सनातन धर्म में जन्म से मृत्यु तक 16 संस्कारों का वर्णन किया गया है। ये सभी संस्कार व्यक्ति के स्वास्थ्य और आध्यात्मिक विकास की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। इन्हीं संस्कारों में से एक है बच्चों का मुंडन संस्कार।
यह बच्चों के जीवन का सबसे बड़ा संस्कार माना जाता है, जिसमें पहली बार बालों को काटा जाता है। मुंडन संस्कार का रिवाज न सिर्फ हिंदुओं में बल्कि अन्य धर्मों में भी प्रचलित है। धार्मिक कारण हों या वैज्ञानिक कारण बच्चों का मुंडन बहुत ही जरूरी माना जाता है।
दरअसल ऐसी मान्यता है कि जन्म के बालों में कई अशुद्धियों का वास होता है और यदि बच्चे का मुंडन नहीं करवाया जाता है तो सभी अशुद्धियां दूर नहीं होती हैं और ये बच्चे के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से बाधा उत्पन्न कर सकता है।
इसी वजह से बच्चों का मुंडन अति आवश्यक माना जाता है। इसके साथ ही यह भी प्रश्न उठता है कि मुंडन के बाद बच्चे के सिर के ऊपर हल्दी से स्वास्तिक का निशान क्यों बनाया जाता है। इस प्रश्न का उत्तर जानने के लिए हमने नारद संचार के ज्योतिष अनिल जैन जी से बात की। आइए जानें मुंडन के बाद सिर में स्वास्तिक बनाने के कारणों और इसके महत्व के बारे में।
स्वास्तिक को गणपति का प्रतीक माना जाता है और विष्णु जी और सूर्य का आसान भी है। मान्यता है कि मस्तिष्क में ऐसा चक्र होता है जो मस्तिष्क को नियंत्रित करता है। इसके साथ ही स्वास्तिक को शुभ, मंगल और कल्याण का प्रतीक भी माना जाता है। हिन्दू संस्कृति में स्वास्तिक का विशेष महत्व बताया गया है। इसी वजह से किसी भी शुभ काम की शुरुआत में स्वास्तिक का चिह्न बनाया जाता है और इसे लाभ का चिह्न भी माना जाता है। (क्या आप जानते हैं सारे ज्योतिर्लिंग जमीन के नीचे क्यों स्थित हैं)
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ऐसी मान्यता है कि स्वास्तिक का निशान बच्चे के चार पुरुषार्थ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष इन चारों पुरुषार्थों का एक योगात्मक रूप देने में और इसका हमारे शरीर और जीवन पर क्या प्रभाव होगा ये बताने में मदद करता है। मुंडन के तुरंत बाद सिर में स्वास्तिक का निशान बनाने से बच्चे के जीवन के सारे पुरुषार्थ भली भांति हमेशा चलते रहते हैं और बच्चा उनका सही ढंग से अनुसरण करता है। (कुंवारी लड़कियों को सपने में दिखें ये 5 चीजें तो जल्द हो सकती है शादी)
स्वास्तिक में जो बिंदु होते हैं वो बच्चे का दिमाग केंद्रित रखने में मदद करते हैं। स्वास्तिक का निशान चारों दिशाओं से ऊर्जा को लेकर केंद्रित करने में मदद करता है। इस निधान के फायदे एहि हैं कि इससे बच्चे का भावी जीवन में दिमाग हमेशा तेज रहता है और किसी भी काम में मन लगता है।
यदि स्वास्तिक हल्दी से बनाया जाता है तो ये विशेष रूप से शुभ माना जाता है क्योंकि ज्योतिष में हल्दी को बहुत ही पवित्र माना जाता है और ये किसी भी शुभ काम में इस्तेमनाल में लाई जाती है। हल्दी गुरु बृहस्पति का तत्व मानी जाती है और सिर में हल्दी से स्वास्तिक बनाने से गुरु बृहस्पति को प्रसन्न करने में मदद मिलती है जो भावी जीवन को शुभ बनाते हैं।
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यदि हम ज्योतिष की न भी मानें तब भी मुंडन के समय जब बालों को काटा जाता है तब कई बार सिर में छोटी -मोटी खरोंच लग जाती है। हल्दी एंटीसेप्टिक गुणों से भरपूर होती यही। इसी वजह से यदि मुंडन के बाद सर में हल्दी का लेप लगाया जाता है तो किसी भी प्रकार का इन्फेक्शन होने का भय नहीं रहता है।
इन्हीं कारणों से सिर में मुंडन के बार हल्दी का स्वास्तिक बनाना बहुत ही शुभ माना जाता है और इसके फायदे न सिर्फ बचपन में बल्कि पूरे जीवन भर मिलते हैं।
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