गुरु पूर्णिमा पर करें इन मंत्रों का जाप, जीवन में छाई असफलता होगी दूर

अगर जीवन में सफलता नहीं मिल पा रही है या फिर बार-बार असफल हो जाते हैं या फिर तरक्की रुक गई है तो ऐसे में गुरु पूर्णिमा के दिन कुछ मंत्रों का जाप कर सफलता प्राप्त की जा सकती है।
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गुरु पूर्णिमा का त्यौहार गुरुओं के प्रति अपनी कृतज्ञता और सम्मान व्यक्त करने का एक विशेष दिन है। यह हिंदू, बौद्ध और जैन धर्मों में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन शिष्य अपने गुरुओं का आशीर्वाद लेते हैं और उनके प्रति आभार व्यक्त करते हैं जिन्होंने उन्हें ज्ञान, शिक्षा और सही मार्ग दिखाया है। हिन्दू धर्म में तो गुरु को भगवन से भी बढ़कर माना गया है क्योंकि भगवान तक पहुंचाने का काम भी गुरु ही करते हैं। इसके अलावा, गुरु पूर्णिमा के दिन महर्षि वेद व्यास जी के जन्म दिवस को मनाया जाता है।

धार्मिक के अलावा, ज्योतिष दृष्टि से भी गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु की पूजा करने से गुरु ग्रह को मजबूत किया जा सकता है। इसके अलावा, ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें बताया कि अगर जीवन में सफलता नहीं मिल पा रही है या फिर बार-बार असफल हो जाते हैं या फिर तरक्की रुक गई है तो ऐसे में गुरु पूर्णिमा के दिन कुछ मंत्रों का जाप कर न सिर्फ सफलता प्राप्त की जा सकती है बल्कि गुरु ग्रह के मजबूत होने पर करियर, नौकरी, व्यापार आदि में भी उन्नति हो सकती है।

गुरु पूर्णिमा 2025 के मंत्र

गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वरः। गुरुर्साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नमः।। इस मंत्र का अर्थ है कि गुरु ही ब्रह्मा हैं, गुरु ही विष्णु हैं, गुरु ही साक्षात भगवान शिव हैं। गुरु ही साक्षात परब्रह्म हैं, ऐसे श्री गुरु को मेरा नमस्कार है। यह मंत्र सीधे गुरु तत्व से जुड़ा है जो ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है। बृहस्पति ज्ञान, विवेक, धर्म, संतान, विवाह, धन और भाग्य का कारक ग्रह है। इस मंत्र के जाप से कुंडली में बृहस्पति की स्थिति मजबूत होती है।

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ॐ बृं बृहस्पतये नमः।। यह बृहस्पति देव का बीज मंत्र है। यह मंत्र सीधे बृहस्पति ग्रह को समर्पित है। इसका जाप करने से जिनकी कुंडली में गुरु कमजोर या पीड़ित होता है उन्हें विशेष लाभ मिलता है। गुरु दोष जैसे विवाह में देरी, संतान संबंधी समस्या, धन की कमी, पेट संबंधी रोग के प्रभाव कम होते हैं। जीवन में सकारात्मकता आती है और निराशा दूर होती है। सही निर्णय लेने की शक्ति बढ़ती है। व्यक्ति की आध्यात्मिक मार्ग पर प्रगति होने लगती है।

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ॐ गुरुदेवाय विद्महे, परम गुरुवे धीमहि, तन्नो गुरुः प्रचोदयात्।। यह गुरु गायत्री मंत्र है। इस मंत्र का अर्थ है हम गुरु रूपी देव का ध्यान करते हैं, परम गुरु का चिंतन करते हैं, वे गुरु हमें ज्ञान प्रदान करें। गायत्री मंत्र की तरह यह मंत्र भी अत्यंत शक्तिशाली है। इसके जाप से मानसिक स्पष्टता आती है और बुद्धि प्रखर होती है। नकारात्मकता दूर होती है और मन शांत रहता है। गुरु का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष आशीर्वाद प्राप्त होता है, जो जीवन के हर क्षेत्र में सफलता दिलाता है।

ॐ परमतत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः।। इस मंत्र का अर्थ है परम तत्व स्वरूप, नारायण रूपी गुरुओं को मेरा नमस्कार है। यह मंत्र गुरु को साक्षात नारायण का रूप मानता है। नारायण का संबंध भगवान विष्णु से है, जो ब्रह्मांड के पालक हैं। इस मंत्र के जाप से जीवन में आने वाली बाधाओं और चुनौतियों से सुरक्षा मिलती है। जीवन में स्थिरता आती है और मानसिक शांति मिलती है। गुरु को नारायण मानने से सभी देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

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ॐ गुं गुरुभ्यो नमः।। इस मंत्र का अर्थ है गुरुओं को मेरा नमस्कार है। यह एक सरल और प्रभावी गुरु मंत्र है। ह मंत्र भी सीधे बृहस्पति ग्रह को प्रभावित करता है और इसके जाप से मन को तुरंत शांति मिलती है और सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव होता है। जीवन में आने वाली छोटी-मोटी परेशानियां और बाधाएं दूर होती हैं। गुरु का सूक्ष्म रूप में आशीर्वाद और मार्गदर्शन प्राप्त होता है। ध्यान और एकाग्रता बढ़ती है। धार्मिक कार्यों और अच्छे कर्मों के फल की प्राप्ति होती है।

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image credit: herzindagi

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FAQ

  • गुरु पुर्निमा के दिन गुरु नहीं हैं तो किसकी पूजा करें? 

    किसी भी बच्चे के माता-पिता उसके पहले गुरु होते हैं, ऐसे में अगर गुरु नहीं हैं तो गुरु पूर्णिमा के दिन अपने माता-पिता की पूजा एवं सेवा करें। अगर माता-पिता भी नहीं हैं तो भगवान को ही गुरु मानकर उनकी पूजा करनी चाहिए।