सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली तीज का पावन उत्सव मनाया जाता है। यह दिन विवाहित महिलाओं के लिए अपने पति की लंबी आयु और सुखी दांपत्य जीवन की मंगल कामना का प्रतीक है, जबकि कुंवारी कन्याएं मनचाहे जीवनसाथी की प्राप्ति हेतु यह निर्जला व्रत रखती हैं। इस विशेष अवसर पर भगवान शिव और माता पार्वती की श्रद्धापूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इसी शुभ दिन भगवान शिव ने माता पार्वती को अपनी अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार किया था। यही कारण है कि यह व्रत सुहागिन स्त्रियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। हरियाली तीज पर हरे रंग का विशेष महत्व होता है और महिलाएं सोलह श्रृंगार कर, पूरे उत्साह और उमंग के साथ इस पर्व को मनाती हैं। इस वर्ष हरियाली तीज का व्रत कब रखा जाएगा, पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है और इसका क्या महत्व है, यह सब विस्तार से जानने के लिए, आइए इस लेख मेंज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
कब रखा जाएगाहरियाली तीज का व्रत?
हरियाली तीज, जिसे श्रावणी तीज के नाम से भी जाना जाता है, सुहागिन महिलाओं द्वारा मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती के अटूट प्रेम और पुनर्मिलन का प्रतीक है। हरियाली तीज सावन मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, कोई भी व्रत या त्योहार उदया तिथि के आधार पर ही मनाया जाता है। इसलिए, तृतीया तिथि का सूर्योदय 27 जुलाई को होने के कारण, हरियाली तीज 27 जुलाई 2025 को ही मनाई जाएगी। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए निर्जला व्रत रखती हैं, जबकि कुंवारी कन्याएं अच्छे वर की कामना के साथ यह व्रत करती हैं।
- तृतीया तिथि का प्रारंभ- 26 जुलाई 2025, रात 10 बजकर 41 मिनट पर
- तृतीया तिथि का समापन- 27 जुलाई 2025, रात 10 बजकर 41 मिनट पर
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हरियाली तीज की पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है?
- ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 04:16 बजे से सुबह 04:58 बजे तक। यह दिन की शुरुआत में पूजा के लिए बहुत ही शुभ समय माना जाता है।
- प्रातःकाल पूजा मुहूर्त- सुबह 06:17 बजे से सुबह 08:24 बजे तक। इस दौरान आप सुबह की नियमित पूजा कर सकती हैं।
- अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:00 बजे से दोपहर 12:55 बजे तक। यह एक बहुत ही शुभ मुहूर्त होता है, जिसमें किए गए कार्य सफल होते हैं।
- गोधूलि मुहूर्त- शाम 06:58 बजे से शाम 07:18 बजे तक। सूर्यास्त के आसपास का यह समय भी पूजा के लिए उत्तम माना जाता है।
- सायाह्न पूजा मुहूर्त - शाम 06:58 बजे से रात 09:05 बजे तक। जो महिलाएं दिन में पूजा नहीं कर पातीं, वे शाम के इस मुहूर्त में पूजा कर सकती हैं।
हरियाली तीज की पूजा का महत्व क्या है?
हरियाली तीज का व्रत अखंड सौभाग्य की प्राप्ति है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। ऐसी मान्यता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए वर्षों तक कठोर तपस्या की थी और हरियाली तीज के दिन ही भगवान शिव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। इसलिए, इस दिन व्रत रखने और पूजा करने से महिलाओं को माता पार्वती जैसा सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
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