Bank Locker Rules:कागज से लेकर जेवरात को सुरक्षित रखने के लिए अक्सर लोग बैंक लॉकर का उपयोग करते हैं। यह न केवल जेवरात को सुरक्षित स्थान देते हैं बल्कि उन्हें सेफ रखते हैं। इसके लिए आपको बैंक लॉकर फीस चुकाने की जरूरत होती है। लॉकर मिलने पर बैंक द्वारा एक चाबी दी जाती है, जिससे आप अपने लॉकर को खोल या बंद कर सकते हैं जब आपको आवश्यकता पड़े। लेकिन क्या आपने सोचा है कि अगर यह चाबी खो जाए तो क्या होगा। इस लेख में आज हम आपको बैंक लॉकर की चाबी को लेकर क्या नियम बनाए गए हैं इसके बारे में बताने जा रहे हैं।
बैंक लॉकर की चाबी खोने पर क्या करें?
अगर आप अपने बैंक लॉकर की चाबी खो देते हैं, तो सबसे पहले आपको बैंक को तुरंत सूचित करना चाहिए। आपको नुकसान का डॉक्यमेंटेशन करने के लिए अपने स्थानीय पुलिस स्टेशन में एफआईआर (FIR) भी दर्ज करानी होगी। अधिकतर मामलों में, बैंक डुप्लीकेट चाबी दे सकता है या दूसरा लॉकर दे सकता है।
अगर चाबी नहीं मिल पाती है तो उस केस में बैंक मूल लॉकर को तोड़कर उसमें रखी चीजों के लिए नया लॉकर असाइन करते हैं। इसके अलावा इस प्रोसेस के लिए आप बैंक को खुद भी कहकर सामानों को नए लॉकर में शिफ्ट करके नई चाबी ले सकते हैं। ध्यान रखें कि लॉकर की मरम्मत और लॉकर को तोड़ने की प्रक्रिया से जुड़ी लागत आपको देनी होगी। इसके लिए बैंक किसी प्रकार की जिम्मेदारी नहीं लेता।
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बैंक लॉकर तोड़ने को लेकर बने नियम
आम तौर पर, अगर लॉकर को खोलने या तोड़ने की जरूरत होती है, तो यह प्रोसेस कस्टमर और बैंक प्रतिनिधि दोनों की देखरेख में होती है। कंबाइंड लॉकर कस्टमर के लिए, सभी सदस्यों को मौजूद होना जरूरी होता है। मान लीजिए कि अगर किसी कारण लॉकर होल्डर मौजूद नहीं हो सकता है, तो उसे अपनी अनुपस्थिति में लॉकर खोलने के लिए लिखित सहमति देनी होगी।
बैंक लॉकर कब तोड़ा जा सकता है?
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की नियम के अनुसार, यदि कोई ग्राहक लगातार तीन सालों तक लॉकर का किराया नहीं चुकाया है, तो बैंक बकाया राशि वसूलने के लिए लॉकर को तोड़ने का अधिकार सुरक्षित रखता है। इसके अतिरिक्त अगर कोई लॉकर सात वर्षों तक बंद रहता है। ग्राहक इस अवधि के दौरान लॉकर से संबंधित काम के लिए नहीं गया है, तो बैंक लॉकर को तोड़ा जा सकता है भले ही उसका किराया चुका दिया गया हो।
क्राइम इंवेस्टिकेशन में लॉकर तोड़ना
अगर किसी आपराधिक मामले को लेकर लॉकर धारक के खिलाफ कोई केस दर्ज किए गए हैं और अधिकारियों को उस पर संदेह है कि लॉकर में अपराध से जुड़े सबूत हैं तो ऐसे में बिना बैंक ग्राहक के लॉकर तोड़ा जा सकता है। ऐसी स्थितियों में बैंक अधिकारी और पुलिस अधिकारी दोनों ही इस प्रोसेस में शामिल होते हैं।
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Image credit-Freepik
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