Paush Kalashtami vrat 2024: साल का आखिरी कालाष्टमी व्रत कब रखा जाएगा, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा का महत्व

हिंदू धर्म में कालाष्टमी का व्रत कालभैरव को समर्पित है। इस दिन काल भैरव की पूजा करने व्यक्ति को ग्रहदोष से छुटकारा मिल सकता है। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं। 
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हिंदू धर्म में हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनाया जाता है, जिसे भैरवाष्टमी भी कहा जाता है। यह दिन देवों के देव महादेव के तांडव रूप, काल भैरव की पूजा और व्रत के लिए समर्पित होता है। मान्यता है कि सच्चे मन से काल भैरव की आराधना करने से भक्तों को भय, संकट, रोग और शत्रुओं से मुक्ति मिलती है और उनका जीवन सुखमय हो जाता है। इसके अलावा अगर आपकी कुंडली में ग्रहों की स्थिति कमजोर है, तो कालाष्टमी के दिन व्रत और कालभैरव बाबा की पूजा करने से व्यक्ति को उत्तम परिणाम मिल सकते हैं। अब ऐसे में इस साल कालाष्टमी व्रत कब रखा जाएगा। पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है और पूजा का महत्व क्या है। इसके बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।

साल का आखिरी कालाष्टमी व्रत कब रखा जाएगा?

Kalashtami

वैदिक पंचांग के अनुसार, कालाष्टमी का व्रत 22 दिसंबर को दोपहर 02 बजकर 31 मिनट से आरंभ होगा और इसका समापन 23 दिसंबर को शाम 05 बजकर 07 मिनट पर होगा। आपको बता दें, कालाष्टमी के दिन कालभैरव बाबा की पूजा शाम के समय की जाती है। वहीं इस माह की कालाष्टमी पर आयुष्मान और सौभाग्य योग बन रहा है।

कालाष्टमी व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है?

कालाष्टमी व्रत के दिन आयुष्मान योग बन रहा है और इसके बाद सौभाग्य योग बनने जा रहा है। इन योगों के अलावा त्रिपुष्कर योग भी बन रहा है।

  • ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 5 बजकर 21 मिनट से लेकर 06 बजकर 16 मिनट तक है।
  • विजय मुहूर्त - दोपहर के समय 2 बजकर 3 मिनट से लेकर 3 बजकर 44 मिनट तक है।
  • गोधूलि मुहूर्त - शाम 5 बजकर 27 मिनट से लेकर 5 बजकर 44 मिनट तक रहेगा।
  • निशिता मुहूर्त - रात 11 बजकर 53 मिनट से आरंभ हो रहा है और इसका समापन 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगा।

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कालाष्टमी व्रत के दिन कालभैरव बाबा की पूजा का महत्व क्या है?

kalbhairav

कालभैरव को नकारात्मक शक्तियों और बुरी आत्माओं का नाश करने वाला माना जाता है। इस दिन उनकी पूजा करने से इन शक्तियों का प्रभाव कम होता है और व्यक्ति को उत्तम परिणाम मिलते हैं। कालभैरव को शत्रुओं का नाश करने वाला भी माना जाता है। उनकी पूजा करने से शत्रुओं से मुक्ति मिलती है और जीवन में शांति आती है। कालभैरव की पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कालभैरव की पूजा करने से ग्रह दोषों से छुटकारा मिल सकता है। कालभैरव की पूजा करने से अकाल मृत्यु का खतरा टल जाता है।

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Image Credit- HerZindagi

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