Rukmani Ashtami 2024 Puja Vidhi: रुक्मिणी अष्टमी के दिन इस विधि से करें पूजा, जानें पूजन सामग्री और महत्व

हिंदू धर्म में रुक्मिणी अष्टमी का व्रत विशेष रूप से करने का विधान है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और रुक्मिणी की पूजा की जाती है। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं। 
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वैदिक पंचांग के अनुसार, हर साल पौष मास में आने वाली कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन रुक्मिणी अष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इसी दिन द्वापर युग में विदर्भ नरेश भीष्मक के यहां देवी रुक्मिणी का जन्म हुआ था। नातन धर्म में भगवान श्रीकृष्ण का विशेष स्थान है। उन्हें भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है और वे धैर्य, करुणा और प्रेम के प्रतीक हैं। देवी रुक्मिणी, श्रीकृष्ण की मुख्य पत्नी थीं और उन्हें धन की देवी लक्ष्मी का अवतार माना जाता है। रुक्मिणी अष्टमी का दिन देवी रुक्मिणी को समर्पित है। इस दिन श्रीकृष्ण और देवी रुक्मिणी की साथ में पूजा करने से साधक को विशेष फल की प्राप्ति होती है। माता लक्ष्मी का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही व्यक्ति को धन-वैभव, ऐश्वर्य, सुख-संपत्ति तथा संतान की प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है। अब ऐसे में रुक्मिणी अष्टमी के दिन मां रुक्मिणी की पूजा किस विधि से करें और पूजा का महत्व क्या है। इसके बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।

रुक्मिणी अष्टमी के दिन पूजा के लिए सामग्री क्या है?

samagri

  • लाल वस्त्र
  • इत्र
  • हल्दी
  • कुमकुम
  • दूध
  • दही
  • घी
  • शहद
  • तुलसी
  • मिश्री
  • घी का दीपक
  • कपूर
  • फूल
  • दीपक
  • अगरबत्ती
  • भोग

रुक्मिणी अष्टमी के दिन पूजा किस विधि से करें?

  • ब्रह्म मुहूर्त के समय उठें और स्नान-ध्यान करें और व्रत संकल्प लें।
  • स्नान आदि करके स्वच्छ हो जाएं और लाल रंग के शुद्ध वस्त्र धारण करें। लाल रंग माता लक्ष्मी का प्रिय रंग माना जाता है।
  • पूजा स्थल को साफ-सुथरा करके उस पर श्री कृष्ण और माता रुक्मिणी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
  • दक्षिणावर्ती शंख में केसर युक्त दूध लेकर देवी-देवताओं का अभिषेक करें।
  • माता रुक्मिणी को लाल वस्त्र, हल्दी, कुमकुम, फल, फूल, इत्र और पंचामृत अर्पित करें। इस दौरान 'कृं कृष्णाय नमः' मंत्र का जाप करें।
  • व्रत का संकल्प लें। आप अपने मन में या जोर से यह संकल्प ले सकते हैं कि आप यह व्रत सच्चे मन से रख रहे हैं और आपको इसका फल प्राप्त हो।
  • गाय के घी का दीपक जलाकर श्री कृष्ण और माता रुक्मिणी की आरती उतारें।
  • व्रत का पारण करने से पहले विवाहित महिलाओं को सुहाग का सामान दान करें। यह एक पुण्य का काम माना जाता है।

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रुक्मिणी अष्टमी की पूजा का महत्व क्या है?

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रुक्मिणी अष्टमी के दिन माता रुक्मिणी की पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति को मनोवांछितड फलों की प्राप्ति हो सकती है। साथ ही मनचाहे वर का आशीर्वाद मिलते है। इसके अलावा अगर आपके वैवाहिक जीवन में कोई समस्या चल रही है, तो इससे भी छुटकारा मिल जाता है।

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Image Credit- HerZindagi

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