Ganesh Chaturthi Vrat Katha 2025: गणेश चतुर्थी पर पढ़े ये व्रत कथा,जीवन का हर विघ्न दूर करेंगे गणपति

Ganesh Chaturthi Vrat Katha: हिंदू धर्म में गणेशा चतुर्थी का पर्व बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है। इस दिन लोग घरों में गणपति की स्थापना करते हैं और गणेश चतुर्थी से लेकर चतुर्दशी तक गणपति की पूजा बड़े ही श्रद्धा भाव से करते हैं। साथ ही, मान्यता है कि इस दिन यदि आप पूजा के साथ व्रत कथा भी पढ़ती या सुनती हैं, तो आपके ऊपर सदैव बप्पा की कृपा दृष्टि बनी रहती है।
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गणेश चतुर्थी की पहली व्रत कथा (Ganesh Chaturthi Vrat Katha 2025)

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार देवी पार्वती ने संतान सुख की प्राप्ति के लिए भगवान शिव से प्रार्थना की। उनकी इच्छाओं की पूर्ति के लिए भगवान शिव ने देवी पार्वती को आश्वासन दिया और उनके आशीर्वाद से भगवान गणेश का जन्म हुआ।

ganesh chatuthi ki vrat katha ke bare mein

गणेश चतुर्थी की पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार देवी पार्वती ने संतान सुख की प्राप्ति के लिए भगवान शिव से प्रार्थना की। उनकी इच्छाओं की पूर्ति के लिए भगवान शिव ने देवी पार्वती को संतान प्राप्ति का आश्वासन दिया और उनके आशीर्वाद से भगवान गणेश का जन्म हुआ। गणेश जी का जन्म बहुत ही अद्भुत और चमत्कारिक तरीके से हुआ था। ऐसा माना जाता है कि एक दिन देवी पार्वती स्नान कर रही थीं और उन्होंने अपने शरीर की सफाई के लिए उबटन का इस्तेमाल किया और उस उबटन से एक बालक की रचना की। माता पार्वती के उबटन से निर्मित बालक का नाम विनायक रखा गया। हालांकि आगे चलकर भगवान शिव के साथ विनायक के विवाद की वजह से शिव जी नाराज हो गए और उन्होंने क्रोधवश उनका सिर धड़ से अलग कर दिया।

बाद में विनायक के सिर की जगह हाथी का मस्तक लगाया गया और उनका पुनर्जन्म हुआ। साथ ही, विनायक को नया नाम गणपति दिया गया। जिस दिन गणेश जी को नया जन्म मिला उस दिन भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि थी। इसी कारण से आज भी गणेश जी के जन्मोस्तव को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। इस कथा को सुनने से व्रत का पूरा फल मिलता है और भगवान गणेश सभी दुख-दर्द दूर करके सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। यह कथा हमें जीवन में आने वाली समस्त बाधाओं को दूर करने और सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा भी देती है।

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गणेश चतुर्थी 2025 की दूसरी व्रत कथा

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एक समय की बात है, एक गांव में एक गरीब ब्राह्मण रहता था। वह भगवान गणेश का बहुत बड़ा भक्त था। गणेश चतुर्थी के दिन, वह अपने घर में भगवान गणेश की प्रतिमा की पूजा करने के लिए तैयार हो गया। उसके पास पूजन के लिए बहुत कुछ नहीं था, लेकिन उसने मन से सच्ची भक्ति से पूजा की।

उसी रात भगवान गणेश जी ने सपने में ब्राह्मण को दर्शन दिए और कहा कि उसकी भक्ति और श्रद्धा ने श्री गणेश को प्रसन्न किया है और वह उसकी पूजा को स्वीकार करते हैं। गणेश जी ने ब्राह्मण को वरदान दिया कि उसे भविष्य में समृद्धि और खुशहाली प्राप्त होगी।

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अगले दिन ब्राह्मण ने देखा कि उसके घर में धन और ऐश्वर्य की भरपूरता आ गई थी। यह देखकर उसके गांववाले भी गणेश जी की पूजा करने लगे और सभी को सुख-समृद्धि प्राप्त हुई। इसके बाद से ही भाद्रपद शुक्ल पक्ष कि चतुर्थी के इन गणेश जी की पूजा का विधान शुरू हुआ।

आप भी इस लेख में गणेश चतुर्थी की व्रत कथा के बारे में जान सकते हैं। अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

image credit: herzindagi

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FAQ

  • गणेश उत्सव के दौरान क्या दान करना चाहिए? 

    गणेश उत्सव के दौरान कपड़े, भोजन, फल, अनाज, और धन दान कर सकते हैं।
  • गणेश चतुर्थी के दिन गणपति की कैसी प्रतिमा घर लानी चाहिए? 

    गणेश चतुर्थी के दिन गणपति की सफेद रंग की मूर्ति लाना सबसे शुभ माना जाता है। 
  • गणेश चतुर्थी का उपवास कैसे करते हैं?

    जो लोग गणेश चतुर्थी के दिन व्रत का पालन करते हैं उन्हें भगवान के सामने चतुर्थी व्रत करने का संकल्प लेना चाहिए और पूरे दिन फलाहार का सेवन करना चाहिए।