सनातन धर्म में नागों का विशेष महत्व है और उन्हें देवता के रूप में पूजा जाता है। वहीं, ज्योतिष शास्त्र में सर्पों से जुड़े दोषों का उल्लेख मिलता है जिन्हें नाग दोष और काल सर्प दोष के नाम से जाना जाता है। इन दोषों से व्यक्ति के जीवन में कई तरह की परेशानियां आ सकती हैं। हालांकि अक्सर लोग नाग दोष और काल सर्प दोष को एक मान कर गलत पूजा या उपाय कर लेते हैं जिसके कारण इन दोषों का प्रभाव कम होने के बजाय बढ़ जाता है। ऐसे में आज ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स के माध्यम से आइये जानते हैं कि काल सर्प दोष और नाग दोष में क्या अंतर है। साथ ही, जानेंगे इन दोनों दोषों से जुड़े उपायों के बारे में विस्तार से।
क्या होता है नाग दोष?
नाग दोष मुख्य रूप से राहु के नकारात्मक प्रभाव के कारण बनता है। यह तब उत्पन्न होता है जब कुंडली में राहु या केतु का संबंध कुछ विशेष भावों जैसे पहला, दूसरा, पांचवां, सातवां, आठवां आदि होता है। नाग दोष अक्सर पूर्वजों से संबंधित कर्मों या किसी नाग के अनादर के कारण उत्पन्न माना जाता है।
यदि पूर्वजों ने अनजाने में किसी नाग को क्षति पहुंचाई हो या फिर किसी नाग को भूल से मार दिया हो और फिर उसके बाद उस नाग का विधिवत अंतिम संस्कार न किया हो और न ही क्षमा मांगी हो। नाग दोष से पीड़ित व्यक्ति को सबसे ज्यादा वैवाहिक जीवन में परेशानियां झेलनी पड़ सकती है।
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क्या होता है काल सर्प दोष?
कालसर्प दोष तब बनता है जब राहु और केतु के बीच कुंडली के सभी 7 ग्रह सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र और शनि आ जाते हैं। इसमें कुंडली का आधा हिस्सा राहु-केतु के बीच घिर जाता है और बाकी आधा खाली रहता है। यह दोष 12 प्रकार के हैं जो राहु-केतु की स्थिति पर निर्भर करते हैं।
कालसर्प दोष से पीड़ित व्यक्ति को जीवन में संघर्ष, काम में बार-बार बाधाएं, आर्थिक परेशानियां, स्वास्थ्य समस्याएं और रिश्तों में तनाव का सामना करना पड़ता है। यहां तक कि इस दोष से पीड़ित लोगों को नींद में सांप दिखने लगते हैं या फिर बहुत ज्यादा गला घुटने जैसा महसूस होने लग जाता है।
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नाग दोष और काल सर्प दोष के कॉमन उपाय
नाग दोष और काल सर्प दोष से छुटकारा पाने के लिए भगवान शिव का अभिषेक करना बहुत शुभ माना जाता है क्योंकि नाग शिवजी के गले का हार हैं। ऐसे में शिव पूजन से इन दोनों दोषों का प्रभाव निष्फल हो जाता है। इसके अलावा, 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का रोजाना जाप भी बहुत असरदार है।
किसी भी सोमवार या फिर नाग पंचमी के दिन चांदी के नाग-नागिन का जोड़ा बनवाएं। इसे एक थाली में रखकर कच्चा दूध, बताशा और फूल अर्पित करें। फिर 'ॐ नागेंद्रहाराय नमः' मंत्र का जाप करते हुए इस जोड़े को शिवलिंग पर अर्पित कर दें। साथ ही, श्री सर्प सूक्त का पाठ भी कर सकते हैं।
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image credit: herzindagi
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