चातुर्मास में तुलसी के पास दीया जलाते समय न करें ये 5 बड़ी गलतियां

चातुर्मास में तुलसी के पास दीया जलाना बहुत शुभ मानते हैं, लेकिन इसके भी कुछ नियम हैं जिनका पालन आवश्यक माना गया है नहीं तो सकारात्मक ऊर्जा के बजाय नकारात्मकता बढ़ने लगती है। 
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चातुर्मास जो हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ शुक्ल एकादशी से कार्तिक शुक्ल एकादशी तक का चार महीने का समय होता है, विशेष धार्मिक महत्व रखता है। इन महीनों के दौरान माना जाता है कि भगवान विष्णु शयन करते हैं, इसलिए कोई भी शुभ कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश या नए व्यवसाय की शुरुआत नहीं की जाती है। यह समय आत्म-चिंतन, तपस्या और भक्ति के लिए समर्पित होता है। भक्तजन इस दौरान उपवास रखते हैं, पूजा-पाठ करते हैं और सात्विक जीवन जीते हैं ताकि आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त कर सकें।

ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें बताया कि चातुर्मास का जितना धार्मिक महत्व है उतना ही ज्योतिष में भी विशेष स्थान मौजूद है। ज्योतिष शास्त्र में चातुर्मास के दौरान कुछ कामों को करना अत्यधिक लाभकारी माना जाता है, इन्हीं में से एक है तुलसी के पास दीया जलाना। चातुर्मास में तुलसी के पास दीया जलाना बहुत शुभ मानते हैं, लेकिन इसके भी कुछ नियम हैं जिनका पालन आवश्यक माना गया है नहीं तो सकारात्मक ऊर्जा के बजाय नकारात्मकता बढ़ने लगती है। आइये जानते हैं इन नियमों के बारे में।

चातुर्मास में तुलसी के पास दीपक जलाने के नियम

दीपक जलाने का समय: तुलसी के पास दीपक जलाने का सबसे उत्तम समय संध्याकाल होता है, खासकर सूर्यास्त के बाद। इस समय वातावरण शांत होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। कुछ लोग सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर भी तुलसी को दीपक अर्पित करते हैं, लेकिन संध्याकाल को अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है।

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दीपक का प्रकार: तुलसी के पास गाय के शुद्ध घी का दीपक जलाना सर्वाधिक शुभ माना जाता है। यह नकारात्मकता को दूर करता है और घर में सुख-समृद्धि लाता है। घी उपलब्ध न होने पर तिल के तेल का दीपक भी जलाया जा सकता है। इसे भी शुभ माना जाता है। कभी भी सरसों के तेल या किसी अन्य अशुद्ध तेल का दीपक तुलसी के पास न जलाएं।

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दीपक की संख्या: सामान्यतः तुलसी के पास एक ही दीपक जलाया जाता है। यह पर्याप्त होता है और तुलसी माता के प्रति आपकी श्रद्धा को दर्शाता है। यदि आप कोई विशेष अनुष्ठान कर रहे हैं या किसी विशेष मनोकामना के लिए दीपक जला रहे हैं, तो आप अपनी श्रद्धा अनुसार अधिक दीपक भी जला सकते हैं, लेकिन यह आवश्यक नहीं है।

दीपक रखने का स्थान: दीपक को सीधे तुलसी के गमले के पास, किसी सुरक्षित स्थान पर रखें ताकि हवा से दीपक बुझे नहीं और तुलसी को कोई नुकसान न हो। दीपक जलाने से पहले उस स्थान को अच्छी तरह से साफ कर लें।

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दीपक जलाने से पहले और बाद क्या करें: दीपक जलाने से पहले स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें। शांत मन से और श्रद्धा भाव से दीपक जलाएं। किसी भी प्रकार का क्रोध या नकारात्मक विचार मन में न लाएं। दीपक जलाते समय आप 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' या 'महाप्रसाद जननी सर्व सौभाग्यवर्धिनी, आधि व्याधि हरा नित्यं तुलसी त्वं नमो नमः' जैसे मंत्रों का जाप कर सकते हैं। दीपक जलाने के बाद तुलसी की तीन या सात बार परिक्रमा करना शुभ माना जाता है। अनजाने में कोई त्रुटि हो गई हो, तो तुलसी माता से क्षमा याचना करें।

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image credit: herzindagi

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FAQ

  • चातुर्मास के दौरान क्या दान नहीं करना चाहिए? 

    चातुर्मास के दौरान बासी भोजन, पुराने वस्त्र या खराब वस्तुएं दान में न दें। 
  • चातुर्मास के दौरान भगवान विष्णु के कौन से मंत्र का जाप करें? 

    चातुर्मास में भगवान विष्णु के बीज मंत्र 'ॐ विष्णवे नमः' का जाप करना चाहिए।