निर्जला एकादशी हिंदू धर्म में सबसे महत्वपूर्ण एकादशियों में से एक मानी जाती है, जो ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। यह एकादशी 6 जून 2025 को मनाई जाएगी। इस दिन व्रत रखने वाले व्यक्ति को साल भर की सभी 24 एकादशियों का पुण्य फल प्राप्त होता है। यह व्रत सबसे कठिन व्रतों में से एक है क्योंकि इसमें भगवान विष्णु की भक्ति में बिना अन्न और जल के उपवास रखा जाता है।
मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है, जिससे मृत्यु के बाद स्वर्ग में स्थान मिलता है। इसके अलावा, ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें बताया कि निर्जला एकादशी के दिन पिंडदान करने का भी खासा महत्व मौजूद है। निर्जला एकादशी के दिन पिंड दान करने से पूर्वजों का आशीर्वाद मिलता है और उनका क्रोध शांत हो जाता है। आइये जानते हैं निर्जला एकादशी के दिन पिंडदान की विधि और क्या है इसका महत्व।
निर्जला एकादसी 2025 पिंडदान की विधि
निर्जला एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए निर्जला एकादशी व्रत का संकल्प लें। इसी समय अपने पूर्वजों का स्मरण करें, उनसे आशीर्वाद की कामना करें और मन ही मन प्रार्थना करें कि आपके व्रत और दान से उन्हें शांति मिले।
थोड़े से पके हुए चावल लें। इसमें काले तिल, थोड़ा सा दूध और गंगाजल मिलाएं। इन सभी सामग्री को अच्छे से मिलाकर अपने पूर्वजों का स्मरण करते हुए पिंड का रूप दें। आप चाहें तो एक या तीन पिंड बना सकते हैं, जो आपके पूर्वजों की संख्या और परंपरा पर निर्भर करता है।
यह भी पढ़ें:निर्जला एकादशी पर होगा महा ग्रह गोचर, इन राशियों को हो सकता है आर्थिक लाभ
शास्त्रों में एकादशी के दिन चावल का पिंड सीधे तौर पर पितरों को अर्पित नहीं किया जाता है क्योंकि इस दिन अन्न ग्रहण वर्जित होता है। ऐसे में इस पिंड को अपने पूर्वजों का स्मरण करते हुए तुलसी के पौधे के पास या घर के मंदिर में रख सकते हैं। इससे न तो दोष लगता है और पितृ भी प्रसन्न होते हैं।
पद्म पुराण और नारद पुराण में उल्लेख है कि एकादशी के दिन पिंड बनाकर उसे सूंघकर गाय को खिला देना चाहिए। यह पितरों को तृप्त करने का एक सांकेतिक तरीका माना जाता है। गाय को भोजन कराना अत्यधिक शुभ माना जाता है।
निर्जला एकादशी पर जल का दान सबसे बड़ा दान माना जाता है और यह पितरों को विशेष रूप से तृप्त करता है। घर में जल से भरा एक कलश रखें, उसे सफेद वस्त्र से ढकें और उस पर चीनी व दक्षिणा रखकर किसी ब्राह्मण को दान दें। सार्वजनिक स्थानों पर या मंदिर में प्याऊ लगवाएं।
निर्जला एकादसी 2025 पिंडदान का महत्व
यह माना जाता है कि इस दिन किया गया दान और पितरों का स्मरण उनकी आत्माओं को शांति और तृप्ति प्रदान करता है। जल का दान विशेष रूप से पितरों को प्रसन्न करता है क्योंकि यह गर्मी के मौसम में उन्हें शीतलता प्रदान करता है।
जो लोग पितृ दोष से पीड़ित हैं या जिनके पितर किसी कारण से अतृप्त हैं, उनके लिए निर्जला एकादशी पर पिंडदान और दान-पुण्य करना पितृ दोष से मुक्ति पाने का एक प्रभावी तरीका है। इससे पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
निर्जला एकादशी को सभी एकादशियों में श्रेष्ठ माना गया है। इस दिन किए गए किसी भी शुभ कार्य और दान का फल कई गुना बढ़ जाता है। पिंडदान और जल दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है जो जन्म-जन्मांतर तक व्यक्ति के साथ रहता है।
भगवान विष्णु की कृपा से और इस दिन किए गए पुण्य कर्मों से व्यक्ति के पापों का नाश होता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है। पितरों को भी इससे सद्गति प्राप्त होती है।
यदि आप किसी कारणवश नियमित श्राद्ध कर्म या पिंडदान नहीं कर पा रहे हैं, तो निर्जला एकादशी पर किया गया यह सांकेतिक पिंडदान आपके पितरों के प्रति आपकी श्रद्धा और सम्मान को दर्शाता है। यह उन्हें यह संदेश देता है कि आप उन्हें भूले नहीं हैं और उनकी शांति के लिए प्रयास कर रहे हैं।
अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं और अपना फीडबैक भी शेयर कर सकते हैं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
image credit: herzindagi
HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों