January Kalashtami 2025: जनवरी महीने की पहली कालाष्टमी कब है, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व

हिंदू धर्म में कालाष्टमी का व्रत भगवान शिव के रौद्र रूप कालभैरव बाबा को समर्पित है। अब ऐसे में जनवरी महीने का पहला कालाष्टमी व्रत कब रखा जाएगा। इसके बारे में इस लेख में विस्तार से जानते हैं।
january kalashtami 2025 date shubh muhurat and significance
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हिंदू धर्म में कालाष्टमी का व्रत विशेष रूप से कालभैरव बाबा और उनके उग्र रूप के पूजन से जुड़ा हुआ है। यह व्रत विशेष रूप से काली माता और शिवजी के काल रूप की पूजा के रूप में मनाया जाता है। आमतौर पर यह व्रत हर माह के अष्टमी तिथि को होता है, जो ग्रहों और नक्षत्रों के आधार पर बदलता रहता है। ऐसी मान्यता है कि कालभैरव बाबा के इस स्वरूप की पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति को नजरदोष से छुटकारा मिल सकता है और उत्तम फलों की भी प्राप्ति हो सकती है। अब ऐसे में जनवरी माह का पहला कालाष्टमी व्रत कब रखा जाएगा। इसके बारे में इस लेख में विस्तार से जानते हैं।

जनवरी महीने का पहला कालाष्टमी व्रत कब रखा जाएगा?

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मार्गशीर्ष के कृष्ण पक्ष में आने वाली कालाष्टमी, जिसे कालभैरव जयंती के नाम से जाना जाता है, हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह त्योहार तब और भी अधिक पवित्र हो जाता है जब यह रविवार या मंगलवार को पड़ता है, क्योंकि ये दिन भगवान भैरव को समर्पित होते हैं और इन दिनों की पूजा का विशेष महत्व है। वहीं इस साल कालाष्टमी व्रत 21 जनवरी को 12 बजकर 39 मिनट से लेकर इसका समापन 22 जनवरी को 03 बजकर 18 मिनट तक रहने वाला है।

कालाष्टमी व्रत के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है?

कालाष्टमी व्रत के दिन पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 21 जनवरी को रात 10 बजकर 32 मिनट तक पूजा कर सकते हैं। आप कालभैरव बाबा की पूजा प्रदोष काल में कर सकते हैं।

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कालाष्टमी व्रत के दिन पूजा का महत्व क्या है?

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कालाष्टमी के दिन काल भैरव की पूजा करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है, क्योंकि वह समय और मृत्यु के देवता माने जाते हैं। उनकी पूजा करने से भय, असमय मृत्यु और संकटों से मुक्ति मिलती है। इस दिन व्रत रखने से जीवन के पापों से मुक्ति मिलती है और पुण्य की प्राप्ति होती है। यह व्रत खासकर उन लोगों के लिए शुभ है जो जीवन में मानसिक शांति और संतुलन चाहते हैं। कालाष्टमी व्रत, विशेष रूप से रात्रि को किया जाता है, और इसे काले रंग के वस्त्र पहनकर और व्रत रखकर किया जाता है।

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Image Credit- HerZindagi

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