Sawan Somvar Vrat Katha 2024: सावन के चौथे सोमवार के दिन जरूर पढ़ें ये व्रत कथा, शीघ्र विवाह के बनेंगे योग

Sawan Somvar 2024 Lord Shiva Puja Katha: सावन के तीसरे सोमवार के दिन व्रत रखने का विशेष महत्व है। साथ ही व्रत कथा पढ़ने भी महत्वपूर्ण माना जाता है। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं। 

Sawan Somvar  Lord Shiva Puja Katha

Sawan Somvar 2024 Lord Shiva Puja Katha: सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित होता है और इस महीने के सभी सोमवार का विशेष महत्व रखते हैं। इस दिन व्रत रखने और व्रत कथा सुनने का बहुत महत्व है।

इस दिन भगवान शिव की पूजा विधिवत रूप से करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती है। साथ ही विवाह में आ रही सभी समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है। इस साल का सावन अधिक खास माना जा रहा है। क्योंकि इसकी शुरुआत सोमवार के दिन से हुई थी।

ऐसी मान्यता है कि सावन माह में अगर कुंवारी कन्या व्रत रखें और पूजा-अर्चना करें, तो उन्हें मनचाहा जीवनसाथी मिलता है। साथ ही भगवान शिव के साथ माता पार्वती की कृपा भी प्राप्त होती है। अब ऐसे में अगर आप सावन के चौथे सोमवार के दिन व्रत रख रहे हैं, तो इस दिन व्रत कथा पढ़ना और सुनना बेहद जरूरी है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से सावन सोमवार के व्रत कथा के बारे में जानते हैं।

सावन सोमवार के दिन पढ़ें येव्रत कथा

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पौराणिक मान्यताओं के अनुसार एक धनी व्यापारी था। वह भगवान शिव का बहुत ही बड़ा भक्त था। उसे धन-दौलत की कोई कमी नहीं थी। लेकिन इतना सब होने के बावजूद वह बेहद दुखी रहता था। ऐसा इसलिए, क्योंकि उसकी कोई संतान नहीं थी। पुत्र की चाह के लिए वह दिन-रात भगवान भोलेनाथ की आराधना करता था। साथ ही हर सोमवार को व्रत के साथ-साथ विधि-विधान से भगवान शिव की पूजा करता था। व्यापारी की भक्ति देखकर एक दिन मां पार्वती ने भोलेनाथ ने कहा कि यह व्यापारी आपका सच्चा भक्त हैं। प्रभु आप उसकी मनोकामना पूरी कर दीजिए। तब शिवजी ने माता पार्वती से कहा कि इस साहुकार के साथ कोई पुत्र नहीं है। जिसके कारण यह हमेशा दुखी रहता है। तब मां पार्वती ने कहा कि प्रभु आप इसे वरदान दें। इस पर महादेव ने कहा कि देवी पार्वती साहुकार के भाग्य में पुत्र के योग नहीं है। ऐसे में अगर इसे पुत्र प्राप्ति का वरदान मिल गया, तो वह केवल 12 साल की आयु तक ही जीवित रहेगा। यह सुनने के बाद माता पार्वती ने कहा कि आपको साहुकार को पुत्र का वरदान देना ही होगा। अन्यथा भक्त आपकी पूजा क्यों करेगा। माता के बार-बार कहने से भगवान शिव ने साहुकार को पुत्र का वरदान दे दिया। लेकिन वह केवल 12 साल तक ही जीवित रहेगा।

भगवान शिव के वरदान से व्यापारी खुश हुआ। लेकिन बेटे की अल्पायु को सोचकर वह काफी दुखी हो गया। बेटे के जन्म के बाद भी व्यापारी नियमित रूप से भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करता था और सोमवार का व्रत रखा था। इसके बाद बेटे के 11 के 11 वर्ष होते ही व्यापारी ने उसे उसके मामा के साथ काशी भेज दिया। साथ ही बेटे के मामा से कहा कि इसे काशी पढ़ने के लिए ले जाओं और रास्ते में जिस भी स्‍थान पर रुकना यहां यज्ञ करते और ब्राह्मणों को भोजन कराते हुए आगे बढ़ना। वहीं रास्ते में एक राजकुमारी का विवाह था। जिससे उसका विवाह होना थआ। वह एक कान से काना था। तो उसके पिता ने जब अति सुंदर साहुकार के बेटे को देखा तो उनके मन में आया कि क्यों न इसे ही घोड़ी में बिठाकर शादी के सभी कार्य संपन्न किए जाएं। तो उन्होंने माता से बात की और कहा कि वह अथाह धन देंगे तो वह भी राजी हो गए।

इसके बाद साहुकार विवाह का बेटा विवाह के मंडप में बैठा और विवाह के सभी काम संपन्न किया, तो जाने से पहले उसने राजकुमारी की चुनरी पर लिखा कि तुम्हारा विवाह तो मेरे साथ हुआ है लेकिन जिस राजकुमार के साथ भेजेंगे वह तो एक आंख का काना है। इसके बाद वह अपने मामा के साथ काशी के लिए चला गया। उधर जब राजकुमार ने अपनी चुनरी पर यह लिखा हुआ पाया तो उसने राजकुमार के साथ जाने से मना कर दिया। तो राजा ने भी अपनी पुत्री को बारात के साथ विदा नहीं किया। बारात वापस लौट गई। उधर मामा और भांजे काशी जी पहुंच गए।

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एक दिन काशी में यज्ञ के दौरान भांजा बहुत देर तक बाहर नहीं आया तो मामा ने अंदर जाकर देखा तो भांजे के प्राण निकल चुके थे। मामा रोने लग गए। उसी समय वहां से भगवान शिव और माता पार्वती जा रहे थे, तो माता पार्वती मे शिव जी से पूछा कि प्रभु ये कौन रो रहा है। तभी उन्हें पता चला कि यह तो शिवजी के आशीर्वाद से जन्मा व्यापारी का पुत्र है। तब माता पार्वती ने कहा स्‍वामी इसे जीवित कर दीजिए। अन्यथा रोते-रोते इसके माता-पिता के प्राण निकल जाएंगे। तब भगवान शिव ने कहा कि हे पार्वती इसकी आयु इतनी ही थी सो वह भोग चुका है। लेकिन माता पार्वती के बार-बार कहने पर शिव जी ने उसे जीवित कर दिया। व्यापारी का पुत्र ओम नमः: शिवाय करते हुए जी उठा और मामा-भांजे दोनों ने भोलेनाथ और पार्वती माता को धन्यवाद किया और अपनी नगरी की ओर लौटे।

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तभी रास्ते में वही गर पड़ा और राजकुमारी ने उन्हें पहचान लिया तब राजा ने राजकुमारी को साहूकार के बेटे के साथ बहुत सारे धन-धान्य के साथ विदा किया। इसके बाद वो अपने गांव पहुंचे जहां साहूकार अपने बेटे और बहु को देख कर बहुत प्रसन्न हुआ। उसी रात साहूकार को स्वप्न ने शिवजी ने दर्शन दिया और कहा कि तुम्हारे पूजन से मैं प्रसन्न हुआ। इसी प्रकार जो भी व्‍यक्ति इस कथा को पढ़ेगा या सुनेगा उसकी सभी परेशानियां दूर हो जाएंगी। साथ ही हर अधूरी इच्छा पूरी हो जाएगी।

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Image Credit- HerZindagi

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