हिंदू धर्म में चतुर्दशी का दिन भगवान शिव के भक्तों के लिए बेहद खास होता है। हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाने वाली मासिक शिवरात्रि भक्तों को भगवान शिव के करीब लाने का एक अवसर प्रदान करती है। इस दिन भक्त पूरे विधि-विधान से भगवान शिव की आराधना करते हैं और व्रत रखते हैं। मान्यता है कि इस दिन की गई पूजा से मन को शांति मिलती है और जीवन में सफलता प्राप्त होती है। आइए ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं कि साल 2025 की पहली मासिक शिवरात्रि कब है और इसके शुभ मुहूर्त क्या हैं।
मासिक शिवरात्रि का व्रत कब रखा जाएगा?
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस वर्ष मासिक शिवरात्रि का पावन पर्व 27 जनवरी को मनाया जाएगा। माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि इस दिन रात 8:34 बजे से प्रारंभ होकर 28 जनवरी की शाम 7:35 बजे तक रहेगी। इस शुभ अवसर पर भक्तगण भगवान शिव की आराधना में लीन रहेंगे।
मासिक शिवरात्रि के दिन पूजा का मुहूर्त कब है?
मासिक शिवरात्रि के दिन, भगवान शिव की पूजा के लिए कई शुभ मुहूर्त निर्धारित किए गए हैं। इन मुहूर्तों में ब्रह्म मुहूर्त, विजय मुहूर्त, गोधूलि मुहूर्त और निशिता मुहूर्त शामिल हैं।
- पूजा के लिए ब्रह्म मुहूर्त - यह दिन का सबसे पहला और पवित्र मुहूर्त माना जाता है। इस बार ब्रह्म मुहूर्त सुबह 5 बजकर 26 मिनट से शुरू होकर 6 बजकर 19 मिनट तक रहेगा।
- पूजा के लिए विजय मुहूर्त - यह मुहूर्त सभी शुभ कार्यों के लिए उत्तम माना जाता है। इस बार विजय मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 21 मिनट से शुरू होकर 3 बजकर 4 मिनट तक रहेगा।
- पूजा के लिए गोधूलि मुहूर्त - यह संध्या का समय होता है और देव पूजन के लिए शुभ माना जाता है। इस बार गोधूलि मुहूर्त शाम 5 बजकर 54 मिनट से शुरू होकर 6 बजकर 20 मिनट तक रहेगा।
- पूजा के लिए निशिता मुहूर्त - यह मध्यरात्रि का समय होता है और भगवान शिव की विशेष पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस बार निशिता मुहूर्त रात्रि 12 बजकर 7 मिनट से शुरू होकर 1 बजे तक रहेगा। मासिक शिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा का मुख्य मुहूर्त निशिता मुहूर्त ही है।
इसे जरूर पढ़ें - शिव जी को बेहद प्रिय हैं ये पंच पुष्प, जल्द होंगे प्रसन्न
मासिक शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा का महत्व क्या है?
मासिक शिवरात्रि का व्रत भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है। इस पावन दिन भगवान शिव की आराधना करने से जीवन में आने वाली सभी समस्याओं का समाधान मिलता है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है और कुंडली के दोष भी दूर होते हैं। विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती हैं और कुंवारी कन्याओं को योग्य वर की प्राप्ति होती है।
इसे जरूर पढ़ें - भगवान शिव के प्रसन्न होने पर मिलते हैं ये संकेत
अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह के और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हर जिंदगी से। अपने विचार हमें आर्टिकल के ऊपर कमेंट बॉक्स में जरूर भेजें।
Image Credit- HerZindagi
HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों