अंबुबाची मेले के कल आखिरी दिन पर भक्तों को प्रसाद में मिलेगा मां का रजस्वला वस्त्र, जानें कामख्या मंदिर के इस अनोखे प्रसाद को पाने के लिए क्यों लोगों में लगती है होड़

मां कामाख्या जब मासिक धर्म से होती हैं तब उन्हीं तीन दिनों के दौरान इस मेले का आयोजन किया जाता है। 23 जून को मेले का आरंभ हुआ था और मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए थे, वहीं, अब 25 जून को मेले का आखिरी दिन और कपाट फिर से खोले जायेंगे।
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असम के गुवाहाटी में एक बहुत ही मशहूर मंदिर है, जिसका नाम है कामाख्या मंदिर। यह मंदिर देवी सती के उन स्थानों में से एक है जहाँ उनके शरीर के टुकड़े गिरे थे। माना जाता है कि यहां देवी सती का योनि भाग गिरा था। इस मंदिर में देवी की कोई मूर्ति नहीं है। इसके बजाय, एक कुंड है जो योनि के आकार का है और इसी की पूजा की जाती है। यह कुंड स्त्री शक्ति और कुछ नया बनाने की क्षमता का प्रतीक है। कामाख्या मंदिर तंत्र साधना का एक बड़ा केंद्र है। दुनियाभर से साधु, संत और तांत्रिक अपनी शक्तियों को पाने के लिए यहां आते हैं।

हर साल जून के महीने में कामाख्या मंदिर में अंबुबाची मेला लगता है। यह मेला तब आयोजित होता है जब माना जाता है कि मां कामाख्या को मासिक धर्म होता है। इस दौरान तीन दिनों के लिए मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। इस साल, मेला 23 जून को शुरू हुआ और मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए थे। अब 25 जूनको मेला खत्म हो गया है और मंदिर के कपाट फिर से खोल दिए गए हैं। इस मंदिर की एक बहुत ही खास बात यह है कि माँ कामाख्या के मासिक धर्म का कपड़ा भक्तों को प्रसाद के रूप में दिया जाता है। ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से इस अनोखे प्रसाद के महत्व के बारे में और जानने के लिए, आप उनसे संपर्क कर सकते हैं।

क्या है मां कामाख्या के रजस्वला वस्त्र के प्रसाद का महत्व?

मां कामाख्या के रजस्वला वस्त्र के प्रसाद का बहुत अधिक महत्व है। अंबुबाची मेले के दौरान जब देवी कामाख्या अपने रजस्वला चक्र से गुजरती हैं तो मंदिर के गर्भगृह में एक सफेद कपड़ा रखा जाता है।

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तीन दिनों के बाद जब मंदिर के कपाट खुलते हैं तो यह सफेद कपड़ा देवी के रजस्वला होने के प्रतीक स्वरूप लाल रंग में भीगा हुआ मिलता है। इसी लाल वस्त्र को भक्तों को प्रसाद के रूप में दिया जाता है जिसे 'अंबुबाची वस्त्र' या 'रक्त वस्त्र' कहा जाता है।

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क्या है मां कामाख्या के रजस्वला वस्त्र के प्रसाद के लाभ?

भक्तों का मानना है कि इस पवित्र वस्त्र को धारण करने या अपने पास रखने से जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और सौभाग्य आता है। यह वस्त्र देवी की सृजन शक्ति और उर्वरता का प्रतीक माना जाता है और इसे पाने से भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं एवं मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इसके अलावा, यह भी माना जाता है कि मां कामाख्या के रजस्वला वस्त्र को प्रसाद के रूप में घर में रखने से संतान प्राप्ति के योग बनने लगते हैं और संतान का भविष्य भी उज्जवल होता है।

पीरियड्स के कपड़ों को दूषित मानते हैं, फिर ये कपड़ा शुभ क्यों?

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां कामाख्या के रजस्वला वस्त्र में उनके अंग की दिव्य ऊर्जा विद्यमान है जिसके कारण यह वस्त्र अपने आप में ससे ज्यादा शुद्ध और पवित्र माना जाता है। हालांकि, सामान्य रूप से अगर किसी महिला के रजस्वला वस्त्र को कोई दूषित माने तो यह एक निजी सोच या सामाजिक धारणा हो सकती है, लेकिन शास्त्रों में कहीं भी ऐसा नहीं लिखा है कि किसी भी स्त्री का रजस्वला वस्त्र अपवित्र है बल्कि शास्त्रों में इसे प्राकृतिक प्रक्रिया का प्रतीक माना गया है।

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मां कामाख्या के रजस्वला वस्त्र को घर में कहां और कैसे रखें?

मां कामाख्या के रजस्वला वस्त्र को घर में लाना बहुत शुभ माना जाता है लेकिन चूंकि यह दिव्य ऊर्जा से समाहित होता है ऐसे में अगर इससे जुड़े नियमों का ध्यान न रखा जाए तो इसका दुष्प्रभाव भी पड़ सकता है। मां कामाख्या के रजस्वला वस्त्र को किसी सफेद या पीले वस्त्र में लपेटकर घर के मंदिर में रखें। घर के मंदिर में इसलिए क्योंकि यह देवी का वस्त्र है। ऐसे में इसे घर के मंदिर में रखने से कोई अपवित्रता नहीं होगी और न ही किसी प्रकार का दोष लगेगा।

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मां कामाख्या के रजस्वला वस्त्र को घर में कितने दिन रखें?

मां कामाख्या के रजस्वला वस्त्र को घर में 21 दिनों के लिए रखना चाहिए। घर के मंदिर में किसी दराज में रखें तो अच्छा है क्योंकि घर के मंदिर में अन्य भगवानों की भी मूर्तियां होंगी तो ऐसे में मां के रजस्वला वस्त्र को मंदिर में ही अन्य देवी-देवताओं के साथ रखने के बजाय किसी दराज में संभालकर रखें। अगर मंदिर में कोई ड्रावर नहीं है तो फिर इस प्रसादी कपड़े को घर की तिजोरी में भी रख सकते हैं या फिर किसी मटकी में डालकर घर की पूर्व दिशा में टांग सकते हैं। 21 दिन बाद कपड़े को पवित्र जल में जैसे गंगा में बहा दें।

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image credit: herzindagi

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FAQ

  • मां कामाख्या कौन सी देवी हैं?

    मां कामाख्या, देवी दुर्गा का ही एक रूप हैं और शक्ति यानी कि ऊर्जा की देवी मानी जाती हैं। उन्हें इच्छाओं की देवी के रूप में भी पूजा जाता है और यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है।
  • कामाख्या मंत्र के क्या लाभ हैं?

    कामाख्या मंत्र का जाप करने से मां की सिद्धि हो जाती है और सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।