हिंदू धर्म में धन, समृद्धि और सौभाग्य की देवी मानी जाने वाली माता लक्ष्मी की पूजा अगर आप सही तरीके से करते हैं, तो उनको प्रसन्न किया जा सकता है। शुक्रवार का दिन माता लक्ष्मी से जुड़ा होता है, इसलिए कई लोग इस दिन व्रत भी रखते हैं। माता लक्ष्मी की पूजा की शुरुआत करने से पहले आपको नियम को जानना जरूरी है। माता लक्ष्मी की आरती से पहले दीपक, फूल, चावल, रोली, कुमकुम, गंगाजल, मिठाई, नारियल और लक्ष्मी जी का सबसे प्रिय कमल का फूल आप उन्हें चढ़ा सकते हैं। इससे माता रानी खुश होती हैं और लक्ष्मी जी की आरती का फल आपको मिलता है। पूजा की शुरुआत विधी विधान से करने के बाद आप लक्ष्मी जी की आरती कर सकते हैं।
ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स के अनुसार लक्ष्मी जी आरती वैसे तो किसी भी दिन की जा सकती हैं, लेकिन शुक्रवार का दिन को लक्ष्मीजी का माना जाता है। ऐसे में इस दिन आरती करने से इसकी विशेष कृपा होती है। इसके अलावा दिवाली के मौके पर लक्ष्मी जी की आरती जरूर की जाती है। इससे पूरे साल लक्ष्मी जी की कृपा बनी रहती है, जो भी भक्त सच्चे मन से मां लक्ष्मी की उपासना और आरती करता है उसके जीवन में हमेशा खुशहाली बनी रहने के साथ सदा माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यदि आप भी अपने जीवन के सभी कष्ट, आर्थिक परेशानियों को दूर करना चाहती हैं। आइए इस लेख में देखें लक्ष्मी जी की आरती।
ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥ ओम जय लक्ष्मी माता॥
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता। मैया तुम ही जग-माता।।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥ ओम जय लक्ष्मी माता॥
दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता। मैया सुख सम्पत्ति दाता॥
जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥ ओम जय लक्ष्मी माता॥
तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता। मैया तुम ही शुभदाता॥
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कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥ ओम जय लक्ष्मी माता॥
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता। मैया सब सद्गुण आता॥
सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता॥ ओम जय लक्ष्मी माता॥
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता। मैया वस्त्र न कोई पाता॥
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥ ओम जय लक्ष्मी माता॥
शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता। मैया क्षीरोदधि-जाता॥
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥ ओम जय लक्ष्मी माता॥
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महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता। मैया जो कोई जन गाता॥
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥ ओम जय लक्ष्मी माता॥
ऊं जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता। ऊं जय लक्ष्मी माता।।
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