Kaal Bhairav Jayanti Vrat Katha 2024: क्यों मनाई जाती है हर महीने काल भैरव जयंती? जानें व्रत कथा

ऐसा माना जाता है कि काल भैरव भगवान तांत्रिक श्रेणी के देवताओं में आते हैं। ऐसे में गृहस्थियों के लिए इनकी पूजा करना वर्जित माना गया है, लेकिन भगवान काल भैरव की व्रत कथा कालाष्टमी या भैरव जयंती के दिन पढ़ना शुभ होता है।
kaal bhairav jayanti 2024 katha
kaal bhairav jayanti 2024 katha

भगवान काल भैरव भगवान शिव के रौद्र रूपों में से एक माने जाते हैं। भगवान काल भैरव काशी के कोतवाल भी कहलाते हैं। हर माह की अष्टमी तिथि के दिन कालाष्टमी के रूप में भैरव जयंती मनाई जाती है। इस दिन भगवान शिव के काल भैरव स्वरूप की पूजा का विधान है। ऐसा माना जाता है कि काल भैरव भगवान तांत्रिक श्रेणी के देवताओं में आते हैं।

ऐसे में गृहस्थियों के लिए इनकी पूजा करना वर्जित माना गया है, लेकिन ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें बताया कि भगवान काल भैरव की व्रत कथा कालाष्टमी या भैरव जयंती के दिन अवश्य पढ़नी चाहिए। इससे व्यक्ति के भीतर मौजूद डर का अंत होता है और निर्भीक स्वभाव जन्म लेता है। ऐसे में आइये जानते हैं काल भैरव जयंती की व्रत कथा।

काल भैरव जयंती व्रत कथा

kya hai bhagwan kaal bhairav ki puja ka mahatva

बहुत समय पहले काशी नगरी में एक ब्राह्मण रहता था जिसका नाम त्रिलोचन था। वह हर दिन भगवान शिव की पूजा करता था। एक दिन उसने सोचा कि भगवान शिव का दर्शन किस प्रकार प्राप्त करूं। उसने तय किया कि वह गंगा नदी में स्नान करने के बाद उपवास रखेगा और शिवजी की आराधना करेगा।

यह भी पढ़ें:क्या शिव पुराण का पाठ शाम को कर सकते हैं?

ब्राह्मण का उपवास कठिन था। वह भूख-प्यास से परेशान हो गया लेकिन उसने अपना व्रत नहीं तोड़ा। तब भगवान शिव ने उसकी परीक्षा लेने का सोचा। भगवान शिव ने उसे हर प्रकार से भयभीत करने की कोशिश की, यह आभास कराने की कोशिश की कि शिव जी उसे दर्शन नहीं देंगे और वो भूखा ही मर जाएगा।

kya hai bhagwan kaal bhaira ki puja ke labh

मगर जब ब्राह्मण नहीं डरा तब शिव जी अपने भैरव रूप में उसके सामने प्रकट हो गए। भगवान शिव को लगा ता कि रौद्र रूप देख वह घबरा जाएगा और गंगा नदी से बाहर निकल कर अपना व्रत तोड़कर भाग जाएगा पर हुआ उल्टा। ब्राह्मण की आंखें भर आईं और उसने काल भैरव रूप को प्रणाम किया।

यह भी पढ़ें:क्या घर में दो शिवलिंग रखे जा सकते हैं?

यह देख शिव जी ने उसे अपने सौम्य रूप के दर्शन देते हुए उसके कष्टों को हर लेने का आशीर्वाद दिया। शिव जी ने यह वरदान भी दिया कि ब्राह्मण की भांति ही काल भैरव जयंती के दिन जो भी कोई व्यक्ति काल भैरव भगवान से डरने के बजाय उनकी शरण में श्रद्धा से आएगा उसके मन का भय दूर हो जाएगा।

अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

image credit: herzindagi

HzLogo

HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!

GET APP