
हिंदू धर्म में अमावस्याओं को बहुत अधिक महत्व दिया गया है। खासतौर पर मार्गशीर्ष माह में आने वाली अमावस्या विशेष होती है। इसे अगहन अमावस्या भी कहा जाता है। इस अमावस्या पर व्रत और पूजा के कुछ विशेष नियम भी हैं, जिनके बारे में हमने मध्य प्रदेश, उज्जैन निवासी ज्योतिषाचार्य एवं पंडित मनीष शर्मा से बात की है। वह कहते हैं, " अमावस्या पर पितरों को श्रृद्धांजली देने का विधान है। मार्गशीर्ष माह की अमावस्या पर भी पितरों को तर्पण दिया जाता है। मान्यता है कि इस दिन पितरों के लिए व्रत रखने और उनकी पूजा करने का भी महत्व है। ऐसा करने से उनका आशीर्वाद मिलता है और पितृ दोष का प्रभाव कम होता है। इस दिन देवी लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है और बहुत सारे घरों में सत्यनारायण स्वमी का पाठ होता है।"
इस दिन आप पितरों, सत्यनारयण स्वामी और देवी लक्ष्मी जी के लिए व्रत रख सकती हैं। पंडित जी कहते हैं, "सुबह उठकर ही संकल्प ले लें कि व्रत किसका रखना है। इसके बाद आगे के नियमों का पालन करें।"
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मार्गशीर्ष अमावस्या पर पितरों की पूजा करने के अलावा आप सत्यनारायण स्वामी का पाठ और देवी लक्ष्मी की पूजा भी कर सकती हैं। यदि आप पितरों की पूजा कर रही हैं, तो नीचे बताई गई विधि का अनुशरण करें-
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