शुक्रवार के दिन अक्सर महिलाएं श्री लक्ष्मी जी का व्रत रखती हैं। मान्यता है कि इस व्रत को करने से न केवल महिलाओं को सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है बल्कि अखंड सौभाग्यवती का भी आशीर्वाद मिलता है। ऐसे में महिलाएं लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिए व्रत के साथ-साथ उनकी कथा भी पढ़ती हैं। लेकिन महिलाओं को पता ही नहीं है कि लक्ष्मी जी की कथा को पढ़ने से पहले एक और कथा पढ़ी जाती है। जी हां, वो है भगवान गणेश जी की कथा। भगवान गणेश को प्रथम देवता का दर्जा दिया गया है। ऐसे में यदि किसी पूजा में भगवान गणेश को प्रथम आमंत्रण ना दिया जाए तो पूजा अधूरी मानी जाती है। ऐसे में आप श्री लक्ष्मी जी की पूजा से पहले गणेश जी की व्रत कथा जरूर पढ़ें। आचार्य अनंतदास जी से जानते हैं, भगवान गणेश की व्रत कथा के बारे में....
जब गणेश जी ने ली परीक्षा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भगवान गणेश ने पृथ्वी पर मनुष्य की परीक्षा लेने का विचार किया। तब उन्होंने अपना रूप बदला और बाल रूप में पृथ्वी पर गए। हाथ में एक चम्मच दूध और एक चुटकी चावल लिए वो गली-गली घूमने लगे। बाल गणेश बोले कि कोई मेरी खीर बना दो, कोई मेरी खीर बना दो। कोई भी उन पर ज्यादा ध्यान नहीं दे रहा था। जब सबने खीर की सामग्री देखी तो उन पर हंसने लगे।
ऐसे में वह एक गांव से दूसरे गांव, दूसरे गांव से तीसरे गांव चक्कर ही काट रहे थे। सुबह से शाम हो गई। तब एक घर के बाहर एक बुढ़िया बैठी थी। उसने कहा- मैं तेरी खीर बना देती हूं।तब गणेश जी बोले, जाओं दूध और चावल की खीर बनाने के लिए सबसे बड़ा बर्तन ले आओ। ऐसे में बुढ़िया अपने घर के अंदर गई और सबसे बड़ा बर्तन लेकर आई। तब भगवान ने एक चम्मच दूध उस भगोने में डाला। बुढ़िया को बड़ा आश्चर्य हुआ। पर बुढ़िया चुपचाप खीर बनाने लगी।
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पूरे गांव को दी दावत
जब खीर बननी शुरू हुई तो वो पूरे पतीले में भर गई। तब बालक बोला कि मैं स्नान करके आता हूं। पीछे बुढ़िया ने खीर से सबसे पहले गणेश जी का भोग लगाया। जैसे ही गणेश जी का भोग लगा वैसे ही उस बालक का पेट भी भर गया। जब बालक को बुढ़िया ने खीर दी तो बालक बोला, मेरा तो मैया पेट भर गया। बुढ़िया ने कहा कि अब ये खीर कौन खाएगा।
तब वह बालक बोला कि जाओं ये खीर पूरे गांव को खिला दो। बुढ़िया ने गांव वालों को खीर के लिए न्यौता दिया। किसी ने बात नहीं मानी, लेकिन थोड़े-थोड़े करके लोग इकट्ठा हो गए। सभी को आश्चर्य तो हुआ लेकिन सभी ने खीर खा ली।
भर दी गणेश जी ने झोली
सबके खा लेने के बाद भी खीर काफी बच गई। तब बुढ़िया ने गणेश जी से पूछा कि मैं क्या करूं। गणेश भगवान बोले कि खीर को रात में अपने घर के चारों कोनों में रख देना। बढ़िया ने ऐसा ही किया। अगले दिन वो खीर हीरे, चांदी, सोने में बदल गई। ऐसे में बुढ़िया के दिन बदल गए। उसके बाद बुढ़िया ने मंदिर बनवाया और एक बहुत बड़ा तालाब भी खुदवाया। वहां पर हर साल मेला लगने लगा। कहते हैं कि इस कथा को करने से गणेश जी प्रसन्न होते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस व्रत कथा के बाद ही महिलाओं के लक्ष्मी जी की कहानी पढ़नी चाहिए।
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