(why daughter should not go to inlaws house on wednesday) बुध ग्रह को बुद्धि का प्रदाता माना जाता है। इस ग्रह को मजबूत करने के लिए बुधवार के दिन खास व्रत किया जाता है। सफेद फूलों और सफेद चंदन से बुधदेव की विशेष रूप से पूजा की जाती है। इस व्रत में हरे रंग की चीजों का विशेष रूप से उपयोग किया जाता हैष। व्रत में आखिर में भगवान शिव की पूजा धूप-दीप, बेलपत्र आदि से की जाती है। इस दिन व्रत कथा सुनने या पढ़ने के बाद प्रसाद जरूर ग्रहण करना चाहिए। इसी तरह बेटी की विदाई करने के लिए भी कई नियमों के बारे में बताया गया है। माना जाता है कि अगर सही समय पर विदाई नहीं की गई, तो वैवाहिक जीवन में परेशानियां आती है।
आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से जानते हैं कि बेटी की विदाई से बुधवार का क्या संबंध है।
ऐसी कथा प्रचलित है कि प्राचीन काल में एक व्यक्ति अपनी पत्नी को विदा कराने के लिए ससुराल गया और वहां कुछ दिन रहने के बाद उसने अपने सास ससुर से पत्नी को बुधवार को विदा कराने के लिए कहा। तब सास-ससुर और अन्य संबंधियों ने बुधवार का दिन होने से मना कर दिया। इस दिन बेटी को मायके से विदा नहीं किया जाता है। वह जिद पर अपनी पत्नी को विदा कराके अपने शहर की ओर चला गया। रास्ते में उसकी पत्नी को बेहद प्यास लगी, तो पति लोटा लेकर गाड़ी से उतरा और पानी लेने चला गया । जब वह पानी लेकर लौटी, तो उसे आश्चर्य हुआ। उसने देखा कि उसकी जैसी शक्ल और सूरत का दूसरा व्यक्ति उसकी पत्नी के बगल में बैठा हुआ है।
यह सब देखकर वह बहुत क्रोधित हुआ और उस व्यक्ति से पूछा, कि तुम कौन हो, यहां मेरी पत्नी के बगल में क्यों बैठे हो, फिर उस व्यक्ति ने पलटकर जवाब दिया और उसी से पूछा, कि आप कौन हैं, यह मेरी पत्नी है। इस पर दोनों में लड़ाई होने लगी। तब तक उस राज्य में सिपाही पहुंच गए और उन्होंने उस महिला से ही पूछा कि तुम्हारा पति कौन है, लेकिन वह भी असमंजस में पड़ गई।
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इसके बाद औरत का असली पती भगवान से प्रार्थना करने लगा कि हे प्रभु! यह सब क्या हो रहा है, तभी आकाशवाणी हुई कि तुमने बुधवार को यात्रा किया और किसी की बात नहीं मानी। इसलिए ऐसा हुआ। यह सब बुध (बुध दोष उपाय) देव की लीला है। इस पर उस व्यक्ति ने बुधदेव से क्षमा भी माफी मांगी। तब वह उसी के रूप में आए और बुधदेव अंतर्ध्यान हो गए। वह व्यक्ति अपनी पत्नी को लेकर घर आया और नियम के अनुसार बुधवार (बुधवार मंत्र) का व्रत करने लग गया। ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति बुधवार के दिन इस कथा को सुनता और पढ़ता है, उसे बुधवार के दिन यात्रा करने से दोष नहीं लगता है और व्यक्ति को सभी सुखों की प्राप्ति होती है।
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बुधवार के दिन इस मंत्र का 108 बार जाप करें।
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