सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा अर्चना की जाती है। यह मास भगवान शिव का प्रिय मास है, सावन मास का सोमवार, प्रदोष, शिवरात्रि बहुत खास होता है। इस दिन लोग शिवालय जाकर पूजा करते हैं और भगवान शिव की स्तुति अराधना और जप करते हैं। कथाओं और पुराणों के अनुसार यह कहा जाता है कि यह सावन मास वो मास है, जब भगवान शिव स्वयं पृथ्वी पर आते हैं और अपने भक्तों पर कृपा करते हैं। ऐसे में आज हम आपको पूजा के बाद पढ़ने के लिए स्तोत्र के बारे में बताएंगे। इस शिवाष्टक स्तोत्र को पढ़ कर आप भगवान शिव को प्रसन्न कर सकते हैं। इस लेख में हमने शिवाष्टक स्तोत्र के पाठ और इसके लाभ के बारे में हमारे एस्ट्रो एक्सपर्ट शिवम पाठक से पूछा है, चलिए जानते हैं इसके बारे में...
शिव अष्टकम् स्तोत्र
प्रभुं प्राणनाथं विभुं विश्वनाथं जगन्नाथनाथं सदानन्दभाजम्। भवद्भव्यभूतेश्वरं भूतनाथं शिवं शङ्करं शंभुमीशानमीडे ॥१॥
गले रुण्डमालं तनौ सर्पजालं महाकालकालं गणेशाधिपालम्। जटाजूटगङ्गोत्तरङ्गैर्विशालं शिवं शङ्करं शंभुमीशानमीडे ॥२॥
मुदामाकरं मण्डनं मण्डयन्तं महामण्डलं भस्मभूषाधरं तम्। अनादिं ह्यपारं महामोहमारं शिवं शङ्करं शंभुमीशानमीडे ॥३॥
तटाधोनिवासं महाट्टाट्टहासं महापापनाशं सदा सुप्रकाशम्। गिरीशं गणेशं सुरेशं महेशं शिवं शङ्करं शंभुमीशानमीडे ॥४॥
गिरीन्द्रात्मजासङ्गृहीतार्धदेहं गिरौ संस्थितं सर्वदा सन्निगेहम्। परब्रह्म ब्रह्मादिभिर्वन्द्यमानं शिवं शङ्करं शंभुमीशानमीडे ॥५॥
कपालं त्रिशूलं कराभ्यां दधानं पदांभोजनम्राय कामं ददानम्। बलीवर्दयानं सुराणां प्रधानं शिवं शङ्करं शंभुमीशानमीडे ॥६॥
शरच्चन्द्रगात्रं गुणानन्दपात्रं त्रिनेत्रं पवित्रं धनॆशस्य मित्रम्। अपर्णाकळत्रं चरित्रं विचित्रं शिवं शङ्करं शंभुमीशानमीडे ॥७॥
हरं सर्पहारं चिताभूविहारं भवं वेदसारं सदा निर्विकारम्। श्मशाने वसन्तं मनोजं दहन्तं शिवं शङ्करं शंभुमीशानमीडे ॥८॥
स्तवं यः प्रभाते नरः शूलपाणेः पठेत्सर्वदा भर्गभावानुरक्तः। स पुत्रं धनं धान्यमित्रं कळत्रं विचित्रैः समाराद्य मोक्षं प्रयाति ॥९॥
इति श्रीशिवाष्टकं संपूर्णम् ॥
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शिव अष्टकम् स्तोत्र पाठ लाभ
- शिव अष्टकम् का पाठ करने से आध्यात्मिक उन्नति होती है और आत्मा की शुद्धि होती है।
- इस स्तोत्र का नियमित पाठ करने से मन की शांति प्राप्त होती है और मानसिक तनाव कम (मानसिक तनाव कम करने के उपाय) होता है।
- शिव अष्टकम् का पाठ करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और आस पास के वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
- शिव अष्टकम् का पाठ करने से परिवार में शांति और सामंजस्य बना रहता है।
- शिव अष्टकम् का पाठ करने से भय और चिंता का नाश होता है और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
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Image Credit: freepik
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