माहवारी होने पर घर से बाहर निकलने की शर्म से लेकर पीरियड से जुड़ा सामान खरीदने तक, बदलते दौर में जानिए Menstrual Hygiene पर महिलाओं की सोच

Women’s Menstrual Experiences: एक समय था, जब लोग माहवारी हुई लड़की को अपवित्र कहते थे। जब कभी इस विषय पर बात होती , तो लड़कियां नजरें झुका लेती थी। साथ ही इस दौरान वाले दर्द सहती थीं। इतना ही नहीं बल्कि सैनिटरी नैपकिन खरीदना किसी मिशन से कम नहीं था। लेकिन बदलते समय के साथ अब लड़कियां बेझिझक बात करती है।
Menstrual health awareness

Women's Thoughts On Menstruation Hygiene: जिसे मासिक आता है, वो अपवित्र होती है। पीरियड्स के दौरान खाना छूने से खाना खराब हो जाता है। और माहवारी में औरत अशुभ होती है, उससे दूरी बनाकर रखनी चाहिए। ऐसी तमाम सारी कहावत हम सभी ने अपने जीवन में कभी-न-कभी तो जरूर सुनी होगी। बहुत ज्यादा पहले की बात नहीं करेंगे लेकिन फिर हम अपनी मां, जिस समय हमारी उम्र की होगी उसकी बात करते हैं। हालांकि मैं अभी-भी बहुत पहले की बात कर रही हूं क्योंकि आज भी समाज के कई हिस्से ऐसे हैं, जहां पर मासिक धर्म को बीमारी की तरह देखा जाता है। अब सोच रही हूं कि मैं क्या बात कर रही हूं। लेकिन यह सच, हमारी सोसायटी का एक हिस्सा आज भी माहवारी के दौरान लड़कियों को आचार, मसाले, मंदिर, बाहर न घूमने और इसके बारे में बात न करने के बारे में कहता है।

हालांकि इस बात से भी पीछे नहीं हट सकते हैं कि पीरियड को लेकर लोगों की सोच में बदलाव आया। लेकिन एक वक्त ऐसा था जब माहवारी पर बात करना तो दूर, इसका जिक्र करना भी शर्म की बात हुआ करती थी। इसके बारे में पता न होने के कारण अगर उन्हें स्कूल में पीरियड आ जाता था, तो वह डर जाया करती थी। दादी-नानी को अगर पता हो कि बिटिया को माहवारी आया है, तो वह रसोई घर, मंदिर और अचार का डिब्बा छूने से मना कर देती थी। इस दौरान लड़की को मासिक धर्म वाले दर्द और परेशानी को छिपा कर रखने के लिए कहा जाता था।

अब समय बदल रहा है। आज की महिलाएं माहवारी को लेकर न केवल जागरूक हो रही हैं, बल्कि इस समय होने वाले दर्द और दिक्कतों को एक-दूसरे से साझा करती हैं। फिर चाहे वह मां हो, सहेलियां हो या फिर पति और पिता ही क्यों न हो। इतना ही नहीं बल्कि अब इस विषय को लेकर शहर और गांव के स्कूलों में Menstrual hygiene पर चर्चा होती है। अब ऐसे में हमारे मन में सवाल आया कि चलिए जानते हैं कि हमारे आस-पास रह रहीं महिलाओं की पीरियड्स को लेकर क्या सोच है। इस लेख में आज हम आपको पहले और आज के दौर में पीरियड को लेकर बदलते बदलाव के बारे में वुमेन्स के विचार बताने जा रहे हैं।

इस विषय पर बात करने में आज भी होती है हिचक

Menstrual hygiene को लेकर जब हमने शिखा से बात-चीत कर उन्होंने बताया कि जब उन्हें पहली बार मासिक धर्म हुआ था, तो मां ने इस बारे में समझाया और इसके बारे में बताया। बदलते दौर में कहने को तो मैं इस विषय पर फीमेल से खुलकर बात कर सकती हूं। लेकिन आज भी मैं मेल कैटेगरी से इस टॉपिक से बात करने से कतराती हूं।

भाई से पीरियड पर बात करने में लगता है अजीब

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पीरियड और Menstrual hygiene को लेकर जब हमने ग्रेजुएशन स्टूडेंट् मुस्कान से बात कि, तो उन्होंने कहा कि वह बेझिझक होकर अपने पिता से इस बारे में कह सकती हैं। लेकिन कहीं न कहीं उन्हें अपने भाइयों से इस विषय पर बात करने से अजीब लगता है। इसके बारे में आगे बात करते हुए उन्होंने कहा कि जब उनकी मां इस स्थिति से होकर गुजरती है, तो वह अपने जेठ के लिए खाना नहीं बनाती है क्योंकि वह पूजा-पाठ ज्यादा करते हैं।

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Image credit-Freepik

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