Dev Uthani Ekadashi 2023: देवउठनी एकादशी की पूजा विधि से लेकर व्रत पारण तक जानें सभी जरूरी बातें

दिवाली के 11 दिन बाद कार्तिक माह शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी के रूप में मनाया जाता है। इस साल देव उठनी एकादशी 23 नवंबर, दिन गुरुवार को पड़ रही है।  

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Dev Uthani Ekadashi Ke Bare Mein: हिन्दू धर्म में एकादशी तिथि का बहुत महत्व माना जाता है। पंचांग के अनुसार, साल में कुल 24 एकादशी तिथियां पड़ती हैं। इन्हीं में से एक है देव उठनी एकादशी। दिवाली के 11 दिन बाद कार्तिक माह शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी के रूप में मनाया जाता है।

इस साल देव उठनी एकादशी 23 नवंबर, दिन गुरुवार को पड़ रही है। देव उठनी एकादशी अन्य एकादशियों से अधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है क्योंकि इस दिन देव जाग जाते हैं और मांगलिक कार्यों का शुभारंभ होता है। ऐसे में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं इस एकादशी के बारे में विस्तार से।

देवउठनी एकादशी की पूजा कैसे की जाती है?

देवउठनी एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठाकर स्नान कर लें। फिर भगवान विष्णु का ध्यान करें। भगवान विष्णु (भगवान विष्णु के मंत्र) को स्नान कराएं। भगवान विष्णु को नए वस्त्र धारण कराएं। उन्हें धूप, दीप, नैवेद्य, फल, रोली, मोली, पुष्प, तुलसी आदि अर्पित करें। भगवान विष्णु को भोग लगाएं। मंत्र जाप करें। आरती करें।

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देव उठानी एकादशी पर कितने दीये जलाएं?

देव उठनी एकादशी के दिन दो दीये जलाने चाहिए। एक दीया भगवान के सामने जलाया जाता है और दूसरा शाम के समय पीपल के पेड़ के नीचे जलाना चाहिए। अगर आप किसी भी कारण से दो दीये नहीं जला सकते हैं तो एक दीया अवश्य जलाएं। एकादशी के दिन दीया जलाने से शुभता आती है।

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एकादशी व्रत पारण के समय क्या खाना चाहिए?

अगर एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि पर किया जाता है। ऐसे में द्वाशी के दिन आप अन्न खा क्र पारण कर सकते हैं लेकिन श्रेष्ठ है कि फलाहार के जरिये ही व्रत का पारण करें। ध्यान रखें कि एकादशी के व्रत का पारण कभी भी चावल खा कर न करें। एकादशी के दिन और उसके अगले दिन चावल न खाएं।

देवउठनी एकादशी व्रत का पारण कब है?

देवउठनी एकादशी का व्रत पारण 24 नवंबर, दिन शुक्रवार को सुबह 6 बजकर 50 मिनट से सुबह 8 बजकर 57 मिनट की अवधि के दौरान किया जा सकता है। इस बात का ख्याल रखें कि इसी अवधि में आपको स्नान कर भगवान विष्णु की पूजा भी करनी है और उसके बाद फलाहार के साथ व्रत खोलना है।

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देवउठनी एकादशी का पारण कैसे करें?

देव उठनी एकादशी के अगले दिन यानी कि द्वादशी तिथि पर स्नान करें और भगवान विष्णु का ध्यान करें। फिर भगवान विष्णु के समक्ष घी का दीपक जलाएं और फिर उसके बाद भगवान विष्णु का भोग लगाएं। भोग में तुलसी अवश्य डालें। वहीं, अपने व्रत का भी सुबह के समय फलाहार के साथ पारण करें।

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देवउठनी एकादशी पर क्या दान करें?

देव उठनी एकादशी के दिन आप अपनी इच्छा से जो चाहें वो दान कर सकते हैं लेकिन शास्त्रों में एकादशी के दिन अनाज और वस्त्र का दान श्रेष्ठ माना गया है। ऐसे में कोशिश करें कि देव उठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु का स्मरण करते हुए अनाज और वस्त्र का दान करें।

आप भी देव उठनी एकादशी से जुड़ी प्रत्येक जानकारी इस लेख के माध्यम से जान सकते हैं। अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

image credit: shutetrstock

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