वृंदावन के कौन से ठाकुर जी देते हैं अपने प्रसन्न होने का संकेत?

ब्रज के 7 ठाकुरजियों में से एक ऐसे ठाकुर जी हैं जो अपने यहां आए हर एक भक्त को दर्शाते हैं कि वह खुश हैं या नहीं। आइये जानते हैं कि आखिर वो कौन से ठाकुर जी हैं जो जताते हैं अपनी प्रसन्नता।
vrindavan ke kaun se bhagwan dete hain khush hone ka sanket

श्री वृंदावन धाम भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं का प्रमुख स्थल है। वृंदावन का उल्लेख प्राचीन ग्रंथों जैसे हरिवंश पुराण और श्रीमद्भागवत पुराण में भी मिलता है। 84 कोस फैले ब्रज क्षेत्र में वृंदावन मुख्य रूप से भगवान कृष्ण के विविध रूपों और लीलाओं का स्थल रहा है। वृंदावन में लगभग 5000 से भी अधिक मंदिर हैं, जिनमें से कुछ मंदिर सैकड़ों वर्ष पुराने हैं और भगवान की लीलाओं के साक्षी रहे हैं, जबकि कुछ मंदिर हाल ही में बनाए गए हैं।

1515 में जब चैतन्य महाप्रभु वृंदावन आए थे, तो उन्होंने यहां के कई मंदिरों की खोज की थी। 1515 के बाद कई मंदिर नष्ट हो गए हैं और कई मंदिरों का पुनर्निर्माण भी हुआ है। ब्रज के मुख्य 7 मंदिर माने जाते हैं जो 7 ठाकुरजियों के स्थान हैं: यह 7 ठाकुर जी हैं- मदन मोहन जी, गोविंद देव जी, गोपीनाथ जी, जुगल किशोर जी, राधावल्लभ जी, बांके बिहारी जी और राधा रमण जी। हर एक ठाकुर जी की कथा और लीला अलग-अलग है।

इसी कड़ी में हमें ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने बताया कि इन्हीं 7 ठाकुरजियों में से एक ऐसे ठाकुर जी हैं जो अपने यहां आए हर एक भक्त को दर्शाते हैं कि वह खुश हैं या नहीं। अगर किसी भक्त के आने पर वह प्रसन्न होते हैं तो उन्हें उसका संकेत ठाकुर जी द्वारा मिल जाता है और अगर किसी भक्त से वह नाराज होते हैं तो उसका संकेत भी भक्त तक पहुंच जाता है। आइये जानते हैं कि आखिर वो कौन से ठाकुर जी हैं जो जताते हैं अपनी खुशी।

ब्रज के कौन से ठाकुर जी दर्शाते हैं प्रसन्नता?

ब्रज के सबसे लाडले ठाकुर जी कहलाते हैं राधा रमण लाल जी। राधा रमण लाल जी को लेकर ऐसा माना जाता है कि वह इतने दिव्य और चमत्कारी हैं कि जब भी कोई भक्त उनके दर्शन करने जाता है तो अपने मन अनुसार अपनी छवि बदल लेते हैं।

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न सिर्फ मंदिर के पुजारी एवं सेवार्थी बल्कि दर्शन करने गए कई भक्तों ने यह अनुभव किया है कि उन्हें कई बार राधा रमण लाल जी में गोविंद देव जी के समान छवि दिखाई देती है तो कभी वक्ष स्थल गोपी नाथ जी की या फिर कभी तो मदन मोहन जी की।

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इसके अलावा, राधा रमण लाल जी को लेकर यह भी कहा जाता है कि उन्हें मंदिर की किसी भी दिशा में खड़े होकर देख लो हमेशा ऐसा ही लगेगा कि वह आपको ही देख रहे हैं, उनका मुख आपकी ओर ही है, उनका सारा ध्यान आप पर है कि आप उन्हें निहार रहे हैं या नहीं।

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सबसे ज्यादा हैरान कर देने वाली बात यह है कि जब ठाकुर जी प्रसन्न होते हैं त उनके विग्रह रूप में अपने आप ही दांत दिखाई देने लगते हैं और जब प्रसन्न नहीं होते हैं तब वह दांत दिखाई नहीं देते हैं। यहां तक कि विग्रह रूप में कम और ज्यादा दांत का भी अंतर है।

अगर राधा रमण लाल जी प्रसन्न हैं तो पूरे 7 दांत दिखाई देते हैं लेकिन अगर थोड़े प्रसन्न हैं तो 2, 3, 6 आदि इस प्रकार की संख्या में दांत दिखाई देंगे। ऐसा माना जाता है कि जब भी कभी मंदिर में कोई ऐसा भक्त आता है जिसका मन जल की तरह निर्मल और निश्छल हो तब पूरी 7 दंतावली दिखती है।

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ऐसा होना किसी चमत्कार और दिव्यता के कम नहीं है क्योंकि ब्रज के अन्य कोई भी ठाकुर जी अपने दांतों को नहीं दर्शाते हैं। सिर्फ राधा रमण लाल जी ही हैं एक जो अपने दांत दिखा कर किसी छोटे बच्चे की तरह बताते हैं कि वह खुश हैं या नहीं।

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image credit: herzindagi

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