सनातन धर्म में सभी स्तुति का पाठ करना बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। वहीं स्तुति का पाठ भी विधिवत रूप से करने का विधान है। तुलसी स्तुति का नियमित पाठ करने से मन शांत होता है और आध्यात्मिक उन्नति होती है। तुलसी स्तुति का पाठ करने से व्यक्ति स्वस्थ रहता है और रोगों से बचा रहता है। तुलसी को नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर करने वाला माना जाता है। तुलसी स्तुति का पाठ करने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। इससे व्यक्ति को धन, वैभव और सुख-शांति मिलती है। तुलसी स्तुति का पाठ करने से जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और सफलता मिलती है। इतना ही नहीं, तुलसी स्तुति का नियमित पाठ करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है और पारिवारिक कलह दूर होती है। तुलसी को घर में लगाने और तुलसी स्तुति का पाठ करने से घर का वास्तु दोष दूर होता है। अब ऐसे में अगर आप कर्ज से छुटकारा पाना चाहते हैं, तो तुलसी स्तुति का पाठ उत्तम फलदायी माना जाता है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
जरूर करें तुलसी स्तुति का पाठ
तुलसी स्तुती का पाठ विधिवत रूप से करने से लाभ होता है। इसलिए विधिवत रूप इसका पाठ करें।
तुलसि श्रीसखि शुभे पापहारिणि पुण्यदे ।
नमस्ते नारदनुते नारायणमनःप्रिये ॥ १॥
मनः प्रसादजननि सुखसौभाग्यदायिनि ।
आधिव्याधिहरे देवि तुलसि त्वां नमाम्यहम् ॥ २॥
यन्मूले सर्वतीर्थानि यन्मध्ये सर्वदेवताः ।
यदग्रे सर्व वेदाश्च तुलसि त्वां नमाम्यहम् ॥ ३॥
अमृतां सर्वकल्याणीं शोकसन्तापनाशिनीम् ।
आधिव्याधिहरीं नॄणां तुलसि त्वां नम्राम्यहम् ॥ ४॥
देवैस्त्चं निर्मिता पूर्वं अर्चितासि मुनीश्वरैः ।
नमो नमस्ते तुलसि पापं हर हरिप्रिये ॥ ५॥
सौभाग्यं सन्ततिं देवि धनं धान्यं च सर्वदा ।
आरोग्यं शोकशमनं कुरु मे माधवप्रिये ॥ ६॥
तुलसी पातु मां नित्यं सर्वापद्भयोऽपि सर्वदा ।
कीर्तिताऽपि स्मृता वाऽपि पवित्रयति मानवम् ॥ ७॥
या दृष्टा निखिलाघसङ्घशमनी स्पृष्टा वपुःपावनी
रोगाणामभिवन्दिता निरसनी सिक्ताऽन्तकत्रासिनी ।
प्रत्यासत्तिविधायिनी भगवतः कृष्णस्य संरोपिता
न्यस्ता तच्चरणे विमुक्तिफलदा तस्यै तुलस्यै नमः ॥ ८॥
॥ इति श्री तुलसीस्तुतिः ॥
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किस विधि से करें तुलसी स्तुति का पाठ?
- सबसे पहले एक शांत और स्वच्छ जगह चुनें जहां कोई आपको परेशान न करें।
- तुलसी के पौधे के सामने बैठकर ध्यान लगाएं। आप चाहें तो तुलसी की माला का भी जाप कर सकते हैं।
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- पाठ करते समय मन को एकाग्र रखें।
- शुद्ध भाव से तुलसी स्तुति का पाठ करें।
- तुलसी मंत्र का जाप भी विधिवत रूप से करें।
- पाठ के अंत में तुलसी के पौधे को जल अर्पित करें।
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Image Credit- HerZindagi
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