क्या आप जानते हैं मंदिर के भीतर नंगे पैर प्रवेश क्यों किया जाता है?

हिंदू धर्म में मंदिर में प्रवेश के दौरान जूते-चप्पल बाहर ही उतार दिए जाते हैं। आइए जानें इसके पीछे के कारणों के बारे में।

 

Samvida Tiwari
why we enter barefoot at temple in astrology

हिंदू धर्म दुनिया के सबसे लोकप्रिय धर्मों में से एक है। इस धर्म में अनगिनत रस्में हैं जिनका अर्थ भी बहुत मायने रखता है। हिंदू धर्म में पूजा पाठ का अपना अलग महत्व बताया गया है। ऐसे ही पूजा के अलग -अलग नियम भी होते हैं जिनका अनुसरण जरूरी माना जाता है।

इन्हीं नियमों में से एक प्रमुख है मंदिर के भीतर प्रवेश करते समय जूते और चप्पल प्रवेश द्वार के बाहर ही उतार देना। वास्तव में आपके मन में कभी न कभी ये ख्याल जरूर आया होगा कि आखिर मंदिर में प्रवेश हमेशा नंगे पैर ही क्यों किया जाता है? मेरे मन में भी ऐसे कई सवाल बार-बार गोते लगाते हैं, जिनका जवाब जानने के लिए मैंने नारद संचार के ज्योतिष अनिल जैन जी से बात की। आइए आपको बताते हैं इस सवाल के सही जवाब के बारे में।

मंदिर की पवित्रता के लिए जरूरी है

why we should enter bare foot at temple

धार्मिक स्थल बहुत ही पवित्र माना जाता है और उसकी पवित्रता बनाए रखना बहुत जरूरी होता है। यदि हम जूते-चप्पल पहनकर मंदिर के भीतर प्रवेश करते हैं तो उस स्थान की पवित्रता भंग हो सकती है। हम सभी जानते हैं कि मंदिर ही नहीं बल्कि घर के भीतर भी बाहर इस्तेमाल किए जाने वाले जूते चप्पलों का प्रयोग अच्छा नहीं माना जाता है।

दरअसल ज्योतिष की न भी मानें तब भी विज्ञान के अनुसार बाहर प्रयोग में लाए गए जूते चप्पलों में कई लाख बैक्टीरिया मौजूद होते हैं जिनके मंदिर में प्रवेश करने से कई बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।

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ईश्वर को सम्मान देने के लिए जरूरी है

ऐसा माना जाता है कि यदि हम मंदिर में जूते-चप्पल पहनकर प्रवेश करते हैं तो ये ईश्वर का अपमान करने जैसा है। ईश्वर को सम्मान देने और उनके प्रति आस्था दिखाने का एक मात्र तरीका मंदिर में लगे पैर प्रवेश करना माना जाता है। केवल मंदिर ही नाहीं लोग अपने घरों में भी जूतों की मनाही करते हैं क्योंकि इसे भी घर के सम्मान का प्रतीक माना जा सकता है ।

पैर धोकर प्रवेश करना चाहिए

we should enter temple with clean feet

ऐसा माना जाता है कि यदि मंदिर में प्रवेश करने से पहले आप पैरों को पानी से धो लेते हैं तो यह और ज्यादा अच्छा माना जाता है। दरअसल, पानी एक इलेक्ट्रोमैग्नेटिक एनर्जी का स्रोत होता है जिसके कारण नंगे पैर पानी से धोने के बाद ही मंदिर में प्रवेश करने की सलाह दी जाती है।

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चमड़े के जूते अपवित्र माने जाते हैं

जूते हटाकर नंगे पैर मंदिर में प्रवेश करने का एक सबसे लोकप्रिय कारण यह है कि जूते के तलवे सड़क की अशुद्धियों को अवशोषित कर लेते हैं, दूसरा कारण यह है कि जूते चमड़े के बने होते हैं जिसे हिंदू धर्म में अशुद्ध माना जाता है क्योंकि यह मृत जानवरों से बनते हैं।

यही कारण है कि हिंदू न केवल अपने जूते बाहर छोड़ देते हैं बल्कि जब वे किसी पूजा या किसी धार्मिक काम के लिए बैठते हैं तो उन्हें अपने चमड़े के बेल्ट और पर्स को भी उतारना पड़ता है।

मंदिर की स्वच्छता बनाए रखने के लिए नंगे पैर प्रवेश करें

enter barefoot for cleaning of temple

जूते आमतौर पर हमारे पैर की उंगलियों और तलवों को धूल और बाहरी दुनिया में सभी प्रकार की अशुद्धियों के संपर्क से बचाने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं और इसी वजह से जूते गंदगी से भरपूर होते हैं। यही वजह है कि मंदिर (मंदिर जाते समय क्या करें) को स्वच्छ बनाए रखने के लिए इसके भीतर नंगे पैर ही प्रवेश करने की सलाह दी जाती है।

क्या हैं वैज्ञानिक कारण

यदि हम विज्ञान की मानें तो मंदिरों में ऊर्जा का एक चैनल होता है और नंगे पैर होने पर इसी ऊर्जा का आदान प्रदान होता है। इसके अलावा, कई बार मंदिर की फर्श को हल्दी और सिंदूर से ढक दिया जाता है, जो उपचारात्मक होता है और जब हम नंगे पैर मंदिर की सीढ़ियों पर प्रवेश करते हैं तब यह शरीर के लिए कई तरफ से लाभदायक होता है।

यहां बताए गए सभी कारणों की वजह से न केवल हिंदू बल्कि सभी धर्मों के लोग भगवान से प्रार्थना करने के लिए मंदिर में नंगे पैर ही प्रवेश करते हैं।

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