शरद पूर्णिमा के दिन होने वाली कोजागरी पूजा का खास महत्व है। इस दिन रात के समय मां लक्ष्मी पृथ्वी पर आती हैं और यह देखती हैं कि कौन जाग रहा है। ऐसा कहा जाता है कि जो भक्त रात भर जग कर मां लक्ष्मी की पूजा- अर्चना और उनका ध्यान करता है, उन्हें देवी लक्ष्मी धन, समृद्धि और सौभाग्य का आशीर्वाद देती हैं। इसके अलावा इस रात को चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से भरपूर होता है और माना जाता है कि इसकी चांदनी में अमृत का वास होता है। अब ऐसे में इस रात खीर बनाकर खुले आसमान के नीचे रखी जाती है जिसे अगले दिन प्रसाद के रूप में खाने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है। चलिए वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से जानते हैं कोजागरी पूजा की सही तारीख, पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व
शरद पूर्णिमा के दिन कोजागरी पूजा की जाती है, जिसके कारण इस दिन को कोजागर पूर्णिमा भी कहते हैं। इस साल कोजागरी पूजा 6 अक्टूबर 2025, सोमवार को मनाई जाएगी। पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 6 अक्टूबर 2025 को दोपहर 12 बजकर 23 मिनट पर होगी और इसका समापन अगले दिन 7 अक्टूबर, 2025 को सुबह 9 बजकर 16 मिनट पर होगा। जैसा कि यह पूजा रात में की जाती है और 6 अक्टूबर को ही चंद्रोदय होगा इसलिए पूजा इसी दिन करना शुभ माना जाएगा।
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इस वर्ष कोजागरी पूजा का शुभ मुहूर्त रात के समय रहेगा क्योंकि इस समय मां लक्ष्मी पृथ्वी पर आती करती हैं। कोजागरी पूजा के लिए सबसे महत्वपूर्ण समय निशिता काल होता है जो आधी रात के आस-पास आता है।
6 अक्टूबर 2025 की रात को निशिता काल पूजा का शुभ मुहूर्त रात 11 बजकर 45 मिनट से शुरू होकर देर रात 12 बजकर 34 मिनट तक रहेगा। इस दौरान आपको मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करनी चाहिए।
कोजागरी पूजा, जिसे हम शरद पूर्णिमा की रात करते हैं, इसका सबसे बड़ा और मुख्य लाभ है मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होना। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस रात देवी लक्ष्मी पृथ्वी का भ्रमण करती हैं इसलिए जो लोग रात भर जागकर विधि-विधान से मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं उन्हें देवी बहुत जल्द प्रसन्न होकर धन और समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। यह पूजा आपके घर में धन की कमी को दूर करती है और आर्थिक संकटों से मुक्ति दिलाती है।
दूसरा बड़ा लाभ स्वास्थ्य और दीर्घायु से जुड़ा है। शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से भरा होता है और उसकी चांदनी में अमृत के समान औषधीय गुण होते हैं। इस रात खुली चांदनी में खीर बनाकर रखने की परंपरा है। माना जाता है कि चंद्रमा की किरणें उस खीर को अमृतमय बना देती हैं। अगले दिन इस प्रसाद को खाने से शरीर निरोगी रहता है, कई रोग दूर होते हैं और व्यक्ति को लंबी उम्र मिलती है। यह खीर एक तरह से प्राकृतिक औषधि का काम करती है।
इस पूजा का एक और महत्वपूर्ण लाभ सुख-शांति और सौभाग्य की प्राप्ति है। कोजागरी पूजा की रात केवल मां लक्ष्मी ही नहीं बल्कि भगवान विष्णु और चंद्रदेव की भी आराधना की जाती है। इन तीनों देवताओं की एक साथ पूजा करने से जीवन में खुशहाली, पारिवारिक शांति और वैवाहिक सुख आता है। यह पूजा घर के सदस्यों के बीच प्रेम और सद्भाव बढ़ाती है और दुर्भाग्य को दूर करके जीवन में सौभाग्य लाती है।
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