कौन हैं भगवान झूलेलाल? सिंधी कम्युनिटी में क्यों पूजा जाता है इन्हें

सिंधी कम्युनिटी के भगवान झूलेलाल का नाम शायद आपने भी सुना होगा। पर क्या आपको पता है कि ये कौन थे और इनकी कहानी क्या है? चलिए आज आपको इनके बारे में बताते हैं। 

 
Who is lord jhulelal

सिंधी नव वर्ष की शुरुआत विक्रम संवत के चेती चांद से होती है। चैत्र माह को सिंधी भाषा में चेती कहा जाता है। सिंधी हिंदुओं के इष्ट देव झूलेलाल का जन्मदिन भी चेती चांद को ही होता है। भगवान झूलेलाल को सिंधी हिंदुओं का रक्षक माना जाता है। इन्हें वरुण देव का मानव रूपी अवतार भी माना जाता है। भगवान झूलेलाल ने ही दरिया पंथ की स्थापना की थी।

झूलेलाल का जिक्र किसी हिंदू पुराण में नहीं है, बल्कि इन्हें मान्यताओं के आधार पर पूजा जाता है। क्योंकि भगवान झूलेलाल वरुण देव के अवतार थे, इसलिए इनकी छवि भी उसी तरह की बनी हुई है। एक वृद्ध 'इंसान', मछली के ऊपर रखे कमल के फूल पर बैठा हुआ दिखता है। उनके एक हाथ में माला और दूसरे हाथ में अभय मुद्रा बनी हुई है। झूलेलाल के सिर पर मुकुट भी रहता है।

कौन हैं झूलेलाल?

बात सातवीं सदी की है जब सिंध प्रांत में मोहम्मद बिन कासिम ने राजा दाहिर को हरा दिया था। बिन कासिम ने सिंध प्रांत में इस्लामिक कायदे स्थापित कर दिए थे और जो लोग इस्लाम कबूल नहीं करना चाहते थे उन्हें प्रताड़ित करना शुरू कर दिया था।

jhulelal and history

इसे जरूर पढ़ें- सिंधी शादियों के ये पांच अनोखे रिवाज क्या जानती हैं आप?

धीरे-धीरे कई सिंधी इस्लाम धर्म में शामिल हो गए। 10वीं सदी के आस-पास सिंध में सूरमा साम्राज्य स्थापित हुआ जहां इस्लाम धर्म को अपनाने वाले हिंदू राजाओं ने कुछ राहत दी। पर धीरे-धीरे मकराबखान या मिरखशाह ने एक बार फिर से इस्लामिक धर्म की स्थापना कर दी। उस दौर में हिंदुओं के खिलाफ फरमान जारी हुआ कि या तो उन्हें इस्लामिक धर्म अपनाना होगा या फिर मरना होगा।

उस वक्त सिंधियों ने 40 दिनों तक वरुण देव की पूजा की और फिर वरुण देव के अवतार उदेरोलाल का जन्म हुआ। ऐसा माना जाता है कि जन्म लेते ही उस बच्चे ने चमत्कार करना शुरू कर दिया था और अपने माता-पिता को झूलेलाल अवतार की छवि दिखा दी थी।

आखिर क्यों उदेरोलाल को कहा जाता है झूलेलाल?

ऐसी मान्यता है कि बचपन में उदेरोलाल का पालना अपने आप हिलने लगता था और वह बच्चा सो जाता था। इस घटना को देखकर उनका नाम झूलेलाल पड़ गया।

lord jhulelal

सिंधी लोककथाओं के अनुसार जब इसके बारे में मिरखशाह को पता चला तब उसने अपने एक मंत्री को झूलेलाल को देखने के लिए भेजा। झूलेलाल ने उसे कुछ ऐसा अहसास करवाया जैसे वो 16 साल का लड़का है जो हाथ में तलवार लिए आगे बढ़ रहा है। उस बच्चे को ऐसा देखकर मंत्री डर गया और मिरखशाह के पास गया।

मिरखशाह ने डर कर कुछ साल ऐसे ही बीतने दिए और तब तक झूलेलाल के चमत्कारों की ख्याति उस तक पहुंचती रही। झूलेलाल ने गुरु गोरखनाथ से दीक्षा भी ली। कहानी के अनुसार जब झूलेलाल के चमत्कारों की बातें बहुत बढ़ गईं तब मिरखशाह ने झूलेलाल को खुद देखना चाहा।

जब झूलेलाल उसके सामने आए तब मौलवियों के कहने पर उसने झूलेलाल को गिरफ्तार करना चाहा, लेकिन अचानक पूरे महल के चारों तरफ पानी भर गया और बीच में आग लग गई। मिरखशाह डर गया और उसने वादा किया कि हिंदू और मुस्लिम दोनों को ही एक तरह से देखेगा।

इसे जरूर पढ़ें- क्या आप जानते हैं जैन शादी से जुड़े ये रीति-रिवाज

झूलेलाल ने इसके बाद अपने भाई पागद को दरयाई पंथ का महंत घोषित कर दिया और मंदिर बनाने और धर्म को आगे बढ़ाने का आदेश दिया। इसके बाद झूलेलाल अपने गांव लौट गए और कुछ दिनों बाद देह त्याग दी।

इस्लाम में भी है झूलेलाल का जिक्र

ओदेरो लाल नाम के एक बालक का जिक्र इस्लामिक मान्यताओं में भी देखा गया है। उसके अनुसार शेख ताहिर असल में हिंदू ओदेरो लाल थे जिन्होंने वयस्क होने पर इस्लाम धर्म अपना लिया था। वो हिंदुओं के जातिवाद से परेशान थे और इसलिए उन्होंने इस्लाम अपनाकर सूफी संत बनने का फैसला लिया।

हालांकि, सिंधियों के अनुसार यह कथा सच नहीं है।

अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

Image Credit: unsplash/ wikipedia

HzLogo

HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!

GET APP