पीपल के पेड़ को हिंदू धर्म में बहुत पवित्र माना जाता है और इसकी पूजा भी की जाती है, लेकिन कुछ विशेष समय ऐसे होते हैं जब पीपल के पेड़ के नीचे दीया जलाना शुभ नहीं माना जाता है। ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें बताया कि कि कब-कब पीपल के पेड़ के नीचे दीया जलाना वर्जित माना गया है।
पीपल के पेड़ के नीचे सूर्यास्त के बाद न जलाएं दीया
ऐसा माना जाता है कि सूर्यास्त के बाद नकारात्मक शक्तियां अधिक सक्रिय हो जाती हैं। पीपल के पेड़ पर कई प्रकार की अदृश्य शक्तियों का वास माना जाता है। सूर्यास्त के बाद दीया जलाने से ये नकारात्मक शक्तियां आकर्षित हो सकती हैं और घर में नकारात्मक ऊर्जा ला सकती हैं।
कुछ लोगों का यह भी मानना है कि सूर्यास्त के बाद पीपल के पेड़ पर पितरों का वास होता है, और इस समय दीया जलाने से उन्हें परेशानी हो सकती है या उनका अपमान हो सकता है। इसलिए, सूर्यास्त के बाद पीपल के पेड़ के नीचे दीया जलाने से बचने की सलाह दी जाती है।
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पीपल के पेड़ के नीचे ग्रहण के दौरान न जलाएं दीया
ग्रहण का समय अशुभ माना जाता है। सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण दोनों ही नकारात्मक ऊर्जा से भरे होते हैं। इस दौरान किसी भी प्रकार की शुभ या मांगलिक कार्य करने की मनाही होती है। पीपल के पेड़ के नीचे दीया जलाना भी एक प्रकार का धार्मिक कार्य माना जाता है।
इसलिए ग्रहण के दिन इसे करने से नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। ऐसा माना जाता है कि ग्रहण के दौरान वातावरण दूषित हो जाता है और इस समय जलाई गई रोशनी नकारात्मक ऊर्जा को और बढ़ा सकती है। इसलिए, ग्रहण के दिन पीपल के पेड़ के नीचे दीया जलाने से बचना चाहिए।
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पीपल के पेड़ के नीचे अमावस्या तिथि पर न जलाएं दीया
अमावस्या की तिथि को भी नकारात्मक ऊर्जाओं के लिए अधिक संवेदनशील माना जाता है। इस दिन पितरों की शांति के लिए दान और तर्पण आदि कार्य किए जाते हैं, लेकिन कुछ विशेष धार्मिक कार्य जैसे दीया जलाना कुछ स्थानों पर वर्जित माना जाता है।
कुछ मान्यताओं के अनुसार, अमावस्या की रात में नकारात्मक शक्तियां प्रबल होती हैं और पीपल के पेड़ के नीचे दीया जलाने से वे आकर्षित हो सकती हैं। इसलिए, अमावस्या की तिथि पर सूर्यास्त के बाद पीपल के पेड़ के नीचे दीया जलाने से बचने की सलाह दी जाती है ताकि नकारात्मक ऊर्जाओं के प्रभावों से बचा जा सके।
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image credit: herzindagi
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