इन गलतियों के कारण हो न जाए निर्जला एकादशी का व्रत खंडित, जानें पारण की सही विधि

आप में से बहुत से लोग निर्जला एकादशी का व्रत रख रहे होंगे, ऐसे में अक्सर छोटी-मोटी गलतियों के कारण व्रत खंडित हो जाता है और पारण करने के बाद भी व्रत का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता है। 
nirjala ekadashi 2025 vrat paran vidhi

निर्जला एकादशी का व्रत 6 जून, शुक्रवार के दिन रखा जाएगा। इस दिन व्रती अन्न के साथ-साथ जल का भी उपवास के दौरान त्याग करते हैं। निर्जला एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा-आराधना करने से सभी एकादशियों के बराबर पुण्य की प्राप्ति होती है। निर्जला एकादशी के दिन व्रत रखने से व्रती को भगवान विष्णु की असीम कृपा और घर में मां लक्ष्मी का वास प्राप्त होता है।

हां, मगर निर्जला एकादशी का व्रत तभी पूर्ण माना जाता है जब उसका पारण विधि पूर्वक किया जाए। आप में से बहुत से लोग निर्जला एकादशी का व्रत रख रहे होंगे, ऐसे में अक्सर छोटी-मोटी गलतियों के कारण व्रत खंडित हो जाता है और पारण करने के बाद भी व्रत का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता है। ऐसे में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं कि निर्जला एकादशी के दिन क्या है व्रत पारण करने का सही तरीका और किस मुहूर्त में खोलें उपवास।

निर्जला एकादशी 2025 व्रत पारण शुभ मुहूर्त

kab kare nirjala ekadashi 2025 ke vrat ka paran

एकादशी का व्रत द्वादशी के दिन खोला जाता है। ऐसे में एकादशी तिथि अगर 6 जून की है तो द्वादशी तिथि 7 जून को पड़ेगी, यानी कि निर्जला एकादशी व्रत का पारण 7 जून को किया जाएगा। वहीं, मुहूर्त की बात करें तो निर्जला एकादशी का व्रत खोलने के लिए शुभ समय दोपहर 01 बजकर 44 मिनट से लेकर शाम 04 बजकर 31 मिनट तक है। इस मुहूर्त में व्रत पारण करने से एकादशी व्रत का दोगुना फल मिलेगा।

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निर्जला एकादशी 2025 व्रत पारण सामग्री

निर्जला एकादशी का व्रत पारण करना बहुत सरल है। इसक लिए आपको सबसे पहले कुछ सामग्री एकत्रित कर लेनी ताकि व्रत खोलते समय किसी प्रकार की कोई असुविधा न हो और व्रत अपूर्ण न रह जाए। निर्जला एकादशी व्रत पारण के लिए एक थाली में फूल, धूप, दीप, मिठाई, नारियल, एक ग्लास पानी और कुछ दक्षिणा दान के लिए रखें। बिना दान किये एकादशी का व्रत पारण पूर्ण नहीं माना जाता है।

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निर्जला एकादशी 2025 व्रत पारण विधि

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सबस पहले द्वादशी तिथि यानी कि 7 जून को सुबह प्रातः स्नान कर लें। इसके बाद भगवान विष्णु के सामने बैठकर उनका ध्यान करें। भगवान विष्णु के महा मंत्र 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' का जाप करें। फिर भगवान विष्णु को सभी पूजा सामग्री अर्पित करते हुए दीपक जलाएं। फिर भोग में लगाए गए पानी से आना व्रत खोलें और मिठाई भी खाएं। इसके बाद दक्षिणा का किसी जरूरतमंद को दान करें।

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image credit: herzindagi

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FAQ

  • निर्जला एकादशी के दिन भगवान विष्णु को क्या भोग लगाएं? 

    निर्जला एकादशी के दिन भगवान विष्णु को नारियल या खीर का भोग लगाएं।