • उत्पन्ना एकादशी का पारण हमेशा शुभ मुहूर्त में ही करना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि यदि आप व्रत करती हैं तो उसका पारण भी जरूर करें अन्यथा व्रत का फल नहीं मिलता है।
  • हमेशा साफ तन और मन से ही व्रत का पारण करें। आपको इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि व्रत के पारण वाले दिन स्नान और पूजन से मुक्त हुए बिना आपको अन्न जल ग्रहण नहीं करना चाहिए।
  • पूजा के बाद ही आपको कुछ ग्रहण करना चाहिए।

यदि आप यहां बताए नियमों का पालन करते हुए उत्पन्ना एकादशी का व्रत और इसका पारण करती हैं तो आपको व्रत का पूर्ण फल मिल सकता है। आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह के अन्य आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।
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