क्या कभी आपके साथ ऐसा हुआ है कि आप समय पर रेलवे स्टेशन पहुंच गए, टिकट भी हाथ में था, लेकिन फिर भी आपकी ट्रेन आपकी आंखों के सामने से निकल गई? ऐसा होना वाकई बहुत परेशान करने वाला होता है, खासकर तब जब आप सफर के लिए पूरी तैयारी करके आए हों। ऐसे में कई बार मन में सवाल आता है कि जब हम समय पर स्टेशन पहुंचें, फिर भी ट्रेन छूट गई, तो क्या हम इंडियन रेलवे से मुआवजा नहीं मांग सकते?
इस सवाल का जवाब कुछ खास हालतों में 'हां' है, जहां आप मुआवजा या टिकट का रिफंड मांग सकते हैं। लेकिन इसके लिए यह समझना जरूरी है कि भारतीय रेलवे के हिसाब से ऑन टाइम क्या होता है।
इंडियन रेलवे के मुताबिक, अगर आपकी ट्रेन सुबह 5:00 बजे चलने वाली है और आप 4:55 बजे प्लेटफॉर्म पर पहुंचते हैं, तो आपको 'ऑन टाइम' माना जाता है। अगर ट्रेन अपने तय समय 5:00 बजे से पहले 4:50 पर ही निकल जाती है या बिना बताए दूसरे प्लेटफॉर्म पर आ जाती है, तो यह रेलवे की गलती मानी जाती है।
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कल्पना कीजिए आपकी ट्रेन नई दिल्ली से पटना जा रही है और उसका चलने का समय सुबह 6 बजकर 10 मिनट है। आप सुबह 6 बजे स्टेशन पहुंच जाते हैं, लेकिन वहां जाकर पता चलता है कि ट्रेन पहले ही निकल चुकी है।
ऐसी स्थिति में यह पूरी तरह से रेलवे की गलती मानी जाएगी, क्योंकि ट्रेन को उसके तय समय से पहले चलने की इजाजत नहीं होती, खासकर शुरुआती स्टेशन से। इस मामले में आप रेलवे के खिलाफ शिकायत दर्ज कर सकते हैं और अपनी टिकट का रिफंड या मुआवजे की मांग कर सकते हैं।
कई बार रेलवे में तकनीकी दिक्कतों की वजह से किसी ट्रेन का चलने का समय बदल दिया जाता है यानी ट्रेन पहले या देर से चल सकती है। अगर आपने अपना टिकट ऑनलाइन बुक किया है, तो आमतौर पर रेलवे आपको SMS या ईमेल के ज़रिए जानकारी देता है। लेकिन अगर ट्रेन का समय बदल गया और आपको कोई जानकारी नहीं मिली और इसी वजह से आपकी ट्रेन छूट गई, तो यह रेलवे की गलती मानी जाएगी और आप इसके लिए शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
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हाल ही में गाजियाबाद के एक जिला विवाद निवारण आयोग ने एक यात्री को 7,000 रुपये का मुआवजा दिया, क्योंकि ट्रेन का प्लेटफॉर्म बदलने की जानकारी सही समय पर नहीं दी गई थी। इसकी वजह से वह और उनका पूरा परिवार ट्रेन पकड़ने से चूक गया था। ऐसे मामलों में जब रेलवे समय पर या साफ-साफ घोषणा नहीं करता, जिससे यात्री को ट्रेन पकड़ने में मुश्किल होती है या ट्रेन छूट जाती है, तो इसे 'सेवा में कमी' माना जाएगा।
ऐसे मामलों में आप रेलवे क्लेम्स ट्रिब्यूनल या 139 हेल्पलाइन पर कॉल करके शिकायत दर्ज कर सकते हैं। हालांकि, तुरंत मुआवजा तभी मिलता है जब आपने कंज्यूमर फोरम में आधिकारिक तौर पर दावा दर्ज कराया हो।
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