हम सभी साधारण मनुष्य हैं और जब हम ईश्वर को याद करते हैं और उसकी पूजा करते हैं, तो हम सभी से कुछ न कुछ गलती जरूर हो जाती है, जिन्हें हम सुधार नहीं सकते हैं। ऐसे में हमें पूजा-पाठ करने के बाद क्षमा याचना पढ़ लेनी चाहिए। भगवान से माफी मांग लेने से हमारे सभी अपराधा माफ हो जाते हैं और हमें अपनी भूल को सुधारने का सही रास्ता भी नजर आने लग जाता है। क्षमा याचना हमारे अहंकार को नष्ट करती है और हमें हमारी गलती स्वीकार करने के योग्य बनाती है। ऐसा माना जाता है कि यदि पूजा करने के बाद क्षमा याचना न पढ़ी जाए तो पूजा अधूरी रह जाती है। तो चलिए जानते हैं कि क्षमा याचना पढ़ने के नियम और लाभ क्या हैं।
आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्।
पूजां चैव न जानामि क्षमस्व परमेश्वर॥
मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं जनार्दन।
यत्पूजितं मया देव परिपूर्ण तदस्तु मे॥
हे प्रभु! मैं आपका आवाहन करना नहीं जानता हूं, न ही आपका विसर्जन करने की विधि ही मुझे आती हैं। मैं ठीक से पूजा करना भी नहीं जानता हूं। हे परमेश्वर, मैं मंत्र हीन, क्रियाहीन और भक्तिहीन इंसान हूं। मेरे द्वारा आपकी की गई पूजा को स्वीकार करें और मुझसे यदि कोई गलती हुई है तो मुझे क्षमा कर दें।
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अगर आप सच में चाहती हैं कि आपकी पूजा सफल हो और मन को शांति मिले, तो पूजा के बाद क्षमा याचना का पाठ करना कभी न भूलें। यह न केवल धार्मिक दृष्टि से आवश्यक है, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक रूप से भी बेहद लाभकारी है। यह जानकारी आपको पसंद आई हो तो इस आर्टिकल को शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
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