अपरा एकादशी का व्रत 23 मई, दिन शुक्रवार को रखा जाएगा। अपरा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से पाप कर्मों के फल नष्ट हो जाते हैं और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। हालांकि ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें बताया कि अपरा एकादशी की पूजा तभी सफल होती है जब व्रत का पालन नियमों के साथ किया जाए। शास्त्रों में भी इस बात का उल्लेख मिलता है कि एकादशी का व्रत तभी रखें जब उसका पालन करने में आप सक्षम हों, नहीं श्रद्धा पूर्वक की गई मात्र पूजा भी भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए काफी है। ऐसे में अगर आप भी अपरा एकादशी का व्रत रख रहे हैं तो यहां जान लें इस व्रत से जुड़े नियम।
अगर आप बीमार नहीं हैं, गर्भवती नहीं हैं, शारीरिक रूप से स्वस्थ हैं और अपरा एकादशी का व्रत रख रहे हैं तो ऐसे में इस बात का ध्यान रखें कि बार-बार कुछ न कुछ खाते-पीते न रहें फिर चाहे वह व्रत का भोजन ही क्यों न हो। ऐसा इसलिए क्योंकि व्रत का अर्थ है अन्न-जल का त्याग लेकिन शारीरिक क्षमता के अनुसार, फलाहार करने की छूट दी गई है। मगर इसका अर्थ ये नहीं कि व्रत भी रखा है और दिनभर खाना-पीना भी चल रहा है। ऐसे में इस प्रकार का व्रत कभी सफल नहीं होता है।
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हम में से बहुत से ऐसे लोग होंगे जो एक तरफ व्रत रखते होंगे और दूसरी तरफ बुरा आचरण अपनाते होंगे। अपरा एकादशी का व्रत भयंकर पापों की काट माना जाता है, ऐसे में अगर आप अपरा एकादशी का व्रत रखने के बाद किसी के प्रति बुरे शब्द बोलते हैं, बुरा व्यवहार करते हैं या बुरा सोचते भी हैं तो इअसे में व्रत तो निष्फल होगा ही साथ में उल्टा प्रभाव भी झेलना पड़ सकता है। व्रत खंडित हो जाएगा और पूजा में दोष लगेगा एवं बुरे आचरण के करण पापों में वृद्धि होने लगेगी।
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अपरा एकादशी के दिन व्रत रक् रहे हैं तो पूजा भी अवश्य करें। कई बार ऐसा होता है कि व्रत तो लोग रख लेते हैं लेकिन न तो एकादशी के दिन पूजा करते हैं और न ही द्वादशी के दिन व्रत खोलते समय पूजा करना अनिवार्य समझते हैं। ऐसे में व्रत कभी भी पूर्ण नहीं माना जाता है। अपरा एकादशी का व्रत रख रहे हैं तो फिर एकादशी के दिन भी पूजा करें और द्वादशी के दिन भी। हां, अगर ऑफिस या अन्य किसी कारण से एकादशी की पूजा सुबह नहीं कर पाएं तो शाम के समय करें, लेकिन पूजा अवश्य करें।
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