मणिकर्णिका घाट पर क्यों रोजाना 108 शव जलते हैं? क्या आप जानती हैं अंतिम संस्कार की संख्या के पीछे का रहस्य

Manikarnika Ghat Varanasi: मोक्ष शहर के नाम से मशहूर काशी में मणिकार्णिका घाट वो जगह है, जहां पर 24 घंटे चिताएं जलती रहती है। इस घाट पर जलने वाली चिताओं की संख्या को लेकर ऐसा कहा जाता है कि यहां पर रोजाना कम से कम 108 शव जलते रहते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस घाट पर शव की संख्या इससे ज्यादा होती है। लेकिन कभी भी इससे कम नहीं होती है। ज्योतिष से जानते हैं इसके पीछे का कारण-
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Manikarnika Ghat: वाराणसी का अस्सी घाट, दशाश्वमेध घाट की गंगा आरती देखने के लिए देश-दुनिया के हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं। शिव की नगरी काशी न केवल सांस्कृतिक और आध्यात्मिक चीजों के लिए प्रसिद्ध है बल्कि जीवन के सत्य से भी परिचित करवाता है, तो वह है वाराणसी का मणिकर्णिका घाट। यह स्थान एक अंतिम संस्कार स्थल नहीं बल्कि जन्म और मृत्यु के चक्र का प्रतीक है, जहां हर दिन सैकड़ों चिताएं जलती हैं। इस घाट को लेकर ऐसा कहा जाता है कि यहां साल 365 चिताओं की लौ जलती रहती है। लेकिन इसके अलावा भी इस घाट को लेकर एक रहस्य और भी है। वह है कि यहां पर रोजाना लगभग 108 शवों का अंतिम संस्कार होता है। जी हां, 108 शवों का, इस संख्या को लेकर ऐसा कहा जाता है कि इससे ज्यादा चिताएं जलती है। लेकिन इससे कम कभी-भी नहीं होती है। इस रहस्य के पीछे का कारण आचार्य उदित नारायण त्रिपाठी से जानते हैं कि क्या है इस संख्या के पीछे का रहस्य-

मणिकर्णिका घाट पर शवों के अंतिम संस्कार की संख्या?

Manikarnika Ghat cremation

मणिकर्णिका घाट पर रोजाना कम से कम 108 शवों का अंतिम संस्कार होता है। इस संख्या को लेकर ऐसा कहा जाता है कि शवों की संख्या इससे कम कभी नहीं होती है। इस घाट पर एक दिन में औसतन 300 से 350 शवों का अंतिम संस्कार किया जाता है। कभी-कभी इस संख्या का आंकड़ा 600 तक भी पहुंच जाती है। बता दें कि इसके बारे में जब हमने ज्योतिष से पूछा तो उन्होंने बताया कि यह संख्या एक मात्र संयोग नहीं बल्कि गहरे आध्यात्मिक और ब्रह्मांडीय रहस्यों से जुड़ा है।

हिंदू दर्शन से जुड़ा इस संख्या का कनेक्शन

Significance of 108 in Hinduism

हिंदू दर्शन में 108 का विशेष महत्व है। माना जाता है कि ब्रह्मांड की रचनात्मक ऊर्जा इसी संख्या में समाहित है चाहे वह माला के 108 मोती हों या फिर योग में 108 नाड़ियों का उल्लेख। मृत्यु, जो जीवन का सत्य है, जब इस पवित्र संख्या के साथ जुड़ती है, तो आत्मा को मोक्ष की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। यही कारण है कि मणिकर्णिका घाट पर 108 चिताएं जलती रहती हैं। इस घाट पर जिस व्यक्ति का अंतिम संस्कार होता है वह आत्मा मोक्ष को प्राप्त कर सकती है, जिससे पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति मिलती है। इस संख्या को लेकर कई अन्य किस्से भी मशहूर है ऐसा कहा जाता है कि इस घाट पर अदृश्य शक्तियां है जो इस संख्या को संतुलित रखती हैं, ताकि घाट की आध्यात्मिक ऊर्जा स्थिर बनी रहे।

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