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Ahoi Ashtami 2025 Date and Time: 12 या 13 अक्टूबर, कब रखा जाएगा अहोई अष्टमी का व्रत? जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व

Ahoi Ashtami Date 2025: अहोई अष्टमी के दिन माताएं अहोई माता जो देवी पार्वती का ही एक स्वरूप हैं, उनकी पूजा करती हैं और पूरे दिन निर्जला उपवास रखती हैं। शाम को तारे देखकर पूजा की जाती है और व्रत खोला जाता है।
Editorial
Updated:- 2025-10-09, 11:56 IST

अहोई अष्टमी का व्रत संतान की सुरक्षा, लंबी उम्र और उनकी खुशहाली के लिए रखा जाता है। यह व्रत हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन माताएं अहोई माता जो देवी पार्वती का ही एक स्वरूप हैं, उनकी पूजा करती हैं और पूरे दिन निर्जला उपवास रखती हैं। शाम को तारे देखकर पूजा की जाती है और व्रत खोला जाता है। यह व्रत निसंतान दंपतियों द्वारा संतान प्राप्ति की कामना के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसे में वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं कि इस साल अहोई अष्टमी का व्रत कब रखा जाएगा, क्या है इस दिन तारे देखने और पूजा करने का शुभ मुहूर्त एवं महत्व।

अहोई अष्टमी 2025 कब है? (Ahoi Ashtami Kab Hai)

साल 2025 में अहोई अष्टमी का व्रत 13 अक्टूबर, सोमवार को रखा जाएगा क्योंकि इस दिन कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पड़ रही है।

  • अष्टमी तिथि आरंभ: 12 अक्टूबर 2025, रविवार को रात 08 बजकर 04 मिनट से शुरू होगी।
  • अष्टमी तिथि समापन: 13 अक्टूबर 2025, सोमवार को रात 08 बजकर 03 मिनट पर समाप्त होगी।

चूंकि हिन्दू धर्म में कोई भी व्रत उदया तिथि में ही रखा जाता है इसलिए अहोई अष्टमी का व्रत 13 अक्टूबर 2025 को रखा जाएगा। इसी दिन तारे देखकर चंद्रमा की पूजा भी होगी।

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अहोई अष्टमी पर तारे देखने का मुहूर्त (Tare dekhne ka Muhurat 2025)

अहोई अष्टमी के व्रत में माताएं अपनी संतान की लंबी आयु के लिए निर्जला उपवास रखती हैं और शाम को तारे देखकर ही व्रत खोलती हैं। ऐसे में तारे देखने का शुभ समय कुछ इस प्रकार है:

  • तारे देखने का मुहूर्त: 13 अक्टूबर 2025, शाम 06 बजकर 05 मिनट से शुरू है।
  • चंद्रोदय का समय: 13 अक्टूबर 2025, रात 11 बजकर 20 मिनट पर है।
  • चंद्रास्त का समय: 14 अक्टूबर 2025, दोपहर में है।

अहोई अष्टमी के दिन चंद्रोदय का समय देखते हुए शाम को तारे देखने के बाद चंद्रमा की पूजा एवं चंद्र अर्घ्य का मुहूर्त रात 11 बजकर 40 मिनट का है। इस समय में चंद्रमा की पूजा करने उत्तम रहेगा।

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अहोई अष्टमी 2025 अन्य शुभ मुहूर्त

अहोई अष्टमी के दिन कुछ अन्य शुभ मुहूर्त भी रहेंगे जिनमें पूजा से लेकर आप दान-धर्म या विशेष उपाय आदि कार्य कर सकते हैं।

  • पूजा का शुभ मुहूर्त: शाम 05 बजकर 59 मिनट से शाम 07 बजकर 14 मिनट तक है।
  • अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11 बजकर 44 मिनट से दोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक है।
  • ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04 बजकर 40 मिनट से सुबह 05 बजकर 30 मिनट तक है।

अहोई अष्टमी के दिन अभिजीत मुहूर्त में आप अपनी सामान्य पूजा कर सकती हैं और संतान से जुड़ा कोई भी विशेष काम भी इस दौरान किया जा सकता है। इसके अलावा, दान के लिए ब्रह्म मुहूर्त सबसे ज्यादा शुभ माना जाता है।

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अहोई अष्टमी 2025 महत्व

अहोई अष्टमी का व्रत मुख्य रूप से संतान की लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य और उज्जवल भविष्य के लिए रखा जाता है। माताओं का यह दृढ़ विश्वास होता है कि इस व्रत के पुण्य प्रभाव से उनके बच्चों पर आने वाली सभी विपत्तियां दूर होती हैं और संतान का जीवन सुख-समृद्धि से परिपूर्ण रहता है।

जिन दंपतियों को संतान प्राप्ति में किसी तरह की बाधा आ रही हो या जिन्हें पुत्र रत्न की कामना हो, वे भी इस व्रत को पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ रखते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अहोई अष्टमी का व्रत परिवार में शांति, सौभाग्य और धन-धान्य में वृद्धि करता है।

व्रत करने वाली माता को देवी अहोई का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है जिससे न केवल संतान का जीवन सुरक्षित होता है, बल्कि पूरे परिवार में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह व्रत माता और संतान के बीच के प्रेम और समर्पण के पवित्र बंधन को भी मजबूत करता है।

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image credit: herzindagi 

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FAQ
अहोई अष्टमी के दिन क्या दान करना चाहिए?
अहोई अष्टमी के दिन अपनी संतान के निमित्त अन्न, वस्त्र, फल और खिलौनों का दान करना चाहिए। 
अहोई अष्टमी के दिन किस मंत्र का जाप करना शुभ होता है? 
अहोई अष्टमी के दिन माता पार्वती के 'ॐ पार्वतीप्रियनंदनाय नमः' मंत्र का जाप करना शुभ है। 
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