सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। यह व्रत भगवान शिव को समर्पित है और मान्यता है कि इस दिन विधि-विधान से शिव जी की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उन्हें सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। जब प्रदोष व्रत बुधवार को पड़ता है, तो इसे बुध प्रदोष व्रत कहते हैं, और इस दिन शिव पूजा का महत्व और भी बढ़ जाता है। इसके बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं कि बुध प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा किस विधि से करें, पूजा सामग्री क्या है और क्या उपाय करें और किन मंत्रों का जाप करने से लाभ हो सकता है।
बुध प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा के लिए सामग्री
- शिवलिंग
- जल और गंगाजल
- कच्चा दूध
- दही और घी
- शहद और चीनी/गुड़
- बेलपत्र
- धतूरा और आंकड़े के फूल
- पुष्प
- चंदन
- भस्म
- धूप और दीप
- फल और मिठाई
- वस्त्र
- जनेऊ
- पान के पत्ते और सुपारी
- दक्षिणा
बुध प्रदोष व्रत के भगवान शिव की पूजा विधि
- पूजा शुरू करने से पहले हाथ में जल, फूल और अक्षत लेकर व्रत का संकल्प लें. मन में भगवान शिव का स्मरण करें और अपनी मनोकामना दोहराएं.
- शिवजी को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल का मिश्रण) से अभिषेक करें. इसके बाद शुद्ध जल से स्नान कराएं।
- शिवजी को चंदन का लेप लगाएं और नए वस्त्र अर्पित करें।
- बेलपत्र भगवान शिव को अत्यंत प्रिय हैं. कम से कम 11 बेलपत्र 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जाप करते हुए अर्पित करें. इसके साथ ही धतूरा, आक के फूल और अन्य मौसमी फूल चढ़ाएं।
- शिवजी को खीर, मिठाई या फलों का भोग लगाएं. तुलसी दल शिवजी को अर्पित नहीं किया जाता है।
- 'ॐ नमः शिवाय' या महामृत्युंजय मंत्र का यथाशक्ति जाप करें. कम से कम 108 बार जाप करना शुभ माना जाता है।
- अंत में भगवान शिव की आरती करें।
बुध प्रदोष व्रत के दिन क्या उपाय करें?
- बुध प्रदोष के दिन सुबह स्नान आदि से निवृत होकर भगवान शिव को 21 बेलपत्र अर्पित करें। बेलपत्र पर चंदन से 'ॐ नमः शिवाय' लिखें। इससे भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं और आपकी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
- इस दिन भगवान गणेश को दूर्वा अर्पित करना बहुत शुभ माना जाता है। 21 गांठ दूर्वा की अर्पित करें। इससे कुंडली में बुध की स्थिति मजबूत होती है और शिक्षा तथा बुद्धि में वृद्धि होती है।
- बुध प्रदोष के दिन हरे मूंग का दान करना अत्यंत फलदायी होता है। आप किसी गरीब या जरूरतमंद व्यक्ति को हरे मूंग दान कर सकते हैं। इससे बुध ग्रह के नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं।
- बुध प्रदोष के दिन 'ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः' मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें।
- शाम के समय प्रदोष काल में शिवलिंग पर जल के साथ शमी पत्र अर्पित करें। शमी पत्र भगवान शिव को अत्यंत प्रिय हैं और इन्हें अर्पित करने से शनि दोष भी शांत होते हैं।
- बुधवार का दिन गौ माता की सेवा के लिए भी विशेष होता है। बुध प्रदोष के दिन गौ माता को हरा चारा खिलाएं या उनकी परिक्रमा करें। इससे घर में सुख-समृद्धि आती है और वास्तु दोष दूर होते हैं।
बुध प्रदोष व्रत के दिन किन मंत्रों का जाप करें?
- ॐ नमः शिवाय:
- ॐ बुं बुधाय नमः
- ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
- ॐ बुधाय नमः शान्ताय सर्वपापप्रणाशने।
- ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्
- ॐ बुधाधिदेवाय विद्महे, सौम्यग्रहाय धीमहि, तन्नो बुधः प्रचोदयात्:
बुध प्रदोष व्रत के दिन किन नियमों का पालन करें?
- व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें. पूजा स्थल को भी गंगाजल से पवित्र करें.
- बुध प्रदोष व्रत में आप अपनी श्रद्धा अनुसार फलाहार या निराहार रह सकते हैं. यदि आप निराहार नहीं रह सकते, तो शाम की पूजा के बाद फलाहार कर सकते हैं. नमक का सेवन करने से बचें.
- व्रत के दिन मन में किसी भी प्रकार के बुरे विचार न लाएं और किसी का अपमान न करें. शांत और सात्विक रहें.
- व्रत का पारण अगले दिन चतुर्दशी तिथि को सूर्योदय के बाद करें. पारण से पहले भगवान शिव को भोग लगाएं और प्रसाद ग्रहण करें.
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बुध प्रदोष व्रत की पूजा का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि बुध प्रदोष व्रत रखने से व्यक्ति को स्वास्थ्य, धन और संतान सुख की प्राप्ति होती है। यह व्रत शत्रुओं पर विजय दिलाने और जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करने में सहायक होता है। जो लोग बुध ग्रह के खराब प्रभावों से पीड़ित हैं, जैसे कि वाणी संबंधी समस्याएँ, व्यापार में नुकसान, या एकाग्रता की कमी, उनके लिए यह व्रत विशेष रूप से लाभकारी होता है।
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Image Credit- HerZindagi
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