Alopi Shankar Mahadev Temple: भारत एक रीति-रिवाजों और मंदिरों का देश है। यहां कई ऐसे मंदिर मौजूद हैं, जो अपनी मान्यताओं को लेकर दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं। इन मंदिरों में श्रद्धालु अपनी मुराद लेकर आते हैं और घर-परिवार की सलामती के लिए भगवान से कामना करते हैं। भारत में कई ऐसे भी मंदिर हैं, जो रहस्यों से भरे हैं। सावन के इस पावन महीने में आज हम आपको शिव जी के एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने वाले हैं, जो अपने अनोखे रूप के लिए जाने जाते हैं। दरअसल, हम बात कर रहे हैं- अलोपी शंकर महादेव मंदिर की, जिसकी जलहरी में दो-दो शिवलिंग विराजमान हैं। तो चलिए इस मंदिर से जुड़ी मान्यताओं के बारे में जान लेते हैं।
कहां है अलोपी शंकर महादेव मंदिर?
अलोपी शंकर महादेव मंदिर मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले के कैलारस में है। इस मंदिर में एक ही जलहरी में दो-दो शिवलिंग मौजूद है। शिव जी के ऐसे रूप और उनकी प्रसिद्धि को देखते हुए दूरदराज से लोग यहां दर्शन करने आते हैं। सावन मास में जहां अलोपी शंकर के दर्शन करने जिलेभर के लोग पहुंचते हैं। वहीं, अन्य प्रांतों से भी हजारों की संख्या में लोग अभिषेक करने पहुंचते हैं। आपको बता दें, अलोपी शंकर महादेव का मंदिर कैलारस में 700 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। इस मंदिर से जुड़े रहस्य और मान्यता बेहद खास हैं।
(Image Credit: Facebook/Sabalgarh सबलगढ़ Social Media)
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अलोपी शंकर महादेव मंदिर की खासियत
आमतौर पर आपने एक जलहरी में एक ही शिवलिंग को विराजमान देखा होगा, लेकिन अलोपी शंकर महादेव मंदिर में एक ही जलहरी में दो-दो पिण्ड विराजमान हैं। इसी कारण यह मंदिर बेहद मशहूर है। अलोपी शंकर महादेव मंदिर में सावन और महाशिवरात्रि के विशेष अवसर पर भक्तों का तांता लगा रहता है। यही नहीं, शिवरात्रि के पर्व पर यहां भक्तों द्वारा कावड़ भी चढ़ाई जाती है।
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दो शिवलिंग विराजमान होने के पीछे क्या है कारण?
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मान्यता है कि लगभग 1000 वर्ष पूर्व सिद्ध बाबा बौद्ध गिरी के अदृश्य हो जाने के बाद अलोपी शंकर उनके स्थान पर प्रकट हुए थे। इसके बाद इस मंदिर को लाखा बंजारे ने बनवाया था। किंवदंती यह है कि एक बार लाखा बंजारा शक्कर की बोरियां लेकर बाजार जा रहा था। उस दौरान किसी सिद्ध बाबा ने उनसे बोरियों के विषय में पूछा, तो बंजारा ने इस पर उपहास करते हुए जवाब दिया कि बोरियों में नमक है।
यह सुनने के बाद सिद्ध बाबा ने उससे कहा कि तुम्हारा वचन सत्य हो। इसके बाद, जब लाखा बंजारा बाजार पहुंचा, तो वह अपनी बोरियों को देखकर दंग रह गया, क्योंकि उसमें शक्कर की जगह नमक निकला। ऐसा देखने के बाद, वह भागा-भागा उसी पहाड़ी पर पहुंचा, जहां उसे बौद्ध गिरी बाबा मिले थे, पर उसके वहां पहुंचने तक बाबा अदृश्य हो चुके थे। किंवदंती है कि जिस स्थान पर वह सिद्ध बाबा बैठे थे, उस स्थान से दो शिवलिंग निकले, जिन्हें मंदिर में स्थापित कर दिया गया। यही मंदिर फिर अलोपी शंकर महादेव मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हो गया।
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