जैन धर्म में, रोहिणी व्रत को 24 तीर्थंकरों में से 12वें तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। यह व्रत 5 दिनों का होता है और पूर्णिमा या अमावस्या तिथि को शुरू किया जाता है।
हिंदू धर्म में भी रोहिणी व्रत का महत्व है। यह व्रत देवी लक्ष्मी को समर्पित है और सुख-समृद्धि प्राप्ति के लिए किया जाता है। इतना ही इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत भी रखती हैं। इस दिन ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति व्रत रखता है। उसे सभी परेशानियों से छुटकारा मिल सकता है। साथ ही ग्रहों की स्थिति भी मजबूत हो सकती है। अब ऐसे में इस साल रोहिणी व्रत कब रखा जाएगा। शुभ मुहूर्त क्या है और महत्व क्या है। इसके बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
कब रखा जाएगा रोहिणी व्रत?
हिंदू पंचांग के अनुसार, रोहिणी व्रत 03 जुलाई बुधवार के दिन रखा जाएगा। रोहिणी व्रत को लगातार 3, 5 या फिर 7 साल तक करने का नियम है। इसके बाद रोहिणी व्रत का उद्यापन किया जाता है।
रोहिणी व्रत का शुभ मुहूर्त क्या है?
- रोहिणी नक्षत्र हर माह आता है और इसकी समय अवधि लगभग 2 दिन होती है। व्रत इस समय के दौरान किया जा सकता है। बता दें, जैन धर्म में रोहिणी व्रत पवित्र माना जाता है। इस दिन पूजा ब्रह्म मुहूर्त में कर सकते हैं।
- रोहिणी व्रत के दिन पूजा कैसे करें?
- सुबह जल्दी उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थान को साफ कर लें और लाल कपड़े से ढक लें।
- देवी लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- दीपक जलाकर घी और बत्ती से आरती करें।
- माता लक्ष्मी को रोली, अक्षत, सुगंधित फूल, फल और मिठाई का भोग लगाएं।
- पान और सुपारी भी चढ़ाएं।
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- माता लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें या लक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करें।
- व्रत की कथा सुनें।
- अंत में आरती करें और प्रसाद ग्रहण करें।
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रोहिणी व्रत का क्या महत्व है?
रोहिणी व्रत को पंच महाव्रतों में से एक माना जाता है। पंच महाव्रत जैन धर्म के 5 मुख्य व्रत हैं - अहिंसा, सत्य, अचौर्य, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह। रोहिणी व्रत को करने से इन महाव्रतों का पालन करने में आसानी होती है। रोहिणी व्रत को आध्यात्मिक उन्नति के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है। इस व्रत को करने से मन शांत होता है, एकाग्रता बढ़ती है और नकारात्मक विचारों का नाश होता है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को करने से भगवान ऋषभदेव की कृपा प्राप्त होती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इतना ही नहीं, हिंदू धर्म में माता लक्ष्मी की पूजा करने का विधान है। यह व्रत देवी लक्ष्मी को समर्पित है और सुख-समृद्धि प्राप्ति के लिए किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और धन-धान्य की प्राप्ति होती है। साथ ही व्यक्ति को आर्थिक तंगी से छुटकारा मिल सकता है।
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Image Credit- HerZindagi
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