
हिंदू पंचांग में खरमास वह समय माना जाता है जब सूर्य देव धनु राशि में प्रवेश करते हैं। यह समय साल में दो बार आता है और एक महीने तक चलता है। इस दौरान शुभ कामों की मनाही होती है, लेकिन पूजा-पाठ पर जोर दिया जाता है। मुख्य रूप से इस दौरान सूर्यदेव और विष्णु जी का पूजन किया जाता है। इस साल खरमास दिसंबर महीने में शुरू हो रहा है और यह जनवरी में समाप्त होगा। इस पूरे समय को लेकर कई नियम बनाए गए हैं और इनका पालन करना बहुत शुभ होता है। इस समय को लेकर भक्तों के मन में कई सवाल होते हैं जैसे खरमास में शुभ काम वर्जित क्यों होते हैं? इस दौरान नया घर खरीदना या किसी भी नई चीज की शुरुआत क्यों नहीं करनी चाहिए? ऐसे ही कई सवाल खरमास को लेकर गूगल ट्रेंड में भी पूछे जा रहे हैं और इन्हीं सवालों का जवाब जानने के लिए हमने ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से बात की। आइए जानें इस साल कब से लग रहा है खरमास और इससे जुड़ी अन्य कई बातें।
ऐसा माना जाता है कि हर साल जब सूर्य धनु या मीन राशि में प्रवेश करते हैं, तो खरमास का समय आरंभ होता है। ऐसे में साल में दो बार खरमास का समय आता है। इस साल की समाप्ति में यानी कि दिसंबर में खरमास आरंभ हो रहा है जो 14 जनवरी 2026 तक चलेगा।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, सूर्यदेव सात घोड़ों द्वारा खींचे जाने वाले रथ पर सवार होकर निरंतर ब्रह्मांड की परिक्रमा करते हैं। ऐसे में मान्यताओं के अनुसार निरंतर यात्रा के कारण उनके घोड़े थक जाते हैं और उन्हें प्यास भी लगती है। अपने घोड़ों की ऐसी दुर्दशा देखकर दुखी होकर सूर्यदेव उन्हें एक तालाब के पास ले जाते हैं, लेकिन रथ रुकता नहीं है। तभी उन्हें तालाब के पास दो गधे यानी कि खर दिखाई देते हैं। उस समय सूर्यदेव अपने घोड़ों को तालाब के पास विश्राम करने के लिए छोड़ देते हैं और रथ में घोड़ों की जगह गधे यानी खर लगा देते हैं।
गधों की धीमी गति के कारण सूर्य देव का रथ भी धीमा चलने लगता है।चूंकि एक महीने तक सूर्यदेव के घोड़े विश्राम करते हैं और और उनका रथ गधे खींचते हैं, इसी वजह से इस समय को खरमास कहा जाता है। सूर्य का तेज उनके रथ में मौजूद सात घोड़ों की वजह से ही होता है और इसी वजह से इस पूरे महीने सूर्य का तेज कम हो जाता है और हिंदू धर्म में सूर्य को अत्यंत विशेष देवता के रूप में पूजा जाता है, इसी वजह से सूर्यदेव की कमजोर स्थिति की वजह से इस दौरान शुभ काम करने की मनाही होती है। इस समय के एक महीने बाद, घोड़े विश्राम करके पुनः चैतन्य अवस्था में आ जाते हैं और सूर्य देव फिर से गधों की जगह घोड़ों को अपने रथ में लगा देते हैं। इसके बाद सूर्य देव तेज गति से यात्रा करते हैं और मकर संक्रांति के बाद शुभ काम फिर से शुरू हो जाते हैं।

मान्यता है कि खरमास के पूरे एक महीने में सूर्य की ऊर्जा काफी कम होने लगती है, इसलिए आपको इस दौरान किसी भी शुभ काम से बचना चाहिए।
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ऐसी मान्यता है कि यदि आप खरमास के दौरान कुछ विशेष काम करती हैं तो इसका शुभ फल पूरे साल मिलता है। आइए जानें इस दौरान क्या करना ठीक है-
खरमास के दौरान यदि आप कुछ विशेष नियमों का पालन करती हैं तो आपके जीवन में इसके सकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं। आइए आपको बताते हैं उन नियमों के बारे में-

