ट्रेन और बसों में अक्सर आपने देखा होगा कि 5 साल तक के बच्चों को मुफ्त यात्रा की सुविधा मिलती है, लेकिन फ्लाइट में ऐसा नहीं होता है। अगर आपका बच्चा 2 साल से कम उम्र का है, तो उसे अलग सीट नहीं दी जाती। वह आपकी गोद में बैठकर यात्रा कर सकता है। हालांकि, कुछ एयरलाइंस छोटे बच्चों के लिए इन्फेंट टिकट चार्ज करती हैं, जो कि वयस्क टिकट की तुलना में काफी सस्ती होती है। वहीं, 2 से 12 साल के उम्र वाले बच्चों को फ्लाइट में अलग सीट दी जाती है और एडल्ट की तुलना में कम कीमत पर ही उनका टिकट मिल जाता है। 12 साल के उम्र के बाद सभी की फ्लाइट टिकट की चार्ज बराबर होती है। ट्रेन-बस में मुफ्त सफर लेकिन फ्लाइट में आखिर क्यों बच्चों के लिए भी टिकट खरीदनी होती है? चलिए इस बारे में हम आपको आगे विस्तार से बताते हैं।
हवाई यात्रा की सुरक्षा मानक सख्त होने के कारण
फ्लाइट में सुरक्षा नियम काफी कड़े होते हैं। खासकर छोटे बच्चों को लेकर अलग व्यवस्था होती है। विमान में बच्चों के लिए अलग से विशेष सुरक्षा दी जाती है। बच्चों के लिए अलग से सीट बेल्ट एक्सटेंशन, विशेष खानपान सेवा, बच्चों के लिए अलग से केबिन क्रू की सहायता आदि सुविधाएं दी जाती हैं। इसी कारण एयरलाइंस उनकी टिकट चार्ज करती है।
इंश्योरेंस और सेफ्टी चार्ज
फ्लाइट में यात्रा करने वाले हर यात्री के लिए एयरलाइंस एक इंश्योरेंस पॉलिसी लागू करती है, जिसमें छोटे बच्चे भी शामिल होते हैं। इस इंश्योरेंस और सेफ्टी सुविधा का शुल्क टिकट के रूप में वसूला जाता है।
अलग से सीट न मिलने पर भी क्यों चार्ज होता है?
2 साल से छोटे बच्चे के लिए अलग सीट की जरूरत नहीं होती है। वे अपने माता-पिता की गोद में सफर कर सकते हैं, लेकिन एयरलाइंस उन्हें इनफैंट टिकट के रूप में एक निश्चित चार्ज वसूलती है, जो आमतौर पर बेस किराए का 10% होता है।
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ईंधन और कर का बोझ
हवाई यात्रा में ऑपरेशनल कॉस्ट बहुत ज्यादा होती है। हर यात्री के हिसाब से ईंधन खर्च, हवाई अड्डे के टैक्स और अन्य चार्जेस होते हैं, जो छोटे बच्चों के लिए भी लागू किए जाते हैं।
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ट्रेन और बस में क्यों नहीं लगता चार्ज?
ट्रेन और बसों में सरकारी नीतियों के तहत 5 साल तक के बच्चों को मुफ्त यात्रा की सुविधा मिलती है, क्योंकि इसमें ऑपरेशनल कॉस्ट कम होती है और सीट की गिनती फ्लाइट की तरह फिक्स नहीं होती है।
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