जिस प्रकार गणपति महोत्सव बड़े ही श्रद्धा से मनाया जाता है, उसी तरह से गणेश चतुर्थी के दिन व्रत की कथा सुनने या इसका पाठ करने का बहुत महत्व होता है। यह कथा भगवान गणेश के जन्म और उनके जीवन की घटनाओं से जुड़ी हुई है जिससे भक्तों को यह समझने में मदद मिलती है कि भगवान गणेश को क्यों 'विघ्नहर्ता' कहा जाता है। यह कथा सुनकर या पढ़कर भक्तगण अपने मन में आस्था और समर्पण की भावना को मजबूत करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस कथा को सुनने से ही व्रत का पूरा फल मिलता है और भगवान गणेश सभी दुख-दर्द दूर करके सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। यह कथा हमें जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करने और सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा भी देती है। वहीं, अगर गणेश जी की व्रत कथा पूरे गणेश उत्सव के दौरान पढ़ी जाए तो इसका अक्षय फल प्राप्त होता है। इस साल गणेश उत्सव का शुभारंभ 27 अगस्त गणेश चतुर्थी से हो रहा है। ऐसे में वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइए जानते हैं कि गणेश चतुर्थी की व्रत कथा क्या है और इसके जीवन में शुभ फल क्या हैं?
गणेश चतुर्थी की पहली व्रत कथा (Ganesh Chaturthi Vrat Katha 2025)
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार देवी पार्वती ने संतान सुख की प्राप्ति के लिए भगवान शिव से प्रार्थना की। उनकी इच्छाओं की पूर्ति के लिए भगवान शिव ने देवी पार्वती को आश्वासन दिया और उनके आशीर्वाद से भगवान गणेश का जन्म हुआ।
गणेश चतुर्थी की पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार देवी पार्वती ने संतान सुख की प्राप्ति के लिए भगवान शिव से प्रार्थना की। उनकी इच्छाओं की पूर्ति के लिए भगवान शिव ने देवी पार्वती को संतान प्राप्ति का आश्वासन दिया और उनके आशीर्वाद से भगवान गणेश का जन्म हुआ। गणेश जी का जन्म बहुत ही अद्भुत और चमत्कारिक तरीके से हुआ था। ऐसा माना जाता है कि एक दिन देवी पार्वती स्नान कर रही थीं और उन्होंने अपने शरीर की सफाई के लिए उबटन का इस्तेमाल किया और उस उबटन से एक बालक की रचना की। माता पार्वती के उबटन से निर्मित बालक का नाम विनायक रखा गया। हालांकि आगे चलकर भगवान शिव के साथ विनायक के विवाद की वजह से शिव जी नाराज हो गए और उन्होंने क्रोधवश उनका सिर धड़ से अलग कर दिया।
बाद में विनायक के सिर की जगह हाथी का मस्तक लगाया गया और उनका पुनर्जन्म हुआ। साथ ही, विनायक को नया नाम गणपति दिया गया। जिस दिन गणेश जी को नया जन्म मिला उस दिन भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि थी। इसी कारण से आज भी गणेश जी के जन्मोस्तव को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। इस कथा को सुनने से व्रत का पूरा फल मिलता है और भगवान गणेश सभी दुख-दर्द दूर करके सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। यह कथा हमें जीवन में आने वाली समस्त बाधाओं को दूर करने और सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा भी देती है।
गणेश चतुर्थी 2025 की दूसरी व्रत कथा
एक समय की बात है, एक गांव में एक गरीब ब्राह्मण रहता था। वह भगवान गणेश का बहुत बड़ा भक्त था। गणेश चतुर्थी के दिन, वह अपने घर में भगवान गणेश की प्रतिमा की पूजा करने के लिए तैयार हो गया। उसके पास पूजन के लिए बहुत कुछ नहीं था, लेकिन उसने मन से सच्ची भक्ति से पूजा की।
उसी रात भगवान गणेश जी ने सपने में ब्राह्मण को दर्शन दिए और कहा कि उसकी भक्ति और श्रद्धा ने श्री गणेश को प्रसन्न किया है और वह उसकी पूजा को स्वीकार करते हैं। गणेश जी ने ब्राह्मण को वरदान दिया कि उसे भविष्य में समृद्धि और खुशहाली प्राप्त होगी।
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अगले दिन ब्राह्मण ने देखा कि उसके घर में धन और ऐश्वर्य की भरपूरता आ गई थी। यह देखकर उसके गांववाले भी गणेश जी की पूजा करने लगे और सभी को सुख-समृद्धि प्राप्त हुई। इसके बाद से ही भाद्रपद शुक्ल पक्ष कि चतुर्थी के इन गणेश जी की पूजा का विधान शुरू हुआ।
आप भी इस लेख में गणेश चतुर्थी की व्रत कथा के बारे में जान सकते हैं। अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
image credit: herzindagi
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