खरमास की पूरी अवधि में आपको नियमित रूप से सूर्य देव को तांबे के लोटे से जल अर्पित करना चाहिए। सूर्य को जल चढ़ाने के लिए आपको सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करना चाहिए। यदि आप इस दौरान किसी पवित्र नदी में स्नान करती हैं, तो अत्यंत शुभ माना जाता है।
खरमास के दौरान आपको ब्रह्म मुहूर्त में उठना चाहिए और नियमित रूप से पूजा-पाठ करनी चाहिए। इस दौरान हनुमान जी की पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है।
खरमास के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए ईश्वर का ध्यान करना चाहिए।
खरमास के दौरान दान-पुण्य का विशेष महत्व होता है। इस महीने में जरूरतमंदों को दान देना अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दौरान भोजन, मूंग दाल, मसूर दाल और गुड़ का दान करने से भक्तों को विशेष लाभ प्राप्त होते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दौरान दान करने से सूर्य देव का आशीर्वाद मिलता है और जीवन की सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं।
यदि आप इस दौरान जरूरतमंदों को उनकी आवश्यकता की चीजों का दान करती हैं तो यह भी अत्यंत शुभ माना जाता है।

खरमास के महीने में आपको कुछ विशेष उपाय आजमाने चाहिए जिससे घर की समृद्धि बनी रहे और खुशहाली आए। आइए जानें क्या है वो उपाय-
खरमास में ब्राह्मण भोज करवाना अत्यंत शुभ माना जाता है। इससे न केवल पितृ प्रसन्न होते हैं, बल्कि घर में समृद्धि भी बनी रहती है। इस दौरान ब्राह्मण को भोजन कराने से व्यक्ति के पाप दूर होते हैं और जीवन में आने वाली रुकावटें दूर होने लगती हैं।
खरमास के दौरान सूर्य को नियमित अर्घ्य देना फलदायी होता है। मुख्य रूप से आप रविवार के दिन जल में एक चुटकी रोली और लाल फूल डालकर सूर्य को अर्घ्य दें। तांबे के लोटे में जल भरकर सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करें। इससे सूर्य देव प्रसन्न होते हैं और आर्थिक स्थिति अच्छी बनी रहती है।
खरमास के समय में आपको नियमित रूप से विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना चाहिए। इससे विष्णु जी की कृपा बनी रहती है और मन की शांति बढ़ती है। यही नहीं इससे घर का वातावरण भी पवित्र बना रहता है।
पूर्व दिशा को सूर्य की दिशा माना जाता है। खरमास के दौरान यदि आप नियमित रूप से शाम के समय पूर्व दिशा में घी का दीपक जलाएं तो बहुत शुभ होगा और इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहेगी। यही नहीं इस उपाय से घर की नकारात्मकता भी दूर होती है।
ज्योतिष की मानें तो खरमास का आरंभ तब होता है जब सूर्यदेव धनु या मीन राशि में प्रवेश करते हैं। इस दौरान सूर्य अपनी सर्वोत्तम स्थिति में नहीं माना जाता, इसलिए इसे अस्थिरता का काल कहा जाता है। आध्यात्मिक दृष्टि से, यह अस्थिरता हमें अपनी आंतरिक प्रवृत्तियों पर संयम रखने के लिए प्रेरित करती है।शास्त्रों के अनुसार, इस समय भगवान विष्णु स्वयं एक तपस्वी का रूप धारण करते हैं और साधकों को उपवास, जप, ध्यान और पुण्य कर्म करने के लिए प्रेरित करते हैं। खरमास हमें इस बात की प्रेरणा देता है कि जीवन में केवल सुख-सुविधाओं के बारे में नहीं बल्कि आंतरिक शांति और ईश्वर का स्मरण करने के बारे में भी सोचना चाहिए और मानव जीवन का उद्देश्य भी ईश्वर का स्मरण है।
यदि आप खरमास के दौरान यहां बताई बातों का ध्यान रखती हैं तो सदैव जीवन में खुशहाली बनी रहेगी। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसे ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
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