भगवान शिव की पूजा-अर्चना करना और उनके दर्शन करना भक्तों के लिए अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है। शिव मंदिरों में एक विशेष प्रकार की सकारात्मक ऊर्जा और शांति का अनुभव होता है, जो मन को सुकून प्रदान करती है। भक्त अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति और सुख-समृद्धि के लिए भोलेनाथ की शरण में जाते हैं। हालांकि, पूजा और दर्शन के कुछ नियम होते हैं, जिनका पालन करना बेहद जरूरी होता है। जिस प्रकार मंदिर में प्रवेश और पूजा के कुछ विशेष विधि-विधान होते हैं, ठीक उसी प्रकार मंदिर से लौटते समय भी कुछ ऐसी बातें होती हैं, जिनका ध्यान रखना बेहद आवश्यक होता है। अनजाने में की गई कुछ छोटी-छोटी गलतियां भी आपको शिव कृपा से वंचित कर सकती हैं और जीवन में नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं। अगर आप भी शिव मंदिर जाते हैं और शिवजी का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं, तो यह जानना आपके लिए बेहद जरूरी है कि मंदिर से लौटते समय किन गलतियों से बचना चाहिए। यह लेख आपको उन 3 प्रमुख गलतियों के बारे में बताएगा, जिन्हें भूलकर भी नहीं करना चाहिए, वरना सुख-सौभाग्य की जगह आपको दुःख-दर्द का सामना करना पड़ सकता है। इन नियमों का पालन करके आप शिवजी की असीम कृपा प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन में सुख-शांति बनाए रख सकते हैं।
शिव मंदिर से लौटते समय इन 3 गलतियों से बचें
शिव मंदिर से लौटते समय कुछ ऐसे नियम होते हैं, जिन्हें धार्मिक मान्यताओं के अनुसार निभाना चाहिए। इन नियमों की अनदेखी करने से शुभ फलों की जगह अशुभ परिणाम भी मिल सकते हैं। आइए जानते हैं वे 3 गलतियां कौन सी हैं जिनसे बचना चाहिए।
मंदिर से लौटते समय शिवलिंग को पीछे मुड़कर न देखें
क्यों ग़लत है: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जब आप भगवान शिव के मंदिर से बाहर निकलते हैं, तो पीछे मुड़कर शिवलिंग को बार-बार नहीं देखना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि मंदिर से बाहर निकलते समय भगवान शिव का ध्यान भक्त से हटकर अपने लोक की ओर चला जाता है, और उस समय पीछे देखने से उनकी कृपा बाधित हो सकती है। कुछ मान्यताओं के अनुसार, इससे अर्जित पुण्य भी कम हो सकता है। यह सम्मान और विदाई के नियम का भी प्रतीक है। ध्यान रहे, एक बार दर्शन करने के बाद, मंदिर से शांत मन से बाहर निकलें और पीछे मुड़कर बार-बार शिवलिंग को देखने से बचें। अपनी भक्ति और श्रद्धा मन में रखें।
मंदिर से सीधा अपने घर न आएं
क्यों ग़लत है: ऐसा माना जाता है कि मंदिर से सीधे अपने घर नहीं आना चाहिए। मंदिर की सकारात्मक ऊर्जा और वातावरण की शुद्धता को तुरंत घर में लाना ठीक नहीं माना जाता। यह ऊर्जा का अचानक परिवर्तन होता है, जिसे शरीर और मन को समायोजित करने का समय देना चाहिए। शिव मंदिर से निकलने के बाद, थोड़ी देर के लिए किसी अन्य स्थान पर रुकें, जैसे किसी पार्क में, किसी रिश्तेदार के घर या किसी दुकान पर कुछ देर के लिए रुककर फिर घर आएं। आप किसी और रास्ते से भी घर जा सकते हैं। इससे मंदिर की ऊर्जा आपके साथ शांत तरीके से समेकित होती है और आप सीधे मंदिर से मिलने वाली ऊर्जा को घर में प्रवेश नहीं कराते हैं।
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मंदिर की सीढ़ियों या मुख्य द्वार पर न बैठें
कई लोग शिव मंदिर से दर्शन करने के बाद वहीं सीढ़ियों पर या मुख्य द्वार पर बैठ जाते हैं। धार्मिक दृष्टिकोण से इसे शुभ नहीं माना जाता। मंदिर का मुख्य द्वार या सीढ़ियां आवागमन और ऊर्जा के प्रवेश-निकास का स्थान होती हैं। इन स्थानों पर बैठने से ऊर्जा का प्रवाह बाधित हो सकता है। साथ ही, यह मंदिर की पवित्रता और व्यवस्था का भी अनादर हो सकता है। अगर आपको मंदिर में कुछ देर रुकना है, तो मंदिर परिसर में बने किसी खुले स्थान या बैठने की व्यवस्था वाली जगह पर बैठें, न कि मुख्य द्वार या सीढ़ियों पर। थोड़ी देर बैठकर मनन करें और फिर शांति से प्रस्थान करें।
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