आरती के चारों ओर जल से क्यों किया जाता है आचमन


Samvida Tiwari
02-05-2023, 15:49 IST
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    मंदिर में या घर में भगवान की पूजा और आरती के कई नियम बनाए गए हैं और उनका पालन जरूरी माना जाता है। उनमें से ही एक है आरती के बाद उसके चारों ओर जल से आचमन करना।

कैसे किया जाता है आचमन

    आरती के बाद लोग चारों तरफ आचमनी, शंख या किसी पुष्प से आचमन करते हैं और उसके बाद ही आरती भक्तों तक पहुंचाई जाती है।

आचमन है प्रमुख नियम

    ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी जी बताते हैं कि आचमन पूजा-पाठ का सबसे जरूरी नियम है और इसके बिना पूजा अधूरी मानी जाती है।

जल का वरुण देव से संबंध

    जल को वरुण देव के रूप में पूजा जाता है और पुराणों में बताया गया है कि जब किसी भी वस्तु की रक्षा जल से की जाती है तो उस पर वरुण देव की कृपा होती है।

आरती को लौ होती है दिव्य

    जब किसी भी भगनवान की आरती पूरी हो जाती है तो इसकी लौ और ज्यादा दिव्य हो जाती है। इसकी पवित्रता बनाए रखने के लिए जल का आचमन जरूरी माना जाता है।

जल का भक्तों पर होता है छिड़काव

    आरती के समापन के बाद भक्त अपने दोनों हाथों को कुछ सेकंड के लिए आरती की ज्योत के ऊपर घुमाकर आरती लेते हैं और मंदिर में पुजारी भक्तों पर इसी जल का छिड़काव करते हैं जिससे आचमन होता है।

शंख से आचमन के लाभ

    ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार शंख में जल भरकर उस पर चंदन का लेप लगाकर उससे आरती की थाली के चारों ओर जल छिड़कने से वातावरण शुद्ध और पवित्र बना रहता है।

आचमनी से क्यों किया जाता है आचमन

    पूजा स्थान पर शंख या फिर किसी तांबे के पात्र में जल भरकर रखा जाता है और इसे आरती के बाद आचमनी से छिड़का जाता है। ऐसा करने से घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।

आरती क्यों है जरूरी

    शास्त्रों में बताया गया है यदि हम किसी भी पूजा-पाठ के बाद आरती नहीं करते हैं तो वह पूजा अधूरी मानी जाती है। पूजा का फल तभी मिलता है जब आप इसके समापन में विधि-विधान से आरती करती हैं।

    आरती के बाद आचमन बहुत शुभ अनुष्ठान माना जाता है। इसे पूजा के समापन का सही तरीका भी कहा जाता है। आपको स्‍टोरी अच्छी लगी हो तो लाइक और शेयर करें। इस तरह की अन्य जानकारी के लिए क्लिक करें herzindagi.com