
Deori Agni Kund Mela: हर साल अगहन महीने की शुक्ल पक्ष की चंपा षष्ठी से पूर्णिमा पर सागर जिले से 65 किलोमीटर दूर देवरी नगर है। यहां पर स्थिति प्राचीन श्री देव खंडेराव मंदिर में अग्नि मेला का आयोजन किया जाता है। इस मेले की सबसे खास बात यह है कि अपनी मनोकामना पूरी होने पर भक्त दहकते हुए अंगारों से भरे अग्निकुंड पर नंगे पैर चलकर अपनी आस्था और श्रद्धा प्रकट करते हैं। ऐसा भी नहीं केवल 10-20 या 100 लोग बल्कि सैकड़ों लोग अंगारे पर चलते हैं। इस साल एक साथ 300 श्रद्धालु अलग-अलग अग्नि कुंड से निकले और इसे देखने के लिए वहां पर हजारों की संख्या में भक्त पहुंचे थे।

मान्यताओं के अनुसार, बहुत समय पहले देवरी के राजा यशवंत राव का पुत्र बहुत बीमार हो गया था। राजा ने हर तरह का इलाज कराया, लेकिन बच्चे की सेहत में कोई सुधार नहीं हुआ। एक रात, राजा को स्वप्न में श्री देव खंडेराव जी ने दर्शन दिए। भगवान ने उन्हें बताया कि यदि वे मंदिर में आकर हल्दी का हाथी लगाएं और यह प्रार्थना करें कि उनका बच्चा ठीक हो जाए और फिर अग्नि कुंड से नंगे पैर निकलें, तो उनकी मनोकामना अवश्य पूरी होगी।
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राजा यशवंत राव ने भगवान के सपने में दिए गए आदेश का पालन किया। उन्होंने मंदिर आकर पूरी श्रद्धा से पूजा-अर्चना की और अग्निकुंड से नंगे पैर निकले। मान्यता है कि ऐसा करने के तुरंत बाद राजा का बेटा पूरी तरह स्वस्थ हो गया। तभी से यह परंपरा चली आ रही है। जो भी श्रद्धालु श्री देव खंडेराव जी से सच्चे मन से कोई मन्नत मांगते हैं और उनकी वह इच्छा पूरी हो जाती है, तो वे अपनी आस्था व्यक्त करने के लिए इस अग्नि मेले में दहकते अंगारों पर चलते हैं।
भक्त पीले वस्त्र पहनकर और हाथों में हल्दी लेकर जयकारे लगाते हुए अग्निकुंड में 9 कदम चलते हैं। उनका विश्वास होता है कि भगवान खंडेराव की कृपा से उन्हें अंगारों की गर्मी महसूस नहीं होती है।

आमतौर पर यह मेला दिसंबर महीने में लगता है। इसकी शुरुआत अगहन माह की चंपा षष्ठी के दिन से होती है और यह पूर्णिमा तक चलता है। हर दिन दोपहर ठीक 12 बजे, मंदिर के गर्भगृह में स्थित शिवलिंग पर सूर्य की पहली किरण पड़ने के बाद अग्निकुंड से निकलने की रस्म शुरू होती है।
इसके बाद भक्त अग्नि कुंड की पूजा करते हैं, हल्दी छिड़कते हैं और फिर नंगे पैर दहकते अंगारों के ऊपर से गुजरकर अपनी मन्नत पूरी करते हैं।
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Image credit- Jagran, nai duniya
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