इस साल शारदीय नवरात्रि का पर्व 15 अक्टूबर से शुरू होने जा रहा है। माता के इस पर्व में अष्टमी और नवमी के दिन लोग कन्या पूजन करके अपने नौ दिनों का व्रत तोड़ते हैं।
कन्या पूजन के दौरान भैरव के रूप में एक छोटे बालक की भी पूजा होती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर नवरात्रि में काल भैरव का नवरात्रि पूजा में होना इतना जरूरी क्यों माना जाता है।
आइए इस लेख में हम ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानेंगे कि आखिर नवरात्रि पर्व भैरव बाबा के बिना अधूरा क्यों माना जाता है।
भैरव बाबा की पूजा से पूरी होती है मनोकामना
पंडित अरविंद त्रिपाठी कहते हैं कि जो लोग नवरात्रि में विशेष सिद्धियों के साथ बाबा की पूजा अर्चना करते हैं, माता उनकी सभी मुरादें पूरी करती हैं। लेकिन उनके लिए भैरव बाबा की पूजा करना जरूरी होता है।
इसलिए आपने भी ध्यान दिया होगा कि जहां भी मां दुर्गा के मंदिर हैं, वहां आस-पास काल भैरव का मंदिर जरूर बना होता है। लोग माता के दर्शन के बाद बाबा भैरव के दर्शन के लिए जाते हैं। (कलश स्थापना करने के दौरान करें इन मंत्रों का जाप)
कैसे हुआ था भैरव का जन्म?
मान्यता है कि एक बार ब्रह्मा, विष्णु और महेश के बीच इस बात को लेकर विवाद छिड़ गया कि उनमें सबसे बड़ा कौन है, कौन सबसे ज्यादा शक्तिशाली है। देखते ही देखते श्रेष्ठता को लेकर विवाद बढ़ गया और उसे सुलझाने के लिए तीनों लोकों के देवता और ऋषि मुनियों को आना पड़ गया।
ऋषि मुनियों ने आपस में विचार करके भगवान शिव को सबसे श्रेष्ठ घोषित कर दिया। लेकिन य ब्रह्मा जी को पसंद नहीं आई और वह नाराज हो गए।(स्वास्तिक नियम)
इसे भी पढ़ें- Shardiya Navratri 2023: नवरात्रि में क्या है मां दुर्गा के शस्त्रों का महत्व
ब्रह्मा जी की वजह से भोलेनाथ ने लिया भैरव बाबा का स्वरूप
ब्रह्मा जी से यह बात सहन नहीं हुई और वह भगवान शिव की शक्तियों पर सवाल खड़े करने लगे। उन्होंने ऐसी बातें कहनी शुरू कर दी, जिससे भोलेनाथ के सम्मान को ठेस पहुंचाना शुरू हो गया।
जब यह बात अधिक बढ़ गई, तो भगवान शिव को क्रोध आ गया और उन्होंने काल भैरव का रूप ले लिया। भोलेनाथ का क्रोध देखकर सभी देवी-देवता घबरा गए।
उस समय भैरव बाबा का क्रोध शांत नहीं हो रहा था और उन्होंने ब्रह्माजी के पांच मुखों में से एक मुख को काट दिया था। तभी से ब्रह्मा पंचमुख से चतुर्मुख हो गए, इसी के बाद से भैरव जी पर ब्रह्महत्या का पाप आ गया।
इस समय माता रानी ने भैरव नाथ को शांत करवाया था, इसलिए ही कन्या पूजन के दौरान भैरव बाबा की भी पूजा अर्चना की जाती है।
अगर हमारी स्टोरी से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे।
साथ ही आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हर जिंदगी से।
Image Credit- Insta
HerZindagi Video
HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों