Krishna Janmashtami Shatanamavali Stotram: कृष्ण जन्माष्टमी पर करें शतनामावली स्तोत्र का पाठ, जीवन में आएगी खुशहाली

Shri krishna Shatanamavali Stotram: जन्माष्टमी पर अगर आप कुछ खास पूजा करने की सोच रही हैं, तो इस दिन श्रीकृष्ण शतनामावली स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं। 

Krishna stotram path

Shri krishna Shatanamavali Stotram: देशभर में जन्‍माष्‍टमी की धूम है। दरअसल, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को देश भर में जगत के पालनहार भगवान श्रीकृष्ण का जनमोत्स्व मनाया जाता है। इस साल, कृष्ण जन्माष्टमी का यह खास त्योहार 26 अगस्त, दिन सोमवार को है। इस दिन भक्त श्रीकृष्ण की बड़े धूमधाम से पूजा करते हैं। धार्मिक मान्यताएं हैं कि भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति भाव से पूजा करने से जातक को जीवन में सभी प्रकार के सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है और भक्तों को सभी संकटों से मुक्ति मिलती है। ऐसे में, अगर आप भी अपने जीवन में व्याप्त दुख और संकट से छुटकारा पाना चाहते हैं, तो कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर पूजा के दौरान श्रीकृष्ण शतनामावली स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं। इस स्तोत्र के पाठ से बाल गोपाल प्रसन्न होते हैं। इनकी कृपा से जातक के सभी बिगड़े काम बनने लगते हैं और जीवन में खुशहाली भी आ सकती है। इसी आर्टिकल के माध्यम से श्रीकृष्ण शतनामावली स्तोत्र पढ़कर आप भी जन्माष्टमी के मौके पर पाठ सकते हैं।

श्रीकृष्ण शतनामावली स्तोत्र (Shri krishna Shatanamavali Stotram Lyrics)

Krishna Janmashtami  Puja Mantra

श्रीकृष्ण: कमलानाथो वासुदेवः सनातनः !

वसुदेवात्मजः पुण्यो लीलामानुषविग्रहः ॥

श्रीवत्सकौस्तुभधरो यशोदावत्सलो हरिः !

चतुर्भुजात्तचक्रासिगदाशंखाद्युदायुधः ॥

देवकीनन्दनः श्रीशो नन्दगोपप्रियात्मजः !

यमुनावेगसंहारी बलभद्रप्रियानुजः ॥

पूतनाजीवितहरः शकटासुरभञ्जनः !

नन्दव्रजजनानन्दी सच्चिदानन्दविग्रहः ॥

नवनीतविलिप्ताङ्गो नवनीतनटोऽनघः !

नवनीतनवाहारो मुचुकुंदप्रसादकः ॥

षोडशस्त्रीसहस्रेशो त्रिभंगीललिताकृतिः !

शुकवागमृताब्धीन्दुः गोविन्दो गोविदां पतिः॥

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Krishna Janmashtami  kab hai

वत्सवाटचरोऽनन्तो धेनुकासुरमर्द्दनः !

तृणीकृततृणावर्तो यमलार्जुनभञ्जनः ॥

उत्तालतालभेत्ता च तमालश्यामलाकृतिः !

गोपगोपीश्वरो योगी कोटिसूर्यसमप्रभः॥

इलापतिः परंज्योतिः यादवेन्द्रो यदूद्वहः

वनमाली पीतवासा पारिजातापहारकः ॥

गोवर्धनाचलोद्धर्त्ता गोपालस्सर्वपालकः !

अजो निरञ्जनः कामजनकः कञ्जलोचनः॥

मधुहा मथुरानाथो द्वारकानायको बली !

वृन्दावनांतसञ्चारी तुलसीदामभूषणः ॥

स्यमन्तकमणेर्हर्ता नरनारायणात्मकः !

कुब्जाकृष्टांबरधरो मायी परमपूरुषः ॥

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मुष्टिकासुरचाणूरमल्लयुद्धविशारदः !

संसारवैरि कंसारी मुरारी नरकान्तकः ॥

अनादिब्रह्मचारी च कृष्णाव्यसनकर्शकः !

शिशुपालशिरच्छेत्ता दुर्योधनकुलान्तकः ॥

विदुराक्रूरवरदो विश्वरूपप्रदर्शकः !

सत्यवाक्सत्यसंकल्पः सत्यभामारतो जयी ॥

सुभद्रापूर्वजो विष्णुः भीष्ममुक्तिप्रदायकः !

जगद्गुरुर्जगन्नाथो वेणुनादविशारदः ॥

वृषभासुरविध्वंसी बाणासुरबलांतकः !

युधिष्ठिरप्रतिष्ठाता बर्हिबर्हावतंसकः ॥

पार्थसारथिरव्यक्तो गीतामृतमहोदधिः !

कालीयफणिमाणिक्यरञ्जितश्रीपदांबुजः ॥

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दामोदरो यज्ञभोक्ता दानवेन्द्रविनाशकः

नारायणः परंब्रह्म पन्नगाशनवाहनः ॥

जलक्रीडासमासक्तगोपीवस्त्रापहारकः !

पुण्यश्लोकस्तीर्थपादो वेदवेद्यो दयानिधिः ॥

सर्वभूतात्मकस्सर्वग्रहरूपी परात्परः !

एवं कृष्णस्य देवस्य नाम्नामष्टोत्तरं शतं, ॥

कृष्णनामामृतं नाम परमानन्दकारकं,

अत्युपद्रवदोषघ्नं परमायुष्यवर्धनम् !

श्रीकृष्ण: कमलानाथो वासुदेवः सनातनः !

वसुदेवात्मजः पुण्यो लीलामानुषविग्रहः ॥

जन्माष्टमी के दिन आप इस स्तोत्र पाठ कर सकती हैं। आप चाहें तो हाथी घोड़ा पालकी जय कन्या लाल की भी जप सकती हैं। इसी के साथ आप जन्माष्टमी को घर पर धूम-धाम से मना सकती हैं।

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Image credit- Herzindagi

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