हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व होता है, क्योंकि इसे पितरों को समर्पित दिन माना जाता है। अमावस्या तिथि कृष्ण पक्ष के अंतिम दिन पड़ती है और इस दिन आकाश में चांद दिखाई नहीं देता है। इस बार अमावस्या तिथि पर सूर्य ग्रहण भी लगेगा, और साथ ही यह दिन शनिवार भी होगा। जब अमावस्या तिथि शनिवार को आती है, तो इसे शनिश्चरी अमावस्या या शनि अमावस्या कहा जाता है। यह शनिश्चरी अमावस्या साल 2025 की पहली अमावस्या होगी।
इस दिन विशेष रूप से शनिदेव की पूजा की जाती है, क्योंकि शनिश्चरी अमावस्या पर शनि दोष, साढ़ेसाती और ढैय्या के नकारात्मक प्रभावों में कमी आती है। शनिदेव की उपासना से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि प्राप्त होती है। अब आइए जानते हैं ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से कि साल 2025 की पहली शनिश्चरी अमावस्या कब होगी, पूजा का सही मुहूर्त क्या होगा और इस तिथि का क्या महत्व है।
शनि अमावस्या 2025 कब है?
अमावस्या तिथि का प्रारंभ 28 मार्च, शाम 7 बजकर 55 मिनट से होगा और इसका समापन 29 मार्च, शाम 4 बजकर 27 मिनट पर होगा। हालांकि, अमावस्या का पर्व उदिया तिथि के अनुसार 29 मार्च, शनिवार को मनाया जाएगा। चूंकि यह तिथि शनिवार को पड़ रही है, इसलिए इसे शनिश्चरी अमावस्या भी कहा जाएगा।
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शनि अमावस्या 2025 शुभ मुहूर्त
शनि अमावस्या यानी कि 29 मार्च के दिन स्नान का शुभ मुहूर्त सुबह 4 बजकर 42 मिनट शुरू होगा और सुबह 5 बजकर 29 मिनट पर इसका स्मपान होगा। वहीं, शनि अमावस्या के दिन शनिदेव की पूजा का शुभ मुहूर्त 29 मार्च को सुबह 5 बजकर 6 मिनट से आरंभ होगा और समापन सुबह 10 बजकर 12 मिनट तक रहेगा।
शनि अमावस्या 2025 महत्व
स्कंद, पद्म और अन्य कई पुराणों के अनुसार, चैत्र मास में पड़ने वाली शनि अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान, दान, पिंडदान और तर्पण करने से मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। शनि दोष, शनि ढैय्या और साढ़ेसाती के अशुभ प्रभावों को कम करने के लिए शनि अमावस्या का विशेष महत्व है। इस दिन शनिदेव और महादेव की पूजा-अर्चना और दान करने से कई यज्ञों के बराबर पुण्य फल मिलता है।
साथ ही, तर्पण और श्राद्ध करने से पितर प्रसन्न होते हैं और पितृदोष से मुक्ति मिलती है। शनि अमावस्या के दिन शनिदेव की कृपा पाने के लिए शनि से संबंधित चीजों जैसे काले तिल, सरसों का तेल, उड़द दाल आदि का दान करना और पीपल की पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है। पीपल की पूजा से शनि दोष दूर होता है और शनिदेव के साथ ही सभी देवी-देवताओं का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।
शनि अमावस्या 2025 उपाय
शनि अमावस्या पर कुछ खास उपायों को अपनाकर शनिदेव की कृपा प्राप्त की जा सकती है। इस दिन पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना बेहद शुभ माना जाता है। साथ ही, तेल में बनी हुई पूड़ी को शनिदेव को भोग के रूप में अर्पित करना भी लाभकारी होता है। शनिदेव के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाकर शनि मंत्र और दशरथ कृत शनि स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।
पितृ दोष से मुक्ति के लिए शनि अमावस्या के दिन चावल की खीर बनाकर गोबर के उपले जला कर पितरों के नाम पर खीर का भोग अर्पित करें। शनिदेव की पूजा करते समय 5, 7, 11 या 21 बार मंत्रों का जप करें और शनि आरती अवश्य करें। इसके अलावा, कांसे के कटोरे को सरसों या तिल के तेल से भरकर उसमें अपना चेहरा देखकर दान करने से भी विशेष पुण्य लाभ मिलता है। इन उपायों से शनि दोष कम होते हैं और जीवन में शांति और समृद्धि आती है।
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