(Maa annapurna jayanti 2023 puja vidhi) सनातन धर्म में माता अन्नपूर्णा की पूजा करने का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन ही माता पार्वती का स्वरुप मां अन्नपूर्णा पृथ्वी पर प्रकट हुई थी। इसलिए हर साल मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा तिथि के दिन अन्नपूर्णा जयंती मनाई जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन माता अन्नपूर्णा की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है और व्यक्ति की सभी समस्याएं भी दूर हो सकती है।
इस साल दिनांक 26 दिसंबर को अन्नपूर्णा जयंती मनाई जाएगी। अब ऐसे में इस दिन माता की पूजा किस विधि से करना शुभ माना जाता है।
इसके बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
अन्नपूर्णा जयंती के दिन इस विधि से करें पूजा
- अन्नपूर्णा जयंती के दिन सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त (ब्रह्म मुहूर्त मंत्र) में स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- इसके बाद गंगाजल से पूरे घर को शुद्ध करें।
- इस दिन चूल्हे पर चावल, हल्दी (हल्दी के उपाय) , कुमकुम, धूप और फूल अर्पित करें।
- पूजा के समय माता पार्वती से प्रार्थना करें कि जीवन में हमेशा अन्न के भंडार भरें रहें और उनकी कृपा बनी रहे।
- आखिर में अपनी श्रद्धा के अनुसार जरूरतमंदों को गर्म कपड़े का दान करें और उन्हें भोजन कराएं। इससे लाभ हो सकता है।
- अन्नपूर्णा जयंती के दिन पूजा से हो सकता है लाभ
- अन्नपूर्णा जयंती के दिन पूजा करने से सुख-समृद्धि का आगमन हो सकता है।
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- घर में हमेशा अन्न के भंडार भरें रहेंगे।
- मां अन्नपूर्णा की पूजा करने से सभी बीमारियों से छुटकारा मिल सकता है।
- इसके दिन पूजा-पाठ और कीर्तन से मानसिक शांति मिलती है और व्यक्ति की सभी मनोकामना पूरी हो सकती है।
जानें अन्नपूर्णा जयंती का महत्व
शास्त्रों के अनुसार मां अन्नपूर्ण सुख, शांति और धन की देवी है। जो व्यक्ति इनकी विधिवत पूजा करता है। उसके ऊपर माता अन्नपूर्णा की सदैव कृपा बनी रहती है और अन्न के भंडार कभी खाली नहीं होते हैं। अगर आप चाहते हैं कि घर में सुख-समृद्धि का वास हो, तो प्रतिदिन माता अन्नपूर्णा की पूजा करनी चाहिए। इससे आर्थिक संकट से भी छुटकारा मिल सकता है।
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इस दिन करें इन मंत्रों का जाप
- ॐ सह नाववतु, सह नौ भुनक्तु, सह वीर्यं करवावहै ।
- तेजस्वि नावधीतमस्तु मा विद्विषावहै ।।
- ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ।।
- अन्नपूर्णे सदा पूर्णे शंकरप्राणवल्लभे ।
- ज्ञान वैराग्य-सिद्ध्यर्थं भिक्षां देहिं च पार्वति ।।
- माता च पार्वती देवी पिता देवो महेश्वरः।
- बान्धवाः शिवभक्ताश्च स्वदेशो भुवनत्रयम् ।।
- अगस्त्यम कुम्भकर्णम च शनिं च बडवानलनम।
- भोजनं परिपाकारथ स्मरेत भीमं च पंचमं ।।
- अन्नाद् भवन्ति भूतानि पर्जन्यादन्नसंभवः।
- यज्ञाद भवति पर्जन्यो यज्ञः कर्म समुद् भवः।।
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Image Credit- Freepik
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