(Kaal Bhairav Jayanti 2023) हिंदू कैलेंडर के हिसाब से इस साल मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि यानी कि दिनांक 05 दिसंबर को कालाष्टमी मनाई जाएगी। इसे काल भैरव जयंती भी कहा जाता है। इस दिन भगवान शिव के रौद्र रूप की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि कालाष्टमी के दिन काल भैरव की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन के सभी कष्ट, दुख दूर हो सकते हैं और सुख-समृद्धि की भी प्राप्ति हो सकती है।
हिंदू धर्म में कालाष्टमी बेहद महत्वपूर्ण माना गया है। वहीं कालाष्टमी का व्रत हर माह किया जाता है। अब ऐसे में इस साल कालाष्टमी की पूजा किस मुहूर्त में करना शुभ माना जाता है और पूजा का महत्व क्या है।
इसके बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
कालाष्टमी व्रत का शुभ मुहूर्त क्या है? (Kalashtami Vrat Shubh Muhurat 2023)
पंचांग के अनुसार इस साल दिनांक 04 दिसंबर को रात 09 बजकर 59 मिनट पर मार्गशीर्ष मास के कृष्ण (श्रीकृष्ण मंत्र) पक्ष की अष्टमी तिथि शुरू होगी और इसका समापन दिनांक 06 दिसंबर को सुबह 12 बजकर 37 मिनट पर होगा। काल भैरव की पूजा रात के समय ही करना शुभ माना जाता है। इसलिए इनकी पूजा रात्रि में ही करें।
जानें कालाष्टमी पूजा का क्या है महत्व ? (Significance of Kalashtami Puja)
कालाष्टमी के दिन भगवान शिव (भगवान शिव मंत्र) के रौद्र रूप की पूजा करने का विशेष विधि-विधान है। इस दिन काल भैरव की पूजा विधिवत करना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि इससे व्यक्ति को सभी पाप और दुख से छुटकारा मिल सकता है और भगवान शिव की कृपा बनी रहती है। वहीं जिस भी जातक की कुंडली में राहु दोष से उससे भी छुटकारा मिल सकता है।
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साथ ही व्यक्ति को शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि काल भैरव का पूजन करने से नकारात्मक शक्तियों और भूत-प्रेत जैसी समस्याओं से भी छुटकारा मिल सकता है। काल भैरव को काशी का कोतवाल भी कहा जाता है। इसलिए इनकी पूजा के बिना भगवान विश्वनाथ की आराधना करना अधूरी है।
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कालाष्टमी के दिन करें इन मंत्रों का जाप (Kalashtami Puja Mantra)
कालाष्टमी के दिन इन मंत्रों का जाप रात्रि में 108 बार करें। इसके शुभ परिणाम मिल सकते हैं।
- ॐ कालभैरवाय नम:
- ॐ भयहरणं च भैरव:
इस मंत्र का जाप आप संध्या के समय कर सकते हैं और इस बात का ध्यान रखें कि मंत्र का जाप करने के दौरान कोई आपके आसपास न हो। इसका जाप आप 21 बार कर सकते हैं।
- ॐ ह्रीं बं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं.
- ओम भ्रां कालभैरवाय फट्.
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