हिंदू पंचांग के अनुसार साल में 12 पूर्णिमा तिथियां होती हैं। हर पूर्णिमा पर स्नान और दान का महत्व माना जाता है। वहीं, चैत्र मास में पड़ने वाली पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने का विधान है। ऐसे में आइए जानते हैं ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से चैत्र पूर्णिमा तिथि, पूजा शुभ मुहूर्त और इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने की विधि और लक्ष्मी पूजन का महत्व।
चैत्र पूर्णिमा 2025 कब है? (Chaitra Purnima Kab Hai)
चैत्र पूर्णिमा तिथि का आरंभ 11 अप्रैल, शुक्रवार के दिन रात 3 बजकर 21 मिनट पर होगा। वहीं, इसका समापन 13 अप्रैल, रविवार के दिन सुबह 5 बजकर 51 मिनट पर होगा। एस एमें उदया तिथि 12 अप्रैल को पड़ रही है, इसलिए चैत्र पूर्णिमा का व्रत भी 12 अप्रैल को रखा जाएगा और मां लक्ष्मी की पूजा भी इसी दिन होगी।
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चैत्र पूर्णिमा 2025 शुभ मुहूर्त (Chaitra Purnima Muhurat 2025)
चैत्र पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी में स्नान का मुहूर्त सुबह 4 बजकर 29 मिनट से सुबह 5 बजकर 14 मिनट है। चैत्र पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण पूजा घर में करने का भी बहुत महत्व माना जाता है। ऐसे में सत्यनारायण पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 7 बजकर 35 मिनट से सुबह 9 बजकर 10 मिनट है। पूर्णिमा तिथि पर चंद्रमा की पूजा का भी विधान है। ऐसे में चंद्रोदय का समय शाम 6 बजकर 18 मिनट है, तप पूजा एवं चंद्र अर्घ्य के लिए रात 8 बजकर 11 मिनट का समय शुभ सिद्धकर है।
चैत्र पूर्णिमा 2025 पूजा विधि (Chaitra Purnima Puja Vidhi)
पूर्णिमा तिथि को मां लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व होता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन विधिपूर्वक लक्ष्मी जी की आराधना करने से घर में सुख, समृद्धि और धन-धान्य की कभी कमी नहीं रहती। पूर्णिमा की रात को चंद्रमा का प्रभाव भी अत्यधिक होता है, और चंद्रमा को शांति व सौम्यता का कारक माना गया है, जो माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने में सहायक होता है। इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने से जीवन में चल रही आर्थिक तंगी, कर्ज और दरिद्रता जैसे दोषों का नाश होता है।
पूजा की शुरुआत घर की अच्छी तरह से सफाई कर के करनी चाहिए, क्योंकि मां लक्ष्मी स्वच्छता को अत्यंत प्रिय मानती हैं। इसके बाद पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें और वहां पर लाल या सफेद रंग का कपड़ा बिछाकर मां लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। लक्ष्मी जी को सफेद कमल, गुलाब या अन्य सुगंधित फूल अर्पित करें। पूजा में धूप, दीप, अगरबत्ती, चंदन, रोली, अक्षत, मिठाई, फल, नारियल, पान-सुपारी आदि का उपयोग करें। मां लक्ष्मी को खीर, मालपुआ या हलवा का भोग विशेष रूप से प्रिय होता है, इसलिए उन्हें इनका भोग जरूर लगाएं।
इसके बाद मां लक्ष्मी का ध्यान कर उनके 108 नामों का जाप करें या श्री सूक्त, लक्ष्मी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र अथवा कनकधारा स्तोत्र का पाठ करें। पूजा के अंत में आरती करें और मां लक्ष्मी से धन, वैभव, शांति और उन्नति की कामना करें। इस दिन व्रत रखना और रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देना भी शुभ माना जाता है। पूर्णिमा की रात दीप जलाकर घर के मुख्य दरवाजे और मंदिर में रखने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और घर में लक्ष्मी जी का वास बना रहता है।
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चैत्र पूर्णिमा 2025 महत्व
चैत्र पूर्णिमा का व्रत विशेष रूप से सुख-समृद्धि, ऐश्वर्य और मानसिक शांति की प्राप्ति के लिए रखा जाता है। इस दिन यदि भक्त पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करते हैं, तो घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। साथ ही, यह व्रत आर्थिक संकटों से मुक्ति दिलाने में भी अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चैत्र पूर्णिमा पर व्रत और पूजा करने से जीवन में स्थिरता आती है, परिवार में सुख-शांति बनी रहती है और दरिद्रता दूर होकर समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होता है।
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